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Tirupati Laddu Controversy: अखाड़ा परिषद तैयार करवा रहा 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' का प्रारूप

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्राचीन मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने के साथ सनातन धर्म रक्षा बोर्ड की मांग उठाई है। अखाड़ा परिषद बोर्ड का प्रारूप तैयार करवा रहा है। इसमें 13 अखाड़ों के प्रमुख संतों हर प्रदेश के हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज वरिष्ठ अधिवक्ता तीर्थपुरोहित व एक हिंदू प्रशासनिक अफसर को शामिल करने का सुझाव दिया गया है।

By Sharad Dwivedi Edited By: Vinay Saxena Updated: Mon, 23 Sep 2024 09:45 AM (IST)
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। तिरुपति मंदिर में अर्पित होने वाले प्रसादम् लड्डू में गाय की चर्बी व मछली का तेल मिलाने का मामला प्रकाश में आने पर संत कुपित हैं। सनातन धर्मावलंबियों की भावनाएं आहत हैं। बदली परिस्थिति में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्राचीन मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने के साथ 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' की मांग उठाई है।

अखाड़ा परिषद बोर्ड का प्रारूप तैयार करवा रहा है। इसमें 13 अखाड़ों के प्रमुख संतों, हर प्रदेश के हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज, वरिष्ठ अधिवक्ता, तीर्थपुरोहित व एक हिंदू प्रशासनिक अफसर को शामिल करने का सुझाव दिया गया है। प्राचीन मंदिरों की गतिविधियों की देखरेख सरकार के बजाय बोर्ड के माध्यम से कराने की मांग की गई है।

...तो मंद‍िरों पर क्‍यों क‍िया गया न‍ियंत्रण?

15 राज्यों में लगभग चार लाख मंदिर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सरकार के नियंत्रण में है। अखाड़ा परिषद का मानना है कि जब किसी पंथ व धर्म के आराधना स्थल में सरकार का दखल नहीं है तो मंदिरों पर नियंत्रण क्यों किया गया है? सरकारी दखल होने से मंदिरों की परंपरा व व्यवस्था खंडित हो रही है। लड्डू में गाय की चर्बी मिलाना उसका जीवंत उदाहरण है। सरकार के तमाम अधिकारी गैर सनातन धर्मावलंबी होते हैं। उनके अंदर मंदिरों के प्रति न आस्था होती है, न उसकी परंपरा से जुड़ाव है। ऐसे लोग मनमाना काम करते हैं, जिससे व्यवस्था बिगड़ती है।

ऐसे में मंदिरों के संचालन के लिए 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' बनाकर उसे देशभर में लागू करना चाहिए। अखाड़ा परिषद की बैठक में 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' के प्रारूप पर चर्चा करके उसका प्रस्ताव पारित किया जाएगा। फिर उसे केंद्र व समस्त राज्य सरकारों को भेजकर उचित कार्रवाई की मांग की जाएगी।

बोर्ड को मिले संवैधानिक अधिकार: रवींद्र पुरी

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना है कि जैसे तमाम आयोगों को संवैधानिक दर्जा मिला है। उसी तरह 'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' को अधिकार मिलना चाहिए। बोर्ड में अखाड़ा परिषद का जो अध्यक्ष रहे उसी को बोर्ड का चेयरमैन बनाया जाना चाहिए, क्योंकि उनके संपर्क में देशभर के धर्माचार्य रहते हैं। 13 अखाड़ों के संतों, पुराेहितों व तीर्थपुरोहितों को शामिल करने से धार्मिक स्तर पर त्रुटियां नहीं होने पाएंगी। चेयरमैन सहित बोर्ड में कुल 21 सदस्य होने चाहिए। इसका प्रस्ताव अखाड़ा परिषद की बैठक में पास करके सरकार को भेजा जाएगा।

प्रतिमाह समीक्षा की जरूरत

'सनातन धर्म रक्षा बोर्ड' की हर प्रदेश में प्रतिमाह अलग-अलग तारीखों में बैठक कराने का सुझाव दिया गया है। उक्त प्रदेश के मंदिरों के प्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक में समस्त व्यवस्था पर चर्चा की करके व्यवस्था का आंकलन किया जाएगा।

गुरुकुल को बढ़ावा देने पर जोर

अखाड़ा परिषद की ओर से मंदिरों से होने वाली आय से गुरुकुल, गोशाला, संस्कृत व वैदिक विद्यालय, चिकित्सालय का संचालन कराने पर जोर दिया जा रहा है।

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