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प्रयागराज में नक्सली फंडिंग को लेकर खंगाले जा रहे बैंक खाते, पूर्वांचल में पकड़े गए लोगों से मिले अहम सुराग

Prayagraj News प्रतिबंधित संगठन को दोबारा जीवित करने की कोशिश करने वालों के घर सर्च आपरेशन चलाने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम अब नक्सली फंडिंग को लेकर बैंक खातों की जांच कर रही है। आशंका जताई जा रही है कि सीपीआइ माओवादी की विचारधारा को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए उन्हें कहीं न कहीं से पैसा जरूर मिल रहा था।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Sun, 10 Sep 2023 09:05 PM (IST)
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प्रयागराज में नक्सली फंडिंग को लेकर खंगाले जा रहे बैंक खाते, पूर्वांचल में पकड़े गए लोगों से मिले अहम सुराग

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : प्रतिबंधित संगठन को दोबारा जीवित करने की कोशिश करने वालों के घर सर्च आपरेशन चलाने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम अब नक्सली फंडिंग को लेकर बैंक खातों की जांच कर रही है।

आशंका जताई जा रही है कि सीपीआइ माओवादी की विचारधारा को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए उन्हें कहीं न कहीं से पैसा जरूर मिल रहा था। इसी के तार जोड़ने के लिए संबंधित लोगों के बैंक ट्रांजेक्शन को खंगाला जा रहा है। छानबीन के दौरान अगर किसी के खाते में बड़ी रकम मिलती है और भेजने वाले का नाम सामने आता है तो उसे भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।

एनआइए ने प्रयागराज में की थी छापेमारी

सूत्रों का कहना है कि बिहार में सीपीआइ (माओवादी) की विचारधारा को प्रचारित करने और केंद्र सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह करने की कोशिश में दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद एनआइए ने प्रयागराज में भी छापेमारी की थी।

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यहां पीयूसीएल की प्रदेश अध्यक्ष सीमा आजाद समेत कई के घर पर सर्च आपरेशन चलाया गया था। इस दौरान कम्युनिस्ट और नक्सली साहित्य के साथ ही डिजिटल उपकरण जब्त किए गए थे।

जब्त किए गए दस्तावेजों से मिले अहम सुराग

बताया गया कि पूर्वांचल में पकड़े गए कुछ लोगों से पूछताछ और उनसे जब्त किए गए दस्तावेज से कई सुराग मिले हैं। उनकी तफ्तीश से प्रयागराज में नक्सल विचारधारा को लेकर सक्रियता दिखाने वाले कई नए नाम सामने आए हैं। उनके खातों में पैसा भेजने की बात भी कही जा रही है। ऐसे में उनके खिलाफ जमीनी स्तर पर जानकारी जुटाई जा रही है।

इंटरनेट मीडिया से लेकर किसानों और पूर्व में सक्रिय रहे संगठनों से संपर्क को लेकर छानबीन चल रही है। ताकि नक्सल कनेक्शन और फंडिंग की सच्चाई का पता लगाते हुए संबंधित के विरुद्ध कानूनी शिकंजा कसा जा सके।

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