पटरियों के किनारे दुकान लगाने वाले मांग रहे BMW-ऑडी कार, दहेज की झूठी शिकायतों पर HC ने जताई नाराजगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है आजकल दहेज की मांग को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। पटरियों के किनारे दुकान लगाने वाले पतियों पर बीएमडब्ल्यू या ऑडी कार की मांग करने का आरोप लगाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शिकायतों में आरोपित की कमाई और उसकी वित्तीय स्थिति में मेल नहीं है। ऐसी झूठी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है आजकल दहेज की मांग को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। पटरियों के किनारे दुकान लगाने वाले पतियों पर बीएमडब्ल्यू या ऑडी कार की मांग करने का आरोप लगाया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शिकायतों में आरोपित की कमाई और उसकी वित्तीय स्थिति में मेल नहीं है। ऐसी झूठी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। अदालतों को ऐसे मामलों में फैसला करते हुए अजीब स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी शिकायतें अकल्पनीय ही नहीं आश्चर्यचकित करने वाली हैं।
आपराधिक अपील स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने की टिप्पणी
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने साजिद की आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। शिकायतकर्ता शहजाद अली की अपील कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हापुड़ के सत्र न्यायाधीश/एफटीसी ने साजिद को घरेलू हिंसा, दहेज हत्या के प्रयास सहित दहेज उत्पीड़न का दोषी पाते हुए दस वष की सजा सुनाई थी।शिकायतकर्ता शहजाद अली की शिकायत को सही नहीं मानते हुए दहेज उत्पीड़न के आरोपित साजिद के पिता नजाकत अली, मां जैतून और भाई जाकिर को बरी कर दिया था। शहजाद ने इन तीनों को बरी किए जाने को और साजिद ने अपनी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।कोर्ट ने कहा कि शिकायत कर्ता शहजाद अली परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति है, जो यह मानता है कि उसकी मासिक आमदनी 18 हजार रुपये से 20 हजार रुपये ही है। इन स्थितियों में वह अपनी बेटी के नाम प्लाट पर प्लाट खरीद रहा है, जो अकल्पनीय है, जो कि इस मासिक आय के स्रोत से नहीं खरीदा जा सकता है।
कोर्ट ने शहजाद अली की अपील में पाया कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों नजाकत, जैतून और जाकिर को बरी कर सही किया है। कोर्ट ने शहजाद की अपील पर ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साजिद की अपील में ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही नहीं माना और कहा कि साजिद के खिलाफ दिया गया फैसला एकतरफा और गलत है। लिहाजा, उसे रद किया जाता है।शहजाद ने अपनी बेटी नजराना की शादी साजिद की थी। शादी में शिकायतकर्ता ने 51 हजार रुपये नकद एक मोटरसाइकिल, सोने और चांदी के गहने और लकड़ी और लोहे के अन्य घरेलू सामान दिए थे लेकिन साजिद और उसके परिवार के लोग खुश नहीं थे और उससे दहेज की मांग करते थे।
शिकायत के अनुसार, दहेज के लिए उसकी पुत्री के शरीर पर केरोसीन तेल छिड़कर आग लगा दी। मामले की प्राथमिकी हापुड़ के सिंभावली थाने में दर्ज हुई थी। ट्रायल कोर्ट ने पति साजिद को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ सजा सुनाई थी। जबकि परिवार के बाकी सदस्यों को बरी कर दिया था।साजिद ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। साजिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फरमान अली नकवी ने घटना को साजिश बताया। कहा कि अपीलकर्ता को फंसाने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। अधिवक्ता ने अभियोजन के गवाही पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने इसे सही मानते हुए पति को भी बरी कर दिया।
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