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Phulpur bypoll results 2024 LIVE: फूलपुर में किसके सिर सजेगा ताज, कौन आगे-कौन पीछे, पढ़ें लाइव अपडेट्स

UP by election result फूलपुर के नतीजे आज आने वाले हैं। 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने ईवीएम में बंद कर दिया है। यहां कुल लगभग 43.45 प्रतिशत मतदान हुआ था। फूलपुर उपचुनाव में मतदान के लिए विधानसभा क्षेत्र में कुल 435 बूथ बनाए गए थे। पूरे विधानसभा क्षेत्र को पांच जोन तथा 38 सेक्टरों में बांटा गया था जहां जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 22 Nov 2024 11:28 PM (IST)
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भाजपा की जीत का हैट्रिक रोकने के लिए सपा-बसपा ने लगाया पूरा दम। जागरण
 जागरण डिजिटल डेस्‍क, प्रयागराज। Phulpur Upchunav result फूलपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव का आज परिणाम आने वाला है। यहां मैदान में उतरे 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतदाताओं ने बुधवार को ईवीएम में बंद कर दिया है। यहां कुल लगभग 43.45 प्रतिशत मतदान हुआ था।

फूलपुर उपचुनाव में मतदान के लिए विधानसभा क्षेत्र में कुल 435 बूथ बनाए गए थे। पूरे विधानसभा क्षेत्र को पांच जोन तथा 38 सेक्टरों में बांटा गया था, जहां जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे। मतदान के लिए कुल 1740 मतदान कार्मिकों की ड्यूटी लगाई गई थी। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल चार लाख सात हजार मतदाता हैं जिसमें दो लाख 23 हजार पुरुष और एक लाख 84 हजार महिला वोटर हैं।

प्रशासन और राजनीतिक दलों के तमाम प्रयास के बाद भी मतदान का प्रतिशत 50 के आंकड़े को भी नहीं छू सका। शाम पांच बजे तक के विवरण के अनुसार मात्र 43.44 प्रतिशत वोट पड़े। यह आंकड़ा प्रत्याशियों और उनके दलों को असमंजस में डालने वाला है। पलड़ा किस तरफ झुकेगा कहना कठिन है, हालांकि वे बूथवार पड़े वोटों की मीमांसा में जुटे हैं।

पिछले चुनाव नतीजों और उनके मतदान प्रतिशत पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि यहां अधिकांश बार 50 प्रतिशत से अधिक वोट पड़ते रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में 50.89 प्रतिशत वोट पड़ा था और भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव 2024 पर नजर दौड़ाएं तो इस विधानसभा में 56.35 प्रतिशत मतदान हुआ था। यहां भाजपा पिछड़ गई थी, हालांकि संपूर्ण लोकसभा के नतीजे पार्टी के पक्ष में आए थे, लेकिन हार जीत का अंतर बहुत कम था।

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2017 की बात करे तो कुल 58.80 प्रतिशत वोट पड़े थे। उस समय भाजपा उम्मीदवार की झोली में 42.24 प्रतिशत वोट आए थे। सपा को 30.27 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा था। बीएसपी को 22.68 प्रतिशत वोट मिले थे और पीछे झांके तो 2012 में वोटिंग का प्रतिशत 59.91 रहा। उस समय सपा उम्मीदवार सईद अहमद ने 38.75 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी।

दूसरे पायदान पर बसपा उम्मीदवार प्रवीण पटेल जो वर्तमान में भाजपा में हैं को 34.55 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। अन्य उम्मीदवार बहुत पीछे रह गए थे। अब राजनीति के बदले परिदृश्य में ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना कठिन हो रहा है।

फूलपुर विधानसभा से पूर्व विधायक दीपक पटेल को टिकट मिला है। इससे पहले वह सोलहवीं विधानसभा में 2012 में बसपा के टिकट पर करछना से विधायक चुने गए थे। उन्होंने सपा प्रत्याशी उज्ज्वल रमण सिंह को पराजित किया था।

2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे लेकिन उज्ज्वल से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोपों के साथ बसपा ने उन्हें व चार बार की जिला पंचायत रहीं उनकी मां केशरी देवी पटेल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

वर्ष 2018 में इस घराने ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केशरी देवी को फूलपुर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया। वह जीतने में सफल हुईं। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में दीपक ने अपने लिए टिकट मांगा, लेकिन एक परिवार एक टिकट की नीति के चलते उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया।

लोकसभा चुनाव 2024 में केशरी देवी का टिकट काटकर विधायक प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बना दिया गया। केशरी देवी ने इस पर नाराजगी जताई थी। इधर, प्रवीण के सांसद बनने से खाली हुई विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण को देखते भाजपा ने दीपक को उपचुनाव में उम्मीदवार बना दिया।

कांग्रेस की विरासत पर भाजपा-समाजवादी पार्टी में ठनी

इफको की ऊंची चिमनियां फूलपुर की ऐतिहासिक विरासत बताने के लिए काफी हैं। संयोगवश फूलपुर लोकसभा भी है और विधानसभा क्षेत्र भी। इस क्षेत्र से चुनाव कोई जीते-हारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर कौंध जाती है। इसी लोकसभा क्षेत्र से जीतकर उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। यह अलग बात है कांग्रेस अब क्षेत्र से अपने पुराने संबंधों को भुनाने में नाकामयाब रही है।

वह सपा को समर्थन देने की भूमिका तक सिमट कर रह गई। इस गौरवशाली सीट को लेकर भाजपा और सपा के बीच ठनी है। बसपा भी ताल ठोंककर खड़ी है। भाजपा से पूर्व विधायक दीपक पटेल, सपा से मुजतबा सिद्दीकी और बसपा से जितेंद्र सिंह चुनाव मैदान में हैं। फूलपुर विधानसभा सीट वर्तमान भाजपा सांसद प्रवीण पटेल के निर्वाचन के बाद खाली हुई।

इससे पहले वह 2017 और 2022 में लगातार दो बार विधायक चुने गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा के मंसूर आलम को 16,613 मतों के अंतर से हराया था। 2022 में जीत का अंतर मात्र 2,732 रह गया। सपा समर्थित मतदाता चुनावी बतकही में यह बताना नहीं भूलते, लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रवीण पटेल को 89,650 वोट मिले थे, सपा उम्मीदवार अमरनाथ मौर्य को 1,07,510 वोट प्राप्त हुए।

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इस तरह से भाजपा यहां 27,860 वोट से पीछे रह गई। चुनाव को लेकर मुखर रहने वाला फूलपुर का कर्नलगंज कस्बा इस बार मौन है। कुरेदने पर मो. अब्बास धर्मनिरपेक्षता के नाते सपा के समर्थन की बात करते हैं। गांव वीरभानपुर के किसान शिवकुमार मौर्य बताते नहीं थकते कि मोदी-योगी देश के लिए काम कर रहे हैं।

सारंगपुर के महेश तिवारी और बेलवा के हरिकेश सिंह भी भाजपा का पक्ष रखते नजर आए। सपा-भाजपा के दावों के बीच बसपा अलग चुनौती दे रही है। उसका भी काडर वोट है। भाजपा रणनीति के तहत अभी प्रत्याशी के नाम का पत्ता नहीं खोल रही। वजह यह कि सपा कहीं प्रत्याशी बदलने की घोषणा न कर दे। यदि उम्मीदवार बदल जाता है तो ध्रुवीकरण की आस टूट जाएगी।

सपा ने फिर मुज्तबा सिद्दीकी पर भरोसा जताया है। उधर बसपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो इस विधानसभा चुनाव में वह निरंतर तीसरे पायदान पर रही। 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के जगन्नाथ पाल को 27,806 वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव 2022 में इसी दल के राम तौलन यादव को 33,036 वोट मिले जबकि 2017 में यह आंकड़ा 50,421 था। उस समय बसपा के प्रत्याशी मोहम्मद मंसूर शेख थे।

क्षेत्र में चार लाख सात हजार 366 मतदाता

क्षेत्र में चार लाख सात हजार 366 मतदाता हैं। दो लाख 23 हजार 560 पुरुष तो महिलाओं की संख्या एक लाख 83 हजार 748 है। 58 किन्नर मतदाता हैं। लोकसभा चुनाव की तुलना में 6277 मतदाता कम हो गए हैं। कुल 220 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 54 शहरी क्षेत्र में और 166 ग्रामीण क्षेत्र में हैं। मतदेय स्थल की कुल संख्या 435 है। जातीय आधार पर देखें तो अनुसूचित जाति के करीब 75 हजार, यादव 70 हजार, पटेल 60 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, मुस्लिम 50 हजार, निषाद 22 हजार, वैश्य 16 हजार, क्षत्रिय 15 हजार मतदाता हैं।

पहले थी यह झूंसी विधानसभा, अब फूलपुर

2003-04 में परिसीमन हुआ। झूंसी विधानसभा सीट का नाम फूलपुर विधानसभा हो गया। झूंसी के कुछ क्षेत्र प्रतापपुर विधानसभा के हिस्से बन गए तो सोरांव के तमाम इलाके फूलपुर से जोड़ दिए गए। परिसीमन के बाद यहां पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 में हुआ। तब प्रवीण पटेल बसपा के टिकट पर जीते। 2012 में सपा प्रत्याशी सईद अहमद जीते, 2017 व 2022 के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में प्रवीण पटेल सफल हुए। इनके पिता महेंद्र प्रताप सिंह ने झूंसी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था। 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने जबकि 1989 व 1991 में जनता दल से विधायक निर्वाचित हुए थे।

ये हैं फूलपुर उपचुनाव के प्रत्‍याशी

दीपक पटेल-(भाजपा)

दीपक पटेल 2012 चुनाव में बसपा के टिकट पर करछना से विधायक चुने गए थे। वर्ष 2017 के चुनाव में भी वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। इनकी मां केशरी देवी पटेल 2019 में फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव जीती थीं।

मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी (सपा)

सपा प्रत्‍याशी मोहम्‍मद मुजतबा सिद्दीकी 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। उन्‍होंने भाजपा प्रत्‍याशी प्रवीण पटेल को कड़ी टक्‍कर दी थी। उन्‍हें 2723 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार फ‍िर से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इनपर दांव लगाया है।

जितेंद्र कुमार सिंह (बसपा)

बसपा सुप्रीमों मायावती ने फूलपुर से जितेंद्र कुमार सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाया है। हालांकि बसपा की ओर से पूर्व में घोषित शिव बरन पासी का टिकट काटकर जितेंद्र को दिया गया है।

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