संगम नगरी में शिक्षा की नई लहर, 'सरस्वती' प्रवाह से बदल रही तस्वीर; स्कूलों में संसाधन के लिए पुराछात्रों का सहयोग
प्रयागराज में शिक्षा की तस्वीर बदल रही है। सरस्वती प्रवाह नामक एक अनूठी पहल के तहत पुराछात्र सरकारी विद्यालयों में संसाधन जुटाने और शिक्षा को रोचक बनाने में योगदान दे रहे हैं। इस पहल के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को पढ़ें। यहां के करीब 1800 बेसिक स्कूलों में हमारा विद्यालय हमारा गौरव कार्यक्रम चल रहा है। इसके तहत स्कूलों में पुराछात्रों की सूची लगाई गई है।
अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज। संगम नगरी में सरिता सरीखी सरस्वती अदृश्य हैं पर नौनिहालों की प्रज्ञा को जागृत कर 'सरस्वती' प्रवाह का अनुपम प्रयोग हो रहा है। इसके लिए संसाधन जुटाने से लेकर शिक्षा को रोचक बनाने, स्कूलों का वातावरण बेहतर करने, जनमानस की मानसिकता को ऊर्जा देते हुए सकारात्मक बदलाव की कोशिश देखी जा सकती है।
इसके मूल में हैं बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी। इन्होंने शिक्षकों के जरिए परिषदीय विद्यालयों में कई नवाचारों का बीजारोपण किया है।
1800 बेसिक स्कूलों में चल रहा कार्यक्रम
यहां के करीब 1800 बेसिक स्कूलों में हमारा विद्यालय हमारा गौरव कार्यक्रम चल रहा है। इसके तहत स्कूलों में ऐसे पुराछात्रों की सूची लगाई गई है जो किसी न किसी खास विभाग या पद पर कार्यरत हैं या सेवा दे चुके हैं। उन्हें माह में एक दिन विद्यालय आमंत्रित कर बच्चों से संवाद कराया जाता है। सक्षम पुराछात्रों से विद्यालय के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में भी सहयोग लिया जा रहा है।
पचास से अधिक स्कूलों में पुराछात्रों ने फर्नीचर, पंखा, स्मार्ट टीवी, साउंड सिस्टम, कंप्यूटर आदि की व्यवस्था स्वेच्छा से की है। कुछ जगहों पर विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति या प्रोत्साहन योजनाएं भी शुरू की गई हैं। इससे सामुदायिक सहयोग का भाव आम जन में जागृत हो रहा है।
यह प्रयोग बीएसए ने पूर्व के तैनाती स्थल जौनपुर में भी किया था। इसके अतिरिक्त प्रत्येक विकासखंड के कुछ विद्यालयों में उत्साही शिक्षकों को प्रेरित कर अतिरिक्त कक्षाओं की शुरुआत कराई गई।
ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड में चल रही कक्षाएं
शुरू में यह कक्षाएं ऑनलाइन रहीं। अब ऑफलाइन भी चल रही हैं। इनमें मेहनती व प्रखर बुद्धि वाले विद्यार्थियों का चयन कर सामान्य ज्ञान, भाषा, गणित, विज्ञान की समझ को बढ़ाते हुए उनके स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने का प्रयास हो रहा है। छात्र छात्राओं के इस समूह को सुपर 30 की संज्ञा दी गई है।
इस कोशिश ने बेसिक स्कूलों के विद्यार्थियों का राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा, राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना परीक्षा, नवोदय विद्यालय में चयन आदि के स्तर को बढ़ाया है। सुपर 30 के लिए संचालित कक्षाओं में विषय का ज्ञान देने के साथ प्रश्नपत्र का भी अभ्यास कराया जाता है।
प्रत्येक विद्यालय में पीए सिस्टम से प्रार्थना
नवाचारों के क्रम को बढ़ाते हुए सभी स्कूलों में बीएसए ने पब्लिक एड्रेस सिस्टम व ड्रम की खरीद कराई गई है। इसके जरिए प्रतिदिन संगीतम प्रार्थना, पीटी आदि कराई जा रही है।
सप्ताह के छह दिन में छह प्रार्थनाएं स्कूलों में हो रही हैं। इससे विद्यालय के वातावरण को बेहतर करने, ग्रामीणों की मानसिकता को बदलने, छात्र छात्राओं का रुझान स्कूलों के प्रति बढ़ाने में मदद मिल रही है। इसके लिए राष्ट्रीय शैक्षिक योजना व प्रशासन संस्थान नई दिल्ली ने बीएसए को सम्मानित भी किया है।
छात्रों के लिए बनवाई हस्ताक्षर पंजिका
छात्र छात्राओं में आत्मविश्वास व विशिष्टता का भाव जगाने, स्कूल के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए जिले के कौड़िहार विकासखंड के विद्यालयों में छात्र हस्ताक्षर पंजिका रखवाई गई। इसमें प्रतिदिन सभी विद्यार्थी अपनी कक्षा के अनुसार हस्ताक्षर कर उपस्थिति दर्ज कराते हैं। अगर कोई विद्यार्थी किसी कारण विद्यालय नहीं आया तो वह दोपहर में या अगले दिन आकर हस्ताक्षर बनाने के साथ प्रार्थनापत्र भी रखता है।
शिक्षक को अपने स्कूल न आने की वजह बताता है। इस गतिविधि को लेकर प्रत्येक विद्यार्थी उत्साहित रहता है। वह किसी भी हाल में अनुपस्थित नहीं होना चाहता।
स्कूल में आकर्षक गतिविधियां अभिभावकों व बच्चों को जोड़ती हैं। उसीक्रम में इस प्रयोग से बच्चों की समय से उपस्थिति व ठहराव बढ़ाने में मदद मिल रही है। मैं स्वयं सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं। अभिभावक की मानसिकता, बच्चों की आकांक्षा को समझता हूं। अब अपने समाज व राष्ट्र के लिए कुछ करने का अवसर है तो उसी दिशा में छोटे छोटे प्रयास कर रहे हैं।
-प्रवीण कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, प्रयागराज
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