MahaKumbh 2025: संन्यासी के चोले में गृहस्थी के मोह ने तोड़ा महामंडलेश्वर बनने का सपना, गुप्त जांच में खुली पोल
महाकुंभ 2025 में महामंडलेश्वर बनने का सपना देखने वालों के लिए झटका लग गया है। यहां अखाड़ों की गुप्त जांच में खुलासा हुआ कि कई आवेदकों ने अपने पारिवारिक संबंधों को छुपाया था। इनमें से 79 लोगों को अयोग्य घोषित किया गया। महामंडलेश्वर बनने का मानक महामंडलेश्वर बनने से पहले संबंधित व्यक्ति को स्वयं का पिंडदान करके सगे संबंधियों से रिश्ता समाप्त करना पड़ता है।
शरद द्विवेदी, जागरण प्रयागराज। महाकुंभ-2025 में महामंडलेश्वर बनने का कइयों का सपना टूट गया है। अखाड़ों की गुप्त जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी। इसके बाद अखाड़ों ने उन्हें अयोग्य करार देते हुए महामंडलेश्वर बनाने से इन्कार कर दिया है। ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि 79 लोग हैं। हुआ यूं कि अलग-अलग अखाड़ों से महामंडलेश्वर बनने के लिए तमाम लोगों ने संपर्क किया था।
अखाड़ों को बताया था कि उनका अपने परिवार, सगे-संबंधियों से संपर्क नहीं है। कुछ ने एक-दो वर्ष, कइयों ने छह माह से विरक्त जीवन व्यतीत करने की बात कहकर महामंडलेश्वर बनाने का आग्रह किया था। अखाड़ों ने गुप्त जांच करवायी तो दावा झूठा मिला। महाकुंभ में समस्त अखाड़े लोगों को संन्यास दिलाने के साथ महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान करते हैं।
महामंडलेश्वर बनने वाले को वर्षभर अथवा छह माह पूर्व घर-गृहस्थी छोड़कर किसी मठ-मंदिर से जुड़ना होता है। इसके जरिए साबित करना पड़ता है कि उनका परिवार के लोगों से संबंध नहीं है, लेकिन जूना अखाड़ा से 34, श्रीनिरंजनी अखाड़ा से 26, निर्मोही अनी अखाड़ा से 12, निर्वाणी अनी अखाड़ा से सात ऐसे लोगों ने महामंडलेश्वर बनने के लिए संपर्क किया जो परिवार के साथ रहते थे। उनकी पत्नी, बच्चे थे। जांच में पता चला कि वो सामाजिक रसूख व धनार्जन के लिए महामंडलेश्वर बनना चाहते थे।
महामंडलेश्वर बनने का मानक महामंडलेश्वर बनने से पहले संबंधित व्यक्ति को स्वयं का पिंडदान करके सगे संबंधियों से रिश्ता समाप्त करना पड़ता है। इसके बाद उनका परिवार से संबंध नहीं रह जाता। दीक्षा देने वाले गुरु उनके अभिभावक होते हैं।
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अपना जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर देते हैं। संबंधित व्यक्ति को संस्कृत व वेद-पुराणों का ज्ञाता होना चाहिए। अगर ज्ञाता नहीं हैं तो उन्हें अखाड़े के संत उसका ज्ञान कराते हैं। जो पहले से संत हैं और मठ-मंदिरों, संस्कृत विद्यालय, गोशाला का संचालन कराते हैं। उन्हें उपाधि प्रदान की जाती है।
महाकुंभ-2025 में अखाड़ों को भूमि आंवटन के लिए संत-महात्मा को जमीन दिखाते प्रयागराज मेला प्राधिकरण के अधिकारी। जागरण
जांच के बाद मिलती है उपाधि महामंडलेश्वर बनने के लिए अखाड़ों से जो संत अथवा व्यक्ति संपर्क करते हैं उनके घर, परिवार, शिक्षा, रिश्तेदारों, मित्रों, पढ़ाई का ब्योरा लिया जाता है। स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र देना होता है कि उनका पूर्व के जीवन व उससे जुड़े लोगों से संबंध नहीं है। फिर अखाड़ों के पंच गुप्त रूप से संबंधित व्यक्ति के स्कूल-कालेज, घर के सदस्यों, मित्रों रिश्तेदारों से संपर्क करके सत्यता का पता लगाते हैं। इसे भी पढ़ें- गोरखपुर में छठ की छटा नयनाभिराम
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