दो मातृत्व अवकाश के बीच दो साल के अंतर का आदेश कानून के विरुद्ध: हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर की सहायक अध्यापिका कुशल राणा को 180 दिन का मातृत्व अवकाश देने से इनकार करने के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। याची सहायक अध्यापिका का मातृत्व अवकाश मंजूर कर नियमित वेतन भुगतान का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि नौ अगस्त 24 का आदेश कानून के तहत नहीं है। इसलिए रद्द किया जाता है।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालय मुंडिका मनकारा, रामपुर की सहायक अध्यापिका कुशल राणा को 180 दिन का मातृत्व अवकाश देने से इनकार करने के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के नौ अगस्त के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। याची सहायक अध्यापिका का मातृत्व अवकाश मंजूर कर नियमित वेतन भुगतान का आदेश दिया है।
कोर्ट ने बकाए का भुगतान भी छह सप्ताह में करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कुशल राणा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची ने बीएसए रामपुर को मातृत्व अवकाश की अर्जी दी, जिसे निरस्त कर दिया गया। कहा गया कि शासनादेश के अनुसार दो बच्चों के मातृत्व अवकाश के बीच दो साल का अंतर होना चाहिए। याची के मामले में ऐसा नहीं है। पहले बच्चे के मातृत्व अवकाश की समाप्ति व दूसरे बच्चे के मातृत्व अवकाश की शुरुआत के बीच दो साल का अंतर होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा इस मुद्दे पर हाई कोर्ट का रेनु चौधरी केस में फैसला आ चुका है। नौ अगस्त 24 का आदेश कानून के तहत नहीं है। इसलिए रद्द किया जाता है।
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