Prayagraj Air Show: IAF एयर शो में आखिरी बार उड़ान भरेगा MIG-21... 112 वर्ष पहले शुरू हुई थी हवाई डाक सेवा
एक समय था जब यहां से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें आती-जाती थीं। लंदन के लिए तो सीधी फ्लाइट थी। वर्ष 1919 में बमरौली एयरपोर्ट का निर्माण हुआ। 1924 तक यहां एयरफील्ड को भी विस्तार दिया गया। उस समय देश में चार हवाई अड्डे ही ऐसे थे जहां से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें होती थीं बमरौली का एयरपोर्ट भी इसमें से एक था। यहां से 1932 तक लंदन के लिए सीधी उड़ान जाती थी।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 04 Oct 2023 05:11 AM (IST)
राजेंद्र यादव, प्रयागराज: वायुसेना दिवस के अवसर पर होने वाले एयर शो की तैयारियां जोरों पर हैं। 8 अक्टूबर को इस एयर शो में मिग-21 जेट आखिरी बार भाग लेगा। भारतीय वायुसेना विमान के शेष तीन स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
तीर्थराज प्रयाग न्याय, धर्म, साहित्य, शिक्षा के साथ व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है। यहां से देश-विदेश तमाम वस्तुएं हवाई डाक से भेजी जाती हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि संगम नगरी से पहली हवाई डाक सेवा शुरू हुई थी।
112 वर्ष पूर्व 1911 में फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने प्रयागराज (तब इलाहाबाद) से नैनी के लिए हैवीलैंड एयरक्राफ्ट से 6500 पत्रों को लेकर उड़ान भरी थी। 18 फरवरी 1911 की शाम 5:30 बजे एयरक्राफ्ट डाक लेकर उड़ा था। उस समय प्रयागराज में कुंभ मेला लगा था।
एयरक्राफ्ट हर किसी के कौतुहल का केंद्र था। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वह ऐसा दौर था जब जहाज देखना तो दूर लोगों ने उसके बारे में सुना भी नहीं था। डाक की उड़ान देखने के लिए एक लाख लोग एकत्र हुए थे। विशेष विमान ने यमुना नदी के किनारे से उड़ान भरी और नदी पार कर 15 किमी का सफर तय कर नैनी जंक्शन के समीप उतरा।
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यह हवाई सफर 13 मिनट में पूरा हुआ था। बताया कि आज हवाई डाक सेवा द्वारा पूरी दुनिया में डाक भेजी जा रही है। इसमें साधारण पत्र से लेकर स्पीड पोस्ट तक शामिल हैं।
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