Krishna Janmabhoomi Case: 28 नवंबर को होगी अगली सुनवाई, रिकॉल एप्लीकेशन पर हिंदू पक्ष दाखिल करेगा आपत्ति
इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने वाद बिंदु तय करने के लिए अगली सुनवाई की तारीख 28 नवंबर तय की है। साथ ही मस्जिद पक्ष की रिकॉल एप्लीकेशन खारिज किए जाने के खिलाफ अर्जी पर मंदिर पक्ष को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है। इस विवादित मामले में कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकलपीठ ने मामला सुना। कोर्ट ने वाद बिंदु तय करने के लिए सुनवाई की अगली तारीख 28 नवंबर नियत की है। साथ ही रिकॉल एप्लीकेशन खारिज किए जाने संबंधी फैसले के खिलाफ मस्जिद पक्ष की अर्जी पर मंदिर पक्ष को अपनी आपत्ति दाखिल करने का समय दे दिया।
कोर्ट ने मामले में पक्षकार अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह की तरफ से दायर वाद संख्या तीन (इसमें आगरा स्थित जामा मस्जिद में श्रीकृष्ण के विग्रह होने का दावा करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( एएसआइ) से सर्वे की मांग है) में शाही ईदगाह को पक्षकार बनाते जाने की मंजूरी भी दे दी है। वाद संख्या 17 में सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। यह वाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से दायर किया गया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और मथुरा के अखबारों में नोटिस जारी कर लोगों को पक्ष रखने का मौका दिया जाए।
उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का रिकॉल प्रार्थना पत्र हुआ था खारिज
बता दें कि इससे पहले पिछले महीने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि के स्वामित्व संबंधी सभी 15 सिविल वादों की इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक साथ सुनवाई मामले में मस्जिद पक्ष को झटका लगा था। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकलपीठ ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का वह रिकॉल एप्लीकेशन खारिज कर दिया था, जिसमें एक साथ सुनवाई का 11 जनवरी, 2024 का आदेश वापस लेने की मांग की गई थी।
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यह है मुकदमे की पृष्ठभूमि
शाही ईदगाह मस्जिद औरंगजेब के राज में बनाई गई। मंदिर पक्ष का मत है कि भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बना मंदिर तोड़कर इसे बनाया गया। वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, मंदिर प्रबंधन प्राधिकरण और ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह के बीच समझौता हुआ। इसमें दोनों पूजास्थलों को एक साथ संचालित करने की अनुमति दी गई।
वादियों का तर्क है कि समझौता धोखाधड़ीपूर्ण और कानून की दृष्टि से अमान्य है। मई 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा न्यायालय में लंबित उन सभी मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था, जिसमें कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित विभिन्न राहतों की मांग थी।
मस्जिद पक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अब तक कई तारीखें पड़ चुकी हैं। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत में पहली सुनवाई 18 अक्टूबर, 2023 को हुई थी।इसे भी पढ़ें- फर्रुखाबाद में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल का शव सरकारी आवास में लटका मिला, परिवार में मचा कोहराम
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