PUBG के चक्कर में बच्चे ने दे दी जान, मां से झगड़ा कर तोड़ा मोबाइल और उठा लिया खतरनाक कदम
पबजी गेम की लत ने एक 18 वर्षीय किशोर की जान ले ली। प्रयागराज के करेलाबाग में रहने वाले तेजा ने बुधवार रात अपनी मां से पबजी गेम खेलने को लेकर झगड़ा किया और गुस्से में मोबाइल तोड़ दिया। इसके बाद वह छत पर चला गया और फंदे से लटककर जान दे दी। इस घटना से पूरे परिवार में कोहराम मच गया है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अगर आपका बेटा या बेटी मोबाइल पर पढ़ाई करते हैं और आनलाइन गेम खेलते हैं तो उनकी मानीटरिंग जरूर करें। कहीं ऐसा न हो कि वह धीरे-धीरे मोबाइल का लती हो जाएं और गलत कदम उठा लें। शहर में ऐसी ही एक झकझोर देने वाली घटना हुई है।
करेलाबाग में रहने वाले 18 वर्षीय तेजा ने प्रतिबंधित पबजी गेम के चक्कर में पहले अपनी मां से झगड़ा किया, मोबाइल तोड़ा और फिर फंदे पर लटककर जान दे दी। जवान बेटे की मौत के बाद मां खुद को कोसती-बिलखती रही।
करेली क्षेत्र के करेलाबाग मोहल्ले में रहने वाला तेजा चौक के ठठेरी बाजार स्थित बर्तन की दुकान पर काम करता था। बीमारी के कारण उसके पिता रामभूषण घर पर ही रहते हैं। बताया गया है कि कुछ माह पूर्व तेजा और उसकी मां पार्वती ने पैसा मिलाकर मोबाइल खरीदा था।
बड़े भाई जीतू का कहना है कि बुधवार रात करीब 11 बजे पड़ोसी समीर ने तेजा के पास फोन करके पबजी गेम पर आने के लिए कहा। वह जैसे ही गेम में जुड़ा तो मां ने बहू को काल करने के लिए तेजा से मोबाइल मांगा। पबजी गेम के कारण उसने मां को मोबाइल नहीं दिया।
अलबत्ता झगड़ते हुए कहा कि मोबाइल खरीदने में पैसा मिला दिया तो मोबाइल ही मांगती रहती हैं। विवाद बढ़ने पर उसने मोबाइल जमीन पर पटककर तोड़ डाला और छत पर चला गया। परिवार के सदस्यों ने सोचा कि गुस्सा शांत होने पर नीचे आ जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। कुछ देर बाद साथी छत पर पहुंचा तो तेजा का फंदे पर लटका देख दंग रह गया।
इसे भी पढ़ें-28 अक्टूबर से 15 नवंबर तक प्रदेशवासियों को मिलेगी 24 घंटे बिजली, पहली बार 19 दिन तक नहीं होगी कटौतीशोर सुनकर घरवाले ऊपर पहुंचे और आनन-फानन उसे फंदे से उतारकर निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। यकीन न होने पर तेजा को काल्विन अस्पताल ले गए और वहां भी डाक्टरों ने मृत बताया। तब परिवार वाले डांट-फटकार को लेकर विवाद करने लगे।
अस्पताल से सूचना मिलने पर करेली थाने की पुलिस पहुंचकर छानबीन की। इसके बाद गुरुवार को पोस्टमार्टम की कार्रवाई हुई। चौकी इंचार्ज करेलाबाग अशोक यादव का कहना है कि मोबाइल के चक्कर में युवक ने आत्महत्या की है।मोबाइल एडिक्शन का शिकार होते बच्चे मनोवैज्ञानिक राजकुमार का कहना है कि मौजूद समय में तमाम बच्चे मोबाइल एडिक्शन का शिकार हो रहे हैं। इसके चलते वह आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को खुद पर संयम बरतना चाहिए और अभिभावकों को भी उनका ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के मोबाइल पर स्क्रीन टाइम सेट कर दें। इसके साथ ही उन्हें अन्य खेल की गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें।
यह करें बच्चे
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- पढ़ाई और जरूरी कार्य के लिए समय का प्रबंधन करें। मोबाइल का उपयोग केवल एक निश्चित समय के लिए ही करें और पढ़ाई के समय इसे दूर रखें।
- मोबाइल का उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिए करें। नोट्स बनाने, टाइम मैनेजमेंट, शैक्षिक वीडियो एप और पढ़ाई में मदद करने वाले एप का ही प्रयोग करें।
- लंबे समय तक मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं तो नियमित रूप से ब्रेक लें। इससे आंखों पर जोर कम होगा और मोबाइल की लत से बचा जा सकेगा।
- रात को सोते समय मोबाइल का उपयोग न करें। इसकी बजाय, किताब पढ़ने या ध्यान लगाने जैसी गतिविधियों पर ध्यान दें। मोबाइल से दूरी बनाए रखें।
- अपने लक्ष्यों और सपनों को ध्यान में रखते हुए मोबाइल के अनावश्यक उपयोग से बचें। जितना ज्यादा लक्ष्य पर केंद्रित रहेंगे, उतनी ही कम जरूरत होगी।
- बच्चों की गतिविधियों का ध्यान रखें और मोबाइल के उपयोग को लेकर लगातार मानीटरिंग करते रहें।
- बच्चों के मोबाइल की हिस्ट्री को चेक करके गेम, यूट्यूब, फेसबुक पर बीतने वाले टाइम का पता लगाएं।
- मोबाइल का उपयोग करने के संबंध में बच्चों के लिए टाइम टेबल बना दें और उसका पालन करवाएं।
- अगर बच्चे को मोबाइल की लत लगने लगी है तो उसके साथ दोस्ताना व्यवहार करें और समझाएं।
- मोबाइल के सदुपयोग और दुरुपयोग को बताएं, डांट-फटकार न लगाएं और उनसे प्यार से पेश आएं।