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शाही पर सवाल: बदलाव को मेला प्राधिकरण तैयार, प्रस्ताव की प्रतीक्षा

कुंभ मेले में शाही स्नान और पेशवाई जैसे शब्दों को बदलने की मांग उठी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शाही स्नान की जगह राजसी स्नान और पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश नाम रखने का प्रस्ताव दिया है। मेला प्रशासन ने इस मांग को सकारात्मक रूप से लिया है और कहा है कि अगर अखाड़ा परिषद की ओर से प्रस्ताव आता है तो उसे पूरा किया जाएगा।

By GYANENDRA SINGH1 Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 12 Sep 2024 12:47 PM (IST)
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‘शाही’ के स्थान पर ‘राजसी’ शब्द के प्रयोग करने की मांग हो रही है। जागरण

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से शाही स्नान की जगह राजसी स्नान व पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश नाम रखने का व्यापक असर हो रहा है। समाज के विभिन्न संगठनों ने परिषद की मांग का समर्थन किया है।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष (अध्यक्ष श्री निरंजनी अखाड़ा) श्रीमहंत रवींद्र पुरी की मांग को मेला प्रशासन ने सकारात्मक लिया है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि ‘शाही’ के स्थान पर ‘राजसी’ शब्द के प्रयोग करने की मांग को पूरी करने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अगर उससे जुड़ा प्रस्ताव अखाड़ा परिषद की तरफ आता है तो उसे पूरा किया जाएगा। इसमें किसी प्रकार की समस्या नहीं आएगी।

अखाड़े तो कुंभ और महाकुंभ की आभा व आकर्षण हैं। अखाड़ों के नगा संत कुंभ के गौरव और वैभव हैं। शब्दावली तो अखाड़ों की परंपरा से हैं, अखाड़े जो बदलाव करना चाहेंगे, वह संभव है। बस, इसके लिए अखाड़ों को मेला प्राधिकरण से लिखित तौर मांग करनी होगी।

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महाकुंभ के आयोजन में शाही स्नान के स्थान पर राजसी स्नान तथा पेशवाई के स्थान पर छावनी प्रवेश शब्दों को बदलने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण को कई ऐतिहासिक बदलाव करने होंगे। इस पर प्राधिकरण मंथन में जुट गया है।

मेला प्राधिकरण को शाही जैसे शब्दों के परिवर्तन को लेकर सरकारी प्रपत्रों में बदलाव करना पड़ेगा। शब्दावली को बदलने के लिए मेला प्राधिकरण को खासी कवायद करनी होगी। इसके लिए प्राधिकरण के अधिकारियों तथा अखाडों के प्रतिनिधियों व संतों की कमेटी गठित करनी होगी।

कमेटी के प्रस्ताव को मेला प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में एजेंडा के रूप में रखना होगा, जिसके बाद बोर्ड ही विशेष निर्णय लेते हुए प्रस्ताव को पारित कर सकता है। वैसे अभी महाकुंभ के पहले बोर्ड की दो बैठकें प्रस्तावित हैं। इनमें किसी एक बैठक में यह प्रस्ताव रखा जा सकता है।

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महाकुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा कि अखाड़ों के प्रतिनिधियों तथा संत-महात्माओं की ओर से अभी मेला प्राधिकरण इस तरह की मांग नहीं आई है और न ही कोई प्रस्ताव ही आया है। शब्दावली तो अखाड़ों की परंपरा से हैं, अखाड़े जो बदलाव करना चाहेंगे, उसमें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

मंडलायुक्त व चेयरमैन मेला प्राधिकरण विजय विश्वास पंत ने कहा कि शब्दावली को बदलने को लेकर मांग हुई तो मेला प्राधिकरण व अखाड़ों के पदाधिकारियों व संतों की कमेटी गठित की जा सकती है। कमेटी के प्रस्ताव को मेला प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में पारित कराया जा सकता है। अखाड़ों की ओर से मांग होने पर कार्यवाही शुरू कराई जा सकती है।

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