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कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका, 8 साल पुरानी प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बॉलीवुड कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा की याचिका खारिज कर दी है। गाजियाबाद के सिहानी गेट थाने में आठ साल पहले दर्ज प्राथमिकी को रद करने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में आरोप पत्र को चुनौती नहीं दी गई है। इस अभाव में राहत नहीं दी जा सकती है।

By Sharad Dwivedi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 25 Aug 2024 03:42 PM (IST)
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कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट से बालीवुड कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने गाजियाबाद के सिहानी गेट थाने में आठ साल पहले दर्ज प्राथमिकी को रद करने की मांग वाली याचिका पर राहत देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में आरोप पत्र को चुनौती नहीं दी गई है। इस अभाव में राहत नहीं दी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने रेमो डिसूजा की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याचिका पर प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता पंकज त्यागी और डा. आकाश त्यागी ने पक्ष रखा गया। अंडरवर्ल्ड डान प्रसाद पुजारी पर भी प्रतिवादी को पैसा मांगने पर धमकी देने का आरोप लगा है।

मामले के अनुसार रेमो डिसूजा पर आरोप है कि उन्होंने प्रतिवादी सत्येंद्र त्यागी से फिल्म में पांच करोड़ रुपये लगाने का आफर दिया था। कहा था कि पांच करोड़ लगाओगे तो 10 करोड़ रुपये मिलेगा। सालभर में पैसा वापस हो जाएगा। इस बात का आश्वासन दिया था। प्रतिवादी ने अलग-अलग तरीके से पांच करोड़

दिए, लेकिन सालभर में पैसा नहीं मिला तो उसने रेमो डिसूजा के खिलाफ गाजियाबाद के सिहानी गेट थाने में 16 दिसंबर 2016 को प्राथमिकी दर्ज कराई। प्राथमिकी दर्ज होने से पहले यह भी आरोप है कि रेमो डिसूजा ने प्रतिवादी को अंडरवर्ल्ड डान प्रसाद पुजारी से पैसा न मांगने की धमकी भी दिलाई थी।

मामले में पुलिस ने जांच करने के बाद रेमू डिसूजा और प्रसाद पुजारी के खिलाफ आइपीसी की धारा 420, 406 और 386 के तहत गाजियाबाद की ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। ट्रायल कोर्ट ने आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए रेमू डिसूजा को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के लिए समन जारी किया है। रेमो डिसूजा ने आपराधिक कार्रवाई को रद करने के लिए हाई कोर्ट के समक्ष गुहार लगाई।

याची के अधिवक्ता की ओर से तर्क दिया गया कि याची को गलत फंसाया गया है। सरकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोप पत्र को चुनौती नहीं दी गई है। याची द्वारा की गई मांग गलत है। याचिका खारिज किए जाने योग्य है। कोर्ट ने इन तर्कों को देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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