बेटी और पिता ने एक साथ पास की NEET की परीक्षा, हताश और निराश प्रतियोगी छात्रों को हौसला देगी ये रियल कहानी
कोविड-19 में पढ़ाई बाधित होने के चलते बेटी को हताशा से निकालने के लिये वे उसके सहपाठी बने। सफलता के रास्ते पर 18 वर्षीय बेटी मिताली के कदम बढ़ें। इसकी जिजीविषा उन्होंने जुनून के चरम तक की। 30 साल के चिकित्सीय सफर के बावजूद डा. खेतान ने नीट (यूजी) परीक्षा में हिस्सा लिया ताकि बेटी उनसे प्रेरित हो सके। अंततः बाप-बेटी दोनों को ही इसमें सफलता मिली।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Wed, 18 Oct 2023 12:50 PM (IST)
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। पढ़ाई में बाधाएं आने पर बच्चे हताश और निराश हो जाते हैं। माता-पिता का दबाव बढ़ने पर बच्चे अवसाद में चले जाते हैं। जबकि बच्चों को डांटने-फटकारने की बजाए दूसरा रास्ता भी अपनाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही अनुकरणीय व प्रेरक कार्य किया है प्रख्यात न्यूरो सर्जन डा. प्रकाश खेतान ने।
कोविड-19 में पढ़ाई बाधित होने के चलते बेटी को हताशा से निकालने के लिये वे उसके सहपाठी बने। सफलता के रास्ते पर 18 वर्षीय बेटी मिताली के कदम बढ़ें। इसकी जिजीविषा उन्होंने जुनून के चरम तक की।
30 साल के चिकित्सीय सफर के बावजूद डा. खेतान ने नीट (यूजी) परीक्षा में हिस्सा लिया, ताकि बेटी उनसे प्रेरित हो सके। अंततः बाप-बेटी दोनों को ही इसमें सफलता मिली। मिताली को नीट यूजी स्कोर के आधार पर देश के एक शीर्ष मेडिकल कालेज में प्रवेश मिल गया।
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भारत में सरकारी और निजी संस्थानों में मेडिकल (एमबीबीएस), डेंटल (बीडीएस) और आयुष (बीएएमएस, बीयूएमएस, बीएचएमएस, आदि) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिये राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नीट उत्तीर्ण होना जरूरी है।
49 वर्षीय न्यूरो सर्जन डा. प्रकाश खेतान की बेटी मिताली कोटा में नीट की तैयारी कर रही थी, लेकिन कोरोना और लाकडाउन के चलते पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ा। इससे उनकी तैयारी प्रभावित हो गई।
पढ़ाई में रुचि बनी रहे इसलिये मिताली संघर्ष करती रही। जब डा. खेतान ने उसके संघर्ष को देखा तो बेटी को प्रेरित करने के लिए वे भी नीट ( यूजी ) 2023 में शामिल हो गए।यह भी पढ़ें: बदायूं की खुशी ने यूट्यूब को बनाया 'गुरु', बिना कोचिंग नीट में हासिल की सफलता
मरीजों की चिकित्सा के अपने व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर डा. प्रकाश खेतान ने नीट परीक्षा के लिए अध्ययन शुरू किया। साथ में बेटी को बैठाते थे ताकि उसकी पढ़ाई मजबूत हो सके।सात मई को हुई परीक्षा में दोनों को अलग-अलग केंद्र मिले। डा. प्रकाश ने शिवकुटी में मिले केंद्र और मिताली ने झूंसी में मिले केंद्र में परीक्षा दी।यह भी पढ़ें: सूबेदार की बेटी मोनिका ने नीट की परीक्षा में पाई सफलता, बोली- ऑनलाइन पढ़ाई कर हासिल किया मुकाम
जून महीने में परीक्षा का परिणाम आया तो बेटी ने अपने पिता को पछाड़ दिया। उसे 90 प्रतिशत अंक हासिल किया, जबकि पिता को 89 प्रतिशत अंक मिले। इस प्रदर्शन के आधार पर मिताली को कर्नाटक के मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में प्रवेश मिल गया है।
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