संगम नगरी में शिक्षा की नई लहर, 'सरस्वती' प्रवाह से बदल रही तस्वीर; स्कूलों में संसाधन के लिए पुराछात्रों का सहयोग
प्रयागराज में शिक्षा की तस्वीर बदल रही है। सरस्वती प्रवाह नामक एक अनूठी पहल के तहत पुराछात्र सरकारी विद्यालयों में संसाधन जुटाने और शिक्षा को रोचक बनाने में योगदान दे रहे हैं। इस पहल के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को पढ़ें। यहां के करीब 1800 बेसिक स्कूलों में हमारा विद्यालय हमारा गौरव कार्यक्रम चल रहा है। इसके तहत स्कूलों में पुराछात्रों की सूची लगाई गई है।
1800 बेसिक स्कूलों में चल रहा कार्यक्रम
यहां के करीब 1800 बेसिक स्कूलों में हमारा विद्यालय हमारा गौरव कार्यक्रम चल रहा है। इसके तहत स्कूलों में ऐसे पुराछात्रों की सूची लगाई गई है जो किसी न किसी खास विभाग या पद पर कार्यरत हैं या सेवा दे चुके हैं। उन्हें माह में एक दिन विद्यालय आमंत्रित कर बच्चों से संवाद कराया जाता है। सक्षम पुराछात्रों से विद्यालय के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में भी सहयोग लिया जा रहा है।ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड में चल रही कक्षाएं
प्रत्येक विद्यालय में पीए सिस्टम से प्रार्थना
नवाचारों के क्रम को बढ़ाते हुए सभी स्कूलों में बीएसए ने पब्लिक एड्रेस सिस्टम व ड्रम की खरीद कराई गई है। इसके जरिए प्रतिदिन संगीतम प्रार्थना, पीटी आदि कराई जा रही है। सप्ताह के छह दिन में छह प्रार्थनाएं स्कूलों में हो रही हैं। इससे विद्यालय के वातावरण को बेहतर करने, ग्रामीणों की मानसिकता को बदलने, छात्र छात्राओं का रुझान स्कूलों के प्रति बढ़ाने में मदद मिल रही है। इसके लिए राष्ट्रीय शैक्षिक योजना व प्रशासन संस्थान नई दिल्ली ने बीएसए को सम्मानित भी किया है।छात्रों के लिए बनवाई हस्ताक्षर पंजिका
छात्र छात्राओं में आत्मविश्वास व विशिष्टता का भाव जगाने, स्कूल के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए जिले के कौड़िहार विकासखंड के विद्यालयों में छात्र हस्ताक्षर पंजिका रखवाई गई। इसमें प्रतिदिन सभी विद्यार्थी अपनी कक्षा के अनुसार हस्ताक्षर कर उपस्थिति दर्ज कराते हैं। अगर कोई विद्यार्थी किसी कारण विद्यालय नहीं आया तो वह दोपहर में या अगले दिन आकर हस्ताक्षर बनाने के साथ प्रार्थनापत्र भी रखता है। शिक्षक को अपने स्कूल न आने की वजह बताता है। इस गतिविधि को लेकर प्रत्येक विद्यार्थी उत्साहित रहता है। वह किसी भी हाल में अनुपस्थित नहीं होना चाहता।यह भी पढ़ें- Prayagraj News: मदरसे में चल रहा था नकली नोटों का कारोबार, चार गिरफ्तारस्कूल में आकर्षक गतिविधियां अभिभावकों व बच्चों को जोड़ती हैं। उसीक्रम में इस प्रयोग से बच्चों की समय से उपस्थिति व ठहराव बढ़ाने में मदद मिल रही है। मैं स्वयं सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं। अभिभावक की मानसिकता, बच्चों की आकांक्षा को समझता हूं। अब अपने समाज व राष्ट्र के लिए कुछ करने का अवसर है तो उसी दिशा में छोटे छोटे प्रयास कर रहे हैं।
-प्रवीण कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, प्रयागराज