अखिलेश यादव के पोस्ट से तूल पकड़ा इवि शिक्षक भर्ती में एनएफएस का मुद्दा, बताया पीडीए के हक-अधिकार का हनन
अखिलेश यादव ने ट्वीट में लिखा है कि एनएफएस एक तरह की ऐसी स्वैच्छिक छूट है जिसको हथियार बनाकर भाजपा राज में कुछ प्रभुत्ववादी सोच के लोगों द्वारा पीडीए के हक-अधिकार की हत्या की जा रही है। पीडीए को सामाजिक न्याय के साथ-साथ शैक्षिक न्याय भी चाहिए। अखिलेश यादव के पोस्ट से इवि शिक्षक भर्ती में एनएफएस का मुद्दा तूल पकड़ लिया।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में साक्षात्कार सूची में नाम नहीं होने के बाद भी के वाणिज्य संकाय में दो शिक्षकों के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने को लेकर विवाद जारी है। इसके साथ ही अब नौ पदों को नाट फाउंड सुटेबल (एनएफएस) घोषित करने का मामला तूल पकड़ रहा है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर नौ में से आरक्षित श्रेणी के आठ पदों को एनएफएस घोषित करने को पीडीए के हक-अधिकार का हनन बताया है।
ट्वीट में लिखा है कि पीडीए के शब्दकोश में एनएफएस की नयी व्याख्या: नाट फेयर सेलेक्शन जोड़ दी जाए। विश्वविद्यालय द्वारा घोषित परिणाम में नौ में आरक्षित श्रेणी के आठ पदों को एनएफएस कर दिया गया है।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए 15 जुलाई को साक्षात्कार के लिए बुलाए गए अभ्यर्थियों की सूची जारी की थी। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 23 से 26 जुलाई तक साक्षात्कार हुए थे।
शुक्रवार को कार्य परिषद की आनलाइन आपात बैठक में एक प्रोफेसर, चार एसोसिएट प्रोफेसर और 14 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पर मुहर लगाई थी। 28 पदों में से इसमें नौ पदों पर नाट फाउंड सुटेबल (एनएफएस) यानी योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने पर इनको नहीं भरा गया था।
इसे भी पढ़ें-चीन के नागरिकों ने हिमाचल और कर्नाटक के पते पर बनवाया था आधारइसमें प्रोफेसर पद पर तीन में से दो पर एनएफएस किया गया। इसमें एक आरक्षित श्रेणी और एक ओबीसी श्रेणी का है। एसोसिएट प्रोफेसर श्रेणी में ओबीसी श्रेणी के दो व एससी श्रेणी का एक पद एनएफएस है। इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर में पीडब्ल्यूडी श्रेणी का एक पद, एसटी का एक पद और एससी के दो पद एनएफएस होने के कारण नहीं भरे जा सके।
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