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ISRO आदित्य मिशन में अहम भूमिका निभाएंगी प्रयागराज की गायत्री, अंतरिक्ष यान को रखेंगी नियंत्रित

प्रयागराज की गायत्री मल्होत्रा इसरो के आदित्य एल-1 में अहम भूमिका में हैं। वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी बीटेक और एमटेक में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। उन्होंने बताया कि आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जा रहा है। यह जहां स्थापित होगा वह ऐसा बिंदु है जो ग्रहण के प्रभाव से दूर है और वहां से सूर्य पर लगातार नजर रखी जा सकेगी।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 25 Aug 2023 09:24 AM (IST)
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अंतरिक्ष यान को नियंत्रण में रखेंगी प्रयागराज की गायत्री। -स्वयं
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सूर्य का अध्ययन करने के लिए सितंबर के पहले सप्ताह में लांच हो रहे इसरो आदित्य एल-1 में प्रयागराज की गायत्री मल्होत्रा प्रमुख भूमिका में हैं। चंद्रयान मिशन में सपोर्ट कंट्रोल सिस्टम टीम की सदस्य गायत्री आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान के लिए बने कंट्रोल सिस्टम ग्रुप की प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। वह प्रक्षेपण के बाद धरती से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने के दौरान अंतरिक्ष यान को नियंत्रित करेंगी।

सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जा रहा अंतरिक्ष यान

गायत्री मल्होत्रा ने बताया कि आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जा रहा है। यह जहां स्थापित होगा, वह ऐसा बिंदु है, जो ग्रहण के प्रभाव से दूर है और वहां से सूर्य पर लगातार नजर रखी जा सकेगी। उन्होंने बताया कि यह अंतरिक्ष यान सूर्य की विभिन्न परतों का निरीक्षण करेगा। इससे सूर्य की गतिविधियों को आसानी से समझा जा सकेगा। गायत्री की टीम ने अंतरिक्ष यान को नियंत्रित करने वाले हार्डवेयर के निर्माण में भूमिका निभाई है।

प्रयागराज के बलरामपुर हाऊस की गायत्री मल्होत्रा की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। 1996 में दीक्षा समारोह में उन्हें छह स्वर्ण पदक बीएससी की परीक्षा में प्रथम स्थान, भौतिक शास्त्र विभाग में प्रथम स्थान, गणित में प्रथम स्थान प्राप्त होने पर मिले थे। यहीं से 2002 में एमटेक किया। यह बीएससी, बीटेक और एमटेक में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं।

सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का अध्ययन करेंगे रवि केसरवानी

मिशन आदित्य एल-1 में प्रतापगढ़ के कुंडा के रवि केसरवानी भी शामिल हैं। वह सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों का अध्ययन करेंगे। इसमें से सोलर अल्ट्रावायलेट इमेंजिंग टेलीस्कोप (शूट) पेलोड पर रवि केसरवानी ने काम किया है। बताया कि ओजोन परत की वजह से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें धरती पर नहीं आ पाती हैं। यह अल्ट्रावायलेट किरणें बहुत अधिक सूचना लिए हुए होती है। इसके अध्ययन से सूर्य के कोर में होने वाली गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है। सूर्य के अध्ययन से अन्य तारों की गतिविधियों का पता चल सकेगा।

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