Phulpur ByPoll: कांग्रेस की विरासत पर भाजपा-सपा में ठनी, लड़ाई में बसपा भी शामिल
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में प्रयागराज की एक सीट फूलपुर की बड़ी चर्चा है। यहां उपचुनाव में कांग्रेस की विरासत पर भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर है। बसपा भी इस लड़ाई में शामिल है। इस क्षेत्र से पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जीत हासिल की थी। अब देखना होगा कि इस बार कौन जीत हासिल करता है।
अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। इफको की ऊंची चिमनियां फूलपुर की ऐतिहासिक विरासत बताने के लिए काफी हैं। संयोगवश फूलपुर लोकसभा भी है और विधानसभा क्षेत्र भी। इस क्षेत्र से चुनाव कोई जीते-हारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर कौंध जाती है। इसी लोकसभा क्षेत्र से जीतकर उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
यह अलग बात है कांग्रेस अब क्षेत्र से अपने पुराने संबंधों को भुनाने में नाकामयाब रही है। वह सपा को समर्थन देने की भूमिका तक सिमट कर रह गई। इस गौरवशाली सीट को लेकर भाजपा और सपा के बीच ठनी है। बसपा भी ताल ठोंककर खड़ी है।फूलपुर विधानसभा सीट वर्तमान भाजपा सांसद प्रवीण पटेल के निर्वाचन के बाद खाली हुई।
इससे पहले वह 2017 और 2022 में लगातार दो बार विधायक चुने गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा के मंसूर आलम को 16,613 मतों के अंतर से हराया था। 2022 में जीत का अंतर मात्र 2,732 रह गया। सपा समर्थित मतदाता चुनावी बतकही में यह बताना नहीं भूलते, लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रवीण पटेल को 89,650 वोट मिले थे, सपा उम्मीदवार अमरनाथ मौर्य को 1,07,510 वोट प्राप्त हुए।
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इस तरह से भाजपा यहां 27,860 वोट से पीछे रह गई। चुनाव को लेकर मुखर रहने वाला फूलपुर का कर्नलगंज कस्बा इस बार मौन है। कुरेदने पर मो. अब्बास धर्मनिरपेक्षता के नाते सपा के समर्थन की बात करते हैं। गांव वीरभानपुर के किसान शिवकुमार मौर्य बताते नहीं थकते कि मोदी-योगी देश के लिए काम कर रहे हैं।
सारंगपुर के महेश तिवारी और बेलवा के हरिकेश सिंह भी भाजपा का पक्ष रखते नजर आए। सपा-भाजपा के दावों के बीच बसपा अलग चुनौती दे रही है। उसका भी काडर वोट है। भाजपा रणनीति के तहत अभी प्रत्याशी के नाम का पत्ता नहीं खोल रही। वजह यह कि सपा कहीं प्रत्याशी बदलने की घोषणा न कर दे। यदि उम्मीदवार बदल जाता है तो ध्रुवीकरण की आस टूट जाएगी।
सपा ने फिर मुज्तबा सिद्दीकी पर भरोसा जताया है। उधर बसपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो इस विधानसभा चुनाव में वह निरंतर तीसरे पायदान पर रही। 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के जगन्नाथ पाल को 27,806 वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव 2022 में इसी दल के राम तौलन यादव को 33,036 वोट मिले जबकि 2017 में यह आंकड़ा 50,421 था। उस समय बसपा के प्रत्याशी मोहम्मद मंसूर शेख थे।-पहले थी यह झूंसी विधानसभा, अब फूलपुर
2003-04 में परिसीमन हुआ। झूंसी विधानसभा सीट का नाम फूलपुर विधानसभा हो गया। झूंसी के कुछ क्षेत्र प्रतापपुर विधानसभा के हिस्से बन गए तो सोरांव के तमाम इलाके फूलपुर से जोड़ दिए गए। परिसीमन के बाद यहां पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 में हुआ। तब प्रवीण पटेल बसपा के टिकट पर जीते।2012 में सपा प्रत्याशी सईद अहमद जीते, 2017 व 2022 के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में प्रवीण पटेल सफल हुए। इनके पिता महेंद्र प्रताप सिंह ने झूंसी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था। 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने जबकि 1989 व 1991 में जनता दल से विधायक निर्वाचित हुए थे।
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-क्षेत्र में चार लाख सात हजार 366 मतदाताक्षेत्र में चार लाख सात हजार 366 मतदाता हैं। दो लाख 23 हजार 560 पुरुष तो महिलाओं की संख्या एक लाख 83 हजार 748 है। 58 किन्नर मतदाता हैं। लोकसभा चुनाव की तुलना में 6277 मतदाता कम हो गए हैं। कुल 220 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 54 शहरी क्षेत्र में और 166 ग्रामीण क्षेत्र में हैं।मतदेय स्थल की कुल संख्या 435 है। जातीय आधार पर देखें तो अनुसूचित जाति के करीब 75 हजार, यादव 70 हजार, पटेल 60 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, मुस्लिम 50 हजार, निषाद 22 हजार, वैश्य 16 हजार, क्षत्रिय 15 हजार मतदाता हैं।
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