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Kanwar Yatra Order: दुकान का नाम प्रयाग, संचालक मियां चांद, 'नेम प्‍लेट' नियम से बढ़ी हलचल

कांवड़ यात्रा के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार ने कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के संचालक या मालिक को अपनी पहचान जाहिर करने के लिए नेम प्लेट लगानी होगी। इस आदेश पर विपक्ष योगी सरकार पर निशाना साध रहा है। लोग इस आदेश को तुरंत वापस लेने की बात कह रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 20 Jul 2024 11:13 AM (IST)
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अंदावा स्थित प्रयाग रेस्टोरेंट और प्रयागराज जंक्शन के गेट नंबर एक के समीप जनता टी स्टॉल l जागरण
 जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नाम लिखने का जो आदेश दिया है, उससे हलचल बढ़ गई है। स्पष्ट कहा गया है कि कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर संचालक, मालिक का नाम और पहचान लिखना अनिवार्य होगा।

इसके पीछे वजह यह है कि खाने-पीने की दुकानों पर नाम कुछ होता है और इसे संचालित करने वाले दूसरे लोग होते हैं। जैसा कि प्रयागराज जंक्शन के बाहर लीडर रोड पर है। प्रयागराज जंक्शन पर बड़ी संख्या में कांवड़िया ट्रेनों से उतरकर पैदल संगम जाते हैं। यहां चाय-नाश्ते की कई ऐसी दुकानें हैं, जिसका नाम जनता, प्रयाग, मिलन है, लेकिन इसे चलाते चांद, शमशाद, सलीम हैं।

अब इन सभी को अपनी दुकानों के बाहर अपना नाम लिखना जरूरी होगा। प्रयागराज जंक्शन के बाहर गेट नंबर दो के पास प्रयाग टी स्टाल है। नाम से ऐसा लगता है कि इसे चलाने वाले राजेश, महेश या कोई और नाम से होंगे, लेकिन इसके संचालक मियां चांद हैं।

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यह बात आसपास के दुकानदारों को पता है या चांद के जानने वालों को। जंक्शन पर ट्रेन पर बैठने या उतरने वाले लोगों को यह जानकारी नहीं रहती कि दुकान किसकी है। मगर अब उन्हें यहां लगने वाले बोर्ड से पता चल जाएगा कि प्रयाग टी स्टाल नाम की दुकान चांद की है।

सलीम और नसीम चलाते हैं प्रयाग ढाबा व रेस्टोरेंट

इसी प्रकार प्रयागराज-वाराणसी मार्ग स्थित अंदावा में प्रयाग ढाबा है। यह मोहम्मद सलीम का है। इसे उनके पुत्र मोहम्मद सुफीक चलाते हैं। ढाबे में कहीं भी सलीम व सुफीक का नाम नहीं लिखा है। रेट बोर्ड भी नहीं लगा है। हां इतना जरूर लिखा है कि यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है।

यहां गुरुवार को पुलिस ने आकर रेट बोर्ड आदि की जानकारी ली। इसी ढाबे के बगल उसके भाई मोहम्मद नसीम का प्रयाग रेस्टोरेंट है। यहां कांवरिया भी रुकते हैं। यहां भी कोई रेट बोर्ड नहीं लगा। संचालक का नाम भी नहीं लिखा है, लेकिन अब ढाबा व रेस्टोरेंट में संचालक का नाम व रेट बोर्ड लिखना जरूरी होगा।

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टी स्टाल का नाम लिखा पर संचालक का गायब गेट नंबर एक के पास जनता टी स्टाल है। बड़े अक्षरों में टी स्टाल के नाम के अलावा भीतर भी दीवारों पर कई चीजें लिखी गई हैं, जैसे फालतू बैठना मना है आदि। मगर कहीं भी दुकान मालिक का नाम नहीं लिखा। टी स्टाल के नाम से कोई यह बता नहीं सकता कि इसके संचालक शमशाद हैं।

इसी प्रकार जंक्शन के गेट नंबर एक व दो के बीच मिलन टी स्टाल है, इसे सलीम चलाते हैं। हालांकि, दुकान के नाम से यह पता नहीं चलता कि इसके संचालक सलीम हो सकते हैं। यही नहीं जंक्शन के गेट नंबर एक के ठीक बगल में फुटपाथ पर शराफत की चाय की दुकान है। यहां कोई बोर्ड या बैनर नहीं लगा है।

कुछ ऐसा नहीं दिखता, जिससे पता चल सके कि दुकान शराफत चलाते हैं या सुधीर। अब नए आदेश से हर किसी को पता चल जाएगा कि यह दुकान शराफत की है।

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