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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में अपशिष्ट का प्रबंधन बड़ी चुनौती; मेला प्राधिकरण ने MNNIT से मांगा सहयोग; निकालेगा तकनीकी समाधान

Mahakumbh 2025 महाकुंभ-2025 में करोड़ों की संख्या में तीर्थयात्री आएंगे। अपशिष्ट प्रबंधन और निस्तारण को लेकर प्रयागराज मेला प्राधिकरण और एमएनएनआइटी मिलकर योजना पर काम कर रहे हैं। इसको लेकर एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों और मेला प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच एक चरण की वार्ता भी हो चुकी है। एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों के अनुसार सालिड वेस्ट और लिक्विड वेस्ट यानी अपशिष्ट का प्रबंधन बड़ी चुनौती का काम है।

By mritunjay mishra Edited By: riya.pandey Updated: Sat, 20 Jan 2024 02:57 PM (IST)
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Mahakumbh-2025: महाकुंभ में अपशिष्ट प्रबंधन का तकनीकी समाधान निकालेगा एमएनएनआइटी
मृत्युंजय मिश्र, प्रयागराज। Mahakumbh 2025: महाकुंभ-2025 में करोड़ों की संख्या में तीर्थयात्री आएंगे। हजारों बीघा क्षेत्र में शिविर लगेंगे। इसकी वजह से निकलने वाले हजारों टन कूड़ा और अपशिष्ट प्रबंधन के अभाव में गंगा को ही दूषित करेगा। ऐसे में अपशिष्ट पदार्थ का निस्तारण करना एक बड़ी चुनौती है।

इस बात को प्राथमिकता में रखते हुए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) से सहयोग मांगा है। इसके बाद एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों ने तकनीकी समाधान खोजने की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है।

अपशिष्ट प्रबंधन और निस्तारण को लेकर प्रयागराज मेला प्राधिकरण और एमएनएनआइटी मिलकर योजना पर काम कर रहे हैं। इसको लेकर एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों और मेला प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच एक चरण की वार्ता भी हो चुकी है।

मेला प्राधिकरण पिछले 2018 में हुए कुंभ मेले में अपशिष्ट निस्तारण को लेकर आई समस्याओं से संबंधित आंकड़ें भी एमएनएनआइटी को उपलब्ध करएगा। इसके आधार पर योजना तैयार होगी। एमएनएनआइटी के विशेषज्ञों के अनुसार सालिड वेस्ट और लिक्विड वेस्ट यानी अपशिष्ट का प्रबंधन बड़ी चुनौती का काम है। विशेषतौर पर लिक्विड वेस्ट की वजह से गंगा के प्रदूषित होने का ज्यादा खतरा है।

ऐसे में एमएनएनआइटी के विशेषज्ञ सेंसर आधारित पाइप लाइन प्रणाली के विकास की दिशा में काम करेंगे, जिससे अपशिष्ट गंगा में नहीं जाकर पंप के जरिए केंद्रीयकृत स्टोरेज व्यवस्था तक पहुंचाया जा सकेगा और वहां से इसे अन्यत्र भेज दिया जाएगा। अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्वचालित ड्रोन निगरानी प्रणाली और सेंसर युक्त डस्टबिन पर भी विज्ञानी काम करेंगे। जिससे अपशिष्ट भरने की स्थिति में कंट्रोलरूम को अलर्ट चला जाएगा।

तीर्थयात्रियों के सुझावों से बेहतर बनेगा महाकुंभ

एमएनएनआटी में इनक्यूबेशन हब के निदेशक मंडल में शामिल डा. अनुभव रावत ने बताया कि मेले की सुरक्षा के लिए उच्च स्तरीय तकनीकों को तैयार करने पर भी विज्ञानी काम करेंगे। साथ ही ऐसी प्रणाली का भी विकास किया जाएगा, जिसमें तीर्थयात्रियों से मिले सुझावों के आधार पर चिह्नित कर्मियों को महाकुंभ में समय रहते सुधार किया जाएगा।

साथ ही ऐसे एप का विकास शामिल हैं, जिसके जरिए महाकुंभ में शहरियों की भूमिका को भी तय किया जाएगा। इन कार्यों के लिए एमएनएनआइटी हैकाथान का आयोजन करेगा और इसमें देशभर से नवाचार के नए विचारों को आमंत्रित किया जाएगा। इसकी मदद से एप और साफ्टवेयर विकसित होंगे।

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