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Raksha Bandhan 2024: सुबह से रहेगा भद्रा का साया, भूलकर भी न बांधे राखी; जानिए किस समय बांधना होगा शुभ

इस बार भी रक्षाबंधन का पर्व पर भद्राकाल होने के कारण राखी दोपहर सवा एक बजे के बाद बांधी जाएगी। अगर कोई भद्राकाल में राखी बांधता अथवा बंधवाता है तो उसे गलत परिणाम भुगतना पड़ता है। पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक के अनुसार जिन बहनों के भाई नहीं हैं वे अपने पिता इष्टदेव अथवा किसी पेड़-पौधे को रक्षासूत्र बांध सकती हैं।

By Sharad Dwivedi Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 18 Aug 2024 06:00 PM (IST)
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रक्षाबंधन पर भद्राकाल में न बांधे राखी (प्रतिकात्मक फोटो)

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Raksha Bandhan Muhurat: श्रावण शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व कल (सोमवार को) मनाया जाएगा। भद्रा होने के कारण राखी दोपहर सवा एक बजे के बाद बांधी जाएगी।

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु में वर्णित है कि भद्राकाल में होलिका दहन व राखी नहीं बांधनी जाएगी। अगर कोई भद्राकाल में राखी बांधता अथवा बंधवाता है तो उसे गलत परिणाम भुगतना पड़ता है।

बताया कि 19 अगस्त की सुबह 8.50 बजे तक श्रवण नक्षत्र है। सुबह 8.51 बजे से घनिष्ठा नक्षत्र लग जाएगा। सौभाग्य योग सुबह 5.53 बजे तक है। इसके बाद शोभन याेग लग जाएगा। दोपहर 1.24 बजे तक भद्रा है। ऐसे में भद्रा खत्म होने के बाद दोपहर 1.25 बजे से राखी बांधी जाएगी।

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पेड़ को बांध सकती हैं रक्षासूत्र

पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार रक्षाबंधन बहन-भाई के स्नेह का पर्व है। जिन बहनों के भाई नहीं हैं, वे अपने पिता, इष्टदेव अथवा किसी पेड़-पौधे को रक्षासूत्र बांध सकती हैं।

बताया कि रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले सुबह स्नान और पूजा पाठ करके राखी की तैयारियां करें। फिर बहन भगवान गणेश का ध्यान करते हुए भाई के माथे पर चंदन, कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं। फिर भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे।

इसके बाद भाई को नारियल देते हुए मिठाई खिलाएं और दीपक जलाकर आरती करें। अंत में अपने इष्ट देवी या देवता का स्मरण करते हुए भाई की सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।

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