'...तो आप IAS-IPS न होते', प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने डीएम-कमिश्नर को दे दी नसीहत
प्रयागराज में यूपीपीएससी परीक्षा को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने डीएम और कमिश्नर को नसीहत दी है। उनका कहना है कि अगर उनके समय में नॉर्मलाइजेशन होता तो वे आज डीएम या कमिश्नर नहीं होते। छात्रों का आरोप है कि आयोग परीक्षा कराने में अक्षमता छुपाने के लिए दो दिवसीय परीक्षा और नॉर्मलाइजेशन के नाम पर अभ्यर्थियों के भविष्य से खेल रहा है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के सचिव अशोक कुमार ने कहा कि शासन की गाइडलाइन के अनुसार पीसीएस-प्री (प्रारंभिक) परीक्षा निर्धारित तिथि सात और आठ दिसंबर को और आरओ-एआरओ परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी। प्रतियोगी छात्रों को सतर्क रहने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि कुछ अवैध कोचिंग संस्थानों, नकल माफिया और अराजक तत्वों द्वारा छात्रों को भ्रामक जानकारी देकर भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। आग्रह किया कि वे ऐसी गलत सूचनाओं से बचें और अपनी तैयारी पर ध्यान दें। अभ्यर्थियों के आग्रह पर ही पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा दो दिवस में कराने का निर्णय लिया गया है।
शासनादेश के अनुसार पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों वाली परीक्षा के लिए एक से अधिक पालियों में परीक्षा कराने का निर्देश है, पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में 5,76,154 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। इसके सापेक्ष 1758 केंद्र की जरूरत है पर 75 जिलो में मानक के अनुसार 978 केंद्र ही मिले। इसलिए परीक्षा दो दिवसों में करानी पड़ी।
वहीं आरओ-एआरओ के 10,76,004 अभ्यर्थियों के लिए 22 व 23 दिसंबर को तीन पालियों में परीक्षा होगी। नार्मलाइजेशन पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत के पूर्व मुख्यसांख्यिकीय विद की अध्यक्षता में लब्ध प्रतिष्ठित विशेषज्ञों कीउच्च स्तरीय समिति ने नार्मलाइजेशन का फार्मूला तैयार किया है। यह कंप्यूटर आधारित है और इसमें फूलप्रूफ है। नार्मलाइजेशन के संबंध में अभ्यर्थियों के पास कोई सुझाव हो तो वह हमें दे सकते हैं। इसे विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा जाएगा।
डीएम-कमिश्नर को दी नसीहत
....डीएम-कमिश्नर को भी दी नसीहत छात्रों को नार्मलाइजेशन के फायदे गिनाने आए डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ और पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा को भी छात्रों ने नसीहत दे डाली।कहा- आपके समय में नार्मलाइजेशन लागू होता तो आज पर डीएम या कमिश्नर नहीं होते। डीएम और पुलिस कमिश्नर ने प्रतियोगी छात्रों को दो दिवसीय परीक्षा कराने की वजह बताई और नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया को पारदर्शी बताते हुए आंदोलन खत्म करने की अपील की। इसपर छात्र भड़क गए और चिल्ला-चिल्ला कर नसीहत देने से मना करने लगे।
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