UP News: इलाहाबाद हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी- सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो वायरल होना, सामाजिक गिरावट का नतीजा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट (सोशल) मीडिया पर अश्लील वीडियो का प्रसार सामाजिक गिरावट का नतीजा है। ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को जांच करते समय उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अभियुक्त सूरज की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए की है। कोर्ट ने डीजीपी को पुलिस विवेचना की खामियां दूर करने के लिए फौरी कदम उठाने का निर्देश दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Tue, 07 Nov 2023 05:38 PM (IST)
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट (सोशल) मीडिया पर अश्लील वीडियो का प्रसार सामाजिक गिरावट का नतीजा है। ऐसे मामलों में, पुलिस अधिकारियों को जांच करते समय उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अभियुक्त सूरज की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए की है।
कोर्ट ने डीजीपी को पुलिस विवेचना की खामियां दूर करने के लिए फौरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। साथ ही जौनपुर के पुलिस अधीक्षक को वायरल वीडियो की बरामदगी न करने के स्पष्टीकरण के साथ अगली सुनवाई की तिथि पर हाजिर होने का आदेश दिया है।
गवाह ने बयान दिया कि अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया, किंतु विवेचना अधिकारी ने उस वीडियो की बरामदगी नहीं की। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है।
यूपी पुलिस को मिली फटकार
कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता ‘बहुत ही कमजोर’ है जो ‘सामाजिक आक्रोश’ का कारण बन सकता है। कोर्ट ने कहा लगता है कि आदेश का पालन नहीं किया जा रहा अथवा पुलिस आईटी से संबंधित अपराधों की विवेचना की गुणवत्ता कायम रखने में विफल है।
कोर्ट ने विवेचना की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पुलिस को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने का भी निर्देश दिया है। प्रकरण में अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।
यह भी पढ़ें: रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ फिर से NBW जारी, वारंट की तामिला के लिए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को सौंपी जिम्मेदारी
यह भी पढ़ें: यूपी में फिर बदनाम हुई खाकी, 10 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए दारोगाजी; एंटी करप्शन टीम ने दबोचा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।