Move to Jagran APP

लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार बन सकता तलाक का आधार : हाई कोर्ट

HC ने कहा है कि लंबे समय तक यौन संबंध बनाने से इनकार करना तलाक का आधार हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंध में रहने वाले दोनों पक्षों के बीच निजी संबंध की सटीक प्रकृति के बारे में कोई नियम बनाना कोर्ट का काम नहीं है। यौन संबंध से इनकार करने के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग हो सकती है बशर्ते ऐसा लंबे समय तक हो।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 10 Nov 2024 07:37 AM (IST)
Hero Image
इलाहाबाद हाई कोर्ट लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार करने को लेकर बड़ी टिप्‍पणी की है। जागरण
 विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार करने के आधार पर विवाह विच्छेद (तलाक) की मांग की जा सकती है। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने कहा, पक्षकार किस प्रकार की शारीरिक अंतरंगता बनाए रख सकते हैं, यह मुद्दा न्यायिक निर्धारण का विषय नहीं है।

खंडपीठ ने यह टिप्पणी पति द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए की। अपीलार्थी ने मीरजापुर के पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें तलाक के लिए उसकी अर्जी को खारिज कर दिया गया था।

खंडपीठ ने कहा, वैवाहिक संबंध में रहने वाले दोनों पक्षों के बीच निजी संबंध की सटीक प्रकृति के बारे में कोई नियम बनाना कोर्ट का काम नहीं है। यौन संबंध से इन्कार करने के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग हो सकती है, बशर्ते ऐसा लंबे समय तक रहा हो। दोनों पक्ष (पेशे से डाक्टर) की शादी जून 1999 में हुई थी। दो बच्चे हैं। एक अपने पिता के साथ रहता है और दूसरा अपनी मां के साथ।

इसे भी पढ़ें-आज पूर्वोत्तर रेलवे रूट से चलेंगी 46 पूजा स्पेशल ट्रेनें, जल्‍दी करें बुकिंग, खाली है सीट

अपीलकर्ता पति ने दिल्ली में अपनी निजी क्लीनिक स्थापित की है। पत्नी (प्रतिवादी) भारतीय रेलवे से सेवानिवृत्त कर्मचारी है। शादी के नौ साल बाद पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक का केस मीरजापुर परिवार अदालत में दायर किया।

आरोप लगाया गया कि पत्नी ने धार्मिक गुरु के प्रभाव में आकर यौन संबंध बनाने से इन्कार कर दिया। उधर पत्नी ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि दो बच्चों के जन्म से यह साबित होता है कि उनके बीच सामान्य, स्वस्थ संबंध थे।

इसे भी पढ़ें-IIT में प्रवेश छोड़ने वालों के लिए बुरी खबर, नहीं दे सकेंगे जेईई एडवांस्ड

कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि दोनों पक्षों के बीच सामान्य वैवाहिक संबंध था। विवाह के दो वर्ष के भीतर उनके दो बच्चे पैदा हुए। यौन संबंध से इन्कार का आधार मौजूद नहीं है।

महिलाओं से मारपीट 
में मिली जमानत

जनपद न्यायालय ने चुनावी रंजिश में चार साल पहले घर में घुसकर महिलाओं से मारपीट करने के आरोपित दीपचंद्र की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया है। जिला जज संतोष राय ने आरोपित के अधिवक्ता और जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाबचंद अग्रहरि के तर्कों को सुनने के बाद जमानत अर्जी को मंजूर किया।

मामला सोरांव क्षेत्र के सरायदत्ते गांव का है। हरिशंकर प्रजापति ने दीपचंद्र समेत 13 नामजद व कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया कि नौ मार्च की रात दीपचंद्र, विकास, जगन्नायम, रमाकांत, मुन्ना, रिशू, सूरज, रविंद्र, भारत, चंदन, पट्टू, लल्ले, विनोद अपने अज्ञात साथियों के साथ घर में घुस कर पत्नी कमला और पुत्री राधा पर हमला कर दिया था। आरोपित के अधिवक्ता ने दलील दी कि घटना झूठी है। चुनावी रंजिश में मुकदमा लिखवाया गया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।