राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 4 साल पूरे, सभी बेसिक स्कूलों में मनाया जाएगा 'शिक्षा सप्ताह', ये है उद्देश्य
National Education Policy 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू हुए चार वर्ष पूरे हो गए हैं। इस उपलक्ष्य में सभी बेसिक स्कूलों में शिक्षा सप्ताह मनाया जाएगा। सप्ताह में प्रतिदिन अलग-अलग विषय पर गतिविधियां होंगी। मुखौटे और पेंटिंग से कहानी लोककथा से बच्चों को जोड़ा जाएगा। एफएलएन दिवस में संगोष्ठी नवाचारी शिक्षण पद्धतियों और आनंदमय शिक्षण पर संवाद सत्र होगा।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। National Education Policy 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू हुए चार वर्ष पूरे हो गए हैं। इस उपलक्ष्य में सभी बेसिक स्कूलों में शिक्षा सप्ताह मनाया जाएगा। यह आयोजन 22 से 28 जुलाई तक होगा। शिक्षा सप्ताह का उद्देश्य विद्यार्थियों व शिक्षकों के बीच सहयोग तथा नवाचार के भाव को बढ़ाना है।
इसके जरिए नीति निर्माताओं व शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न हित धारकों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का मंच भी दिया जाएगा।
अलग-अलग विषय पर होंगी गतिविधि
सप्ताह में प्रतिदिन अलग-अलग विषय पर गतिविधियां होंगी। पहले दिन टीएलएम, दूसरे दिन एफएलएन, तीसरे दिन खेल गतिविधि, चौथे दिन सांस्कृतिक गतिविधि, पांचवें दिन स्किल और डिजिटल पहल दिवस, छठवें दिन स्कूल न्यूट्रीशन-डे व ईको क्लब से संबंधित गतिविधियां कराई जाएंगी। अंतिम दिन सामुदायिक सहभागिता दिवस होगा।व्याख्यात्मक के साथ चार्ट आदि तैयार करने की दी जाएगी तालीम
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि टीएलएम दिवस पर कपड़े या गत्ते पर शैक्षिक बोर्ड गेम डिजाइन करने के साथ कठपुतली बनाना, कहानी कार्ड और चार्ट बनाना, विषयों पर व्याख्यात्मक के साथ चार्ट आदि तैयार करना बताया जाएगा। इसके जरिए भोजन, सब्जियों, परिवार के रिश्तों, रंग, जानवरों आदि की जानकारी देते हुए घन, आयत, वृत्त आदि की भी समझ विकसित कराई जाएगी।
मुखौटे और पेंटिंग से कहानी, लोककथा से बच्चों को जोड़ा जाएगा। श्रेणीवार टीएलएम के लिए विशेष स्टाल लगाए जाएंगे। जादुई पिटारा, ई-जादुई पिटारा बनाकर शिक्षक प्रदर्शित करेंगे। संगीत प्रदर्शन, साहित्य प्रदर्शन भी आयोजन का हिस्सा होगा।
अभिभावकों को भी किया जाएगा आमंत्रित
एफएलएन दिवस में संगोष्ठी, नवाचारी शिक्षण पद्धतियों और आनंदमय शिक्षण पर संवाद सत्र होगा। अभिभावकों को भी आमंत्रित किया जाएगा। बच्चों व स्कूल को निपुण बनाने के लिए शपथ दिलाई जाएगी। बच्चों से पुस्तकें पढ़ाने, मौलिक साक्षरता और संख्यात्मकता से संबंधित गतिविधियां होंगी। कहानी सुनाकर भाषा विकास की दिशा में प्रयास होगा।
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