यूपी के इस शहर में नजूल भूमि पर बनेंगी दुकानें… तैयार करेगा निगम, इन लोगों को की जाएगी आवंटित
नजूल के छोटे भूखंडों पर नगर निगम स्थायी दुकान बनाने की योजना बना रहा है। यह वह भूखंड होंगे जिनका दायरा 40 से 100 वर्ग मीटर के आसपास है। नगर निगम नजूल विभाग की ओर से किस क्षेत्र में छोटे भूखंड हैं उनकी सूची अप्रैल से तैयार की जाएगी। नगर निगम की ओर से बनाई जाने वाली स्थायी दुकानों को गरीब परिवार को आवंटित किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। नजूल के छोटे भूखंडों पर नगर निगम स्थायी दुकान बनाने की योजना बना रहा है। यह वह भूखंड होंगे जिनका दायरा 40 से 100 वर्ग मीटर के आसपास है। नगर निगम नजूल विभाग की ओर से किस क्षेत्र में छोटे भूखंड हैं उनकी सूची अप्रैल से तैयार की जाएगी। नगर निगम की ओर से बनाई जाने वाली स्थायी दुकानों को उन गरीब परिवार को आवंटित किया जाएगा जो सड़कों के किनारे या फेरी लगाकर अपना परिवार पालते हैं।
सिविल लाइंस, कटरा, तेलियरगंज, बघाड़ा, जानसेनगंज, मुंडेरा, सुलेम सराय, दारागंज, अल्लापुर, सोहबतियाबाग, अलोपीबाग, नैनी, झूंसी सहित शहर के प्रमुख स्थानों पर नजूल की जमीन हैं। इसमें से कई भूखंडों की लीज समाप्त हो गई है। इन भूखंडों को निगम अब अपने कब्जे लेने की तैयारी कर रहा है। इसमें से छोटे भूखंडों पर दुकान बनाई जाएगी। बड़े भूखंडों पर स्थायी रैन बसेरा तैयार करने की बात कही जा रही है।
सूत्रों की मानें तो एजी ऑफिस के सामने वाली रोड, कमला नेहरू हॉस्पिटल की रोड, आजाद पार्क के पीछे की सड़क, जीटी रोड के बगल, राजापुर हनुमान मंदिर वाली सड़क, बेली हॉस्पिटल वाली सड़क आदि के आसपास छोटी दुकानों का निर्माण किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि इससे खाली जमीन से नगर निगम को बेहतर राजस्व प्राप्त होगा। नगर निगम के चीफ इंजीनियर सतीश कुमार का कहना है कि जमीनों को बेहतर उपयोग हो इसके लिए खास योजना बनाई जाएगी।
1500 से 1700 रुपये होगा किराया
नगर निगम की ओर से एक स्थायी दुकानों का किराया प्रतिमाह 1500 से 1700 के आसपास किया जाएगा। अलग-अलग सड़कों के किनारे 350 से अधिक दुकानें तैयार किया जाएगा।
शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए नजूल के छोटे भूखंडों पर दुकान तैयार कराने का विचार किया जा रहा है। इस प्रयास से नगर निगम के राजस्व में वृद्धि होगी। अगले वित्तीय वर्ष से इस पर काम शुरू हो जाएगा।
-गणेश केसरवानी, महापौर, प्रयागराज।