Magh Mela 2024: द्वारिकापीठ के संत क्यों दे रहे महाकुंभ के बहिष्कार की चेतावनी, जानें पूरा मामला
द्वारका पीठ के शिविर प्रभारी व श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि अक्टूबर माह में प्रशासन को पत्र देकर अतिरिक्त जमीन मांगी गई थी उस समय उचित निर्णय लेने का भरोसा मिला था। अब अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं। यह संतों-श्रद्धालुओं का अपमान है। हम 12 जनवरी तक प्रतीक्षा करेंगे तब तक उचित निर्णय न हुआ तो मेला क्षेत्र में शिविर नहीं लगाएंगे।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। द्वारका शारदा पीठ के संतों का धैर्य जवाब देने लगा है। मेला प्रशासन के अधिकारियों पर पीठ की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि वे 12 जनवरी तक प्रतीक्षा करेंगे, तब तक प्रशासन उचित निर्णय नहीं लेता है तो शिविर नहीं लगाएंगे।
यही नहीं, आगामी महाकुंभ का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार द्वारका पीठ को जमीन दी गई है। कुछ मामला फंसा है, उसे जल्द ठीक कर लेंगे।
माघ मेला क्षेत्र में पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारका व ज्योतिष पीठ का शिविर लगाने के लिए जमीन और सुविधा मिलती रही है। उन्हें त्रिवेणी मार्ग पर ज्योतिष पीठ के तहत शाकांभरी पीठ और बद्रिका आश्रम को 280 गुणे 200 फीट जमीन मिलती थी।
वहीं, द्वारका को शारदा पीठम द्वारका और आध्यात्मिक उत्थान मंडल के लिए 80 गुणे 200 फीट जमीन मिलती थी। सितंबर 2022 में शंकराचार्य स्वरूपानंद के गोलोकवासी (निधन) होने के बाद द्वारका पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती आसीन हुए।
इससे इस बार द्वारका पीठ का अलग शिविर लगाने के लिए त्रिवेणी मार्ग पर 280 गुणे 200 फीट जमीन मांगी जा रही है। कटान के कारण अधिकारी एक स्थान पर जमीन बढ़ाकर देने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं। इसके चलते अभी तक जमीन का आवंटन नहीं हुआ।
द्वारका पीठ के शिविर प्रभारी व श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि अक्टूबर माह में प्रशासन को पत्र देकर अतिरिक्त जमीन मांगी गई थी, उस समय उचित निर्णय लेने का भरोसा मिला था। अब अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं।
यह पीठ व उससे जुड़े संतों-श्रद्धालुओं का अपमान है। हम 12 जनवरी तक प्रतीक्षा करेंगे तब तक उचित निर्णय न हुआ तो मेला क्षेत्र में शिविर नहीं लगाएंगे।साथ ही आगामी महाकुंभ-2025 का बहिष्कार किया जाएगा। वहीं, मेलाधिकारी दयानंद प्रसाद का कहना है कि नियमानुसार द्वारका पीठ के लिए त्रिवेणी मार्ग पर जमीन उपलब्ध कराई जा रही है। दूसरी संस्थाओं को अन्य स्थान पर जमीन उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन पीठ के संत उचित निर्णय नहीं ले रहे हैं।
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