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लिव-इन रिलेशनशिप मे रहने वाले जोड़ो पर भी लागू है धर्मांतरण निषेध कानून, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि उप्र धर्मांतरण निषेध कानून न केवल परस्पर विरोधी धर्म के लोगों की शादी बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू होता है। इसलिए कानूनी प्रक्रिया अपनाकर धर्म परिवर्तन किए बिना विपरीत धर्म का जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में भी नहीं रह सकता। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने अंतरधार्मिक जोड़े की याचिका पर की है।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Thu, 14 Mar 2024 08:33 PM (IST)
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लिव-इन रिलेशनशिप पर लागू धर्मांतरण निषेध कानून
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि उप्र धर्मांतरण निषेध कानून न केवल परस्पर विरोधी धर्म के लोगों की शादी बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू होता है। इसलिए कानूनी प्रक्रिया अपनाकर धर्म परिवर्तन किए बिना विपरीत धर्म का जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में भी नहीं रह सकता। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने अंतरधार्मिक जोड़े की उस याचिका को खारिज करते हुए की है, जिसमें पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी।

अदालत ने कहा कि धर्म परिवर्तन न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह विवाह की प्रकृति के सभी रिश्तों में भी जरूरी है। प्रकरण में किसी भी याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 8 और 9 के अनुसार धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं दिया है और आर्य समाज मंदिर में शादी का पंजीकरण कराकर लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं।

धर्म परिवर्तन कराना गलत

कोर्ट ने कहा अधिनियम की धारा 3 (1) के अनुसार कोई भी व्यक्ति गलतबयानी, बल का प्रयोग या गुमराह करके किसी अन्य व्यक्ति को सीधे या अन्यथा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित या परिवर्तित करने की कोशिश नहीं करेगा। कोर्ट ने साफ किया कि अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से कोई भी व्यक्ति इस तरह के रूपांतरण के लिए उकसाएगा, मनाएगा या साजिश नहीं करेगा। कानून में स्पष्ट है कि न केवल अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में बल्कि विवाह की प्रकृति के रिश्तों में भी धर्म परिवर्तन की आवश्यकता है।

सुरक्षा की मांग में दायर की थी याचिका

बता दें कि हिंदू लड़के ने मुस्लिम लड़की से आर्य समाज मंदिर में शादी का पंजीकरण कराया और लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। संबंधों में हस्तक्षेप पर रोक लगाने व पुलिस सुरक्षा की मांग में याचिका दायर की थी।

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