Move to Jagran APP

UP Weather News: यूपी में दीवाली-छठ के बाद धुंध-प्रदूषण बढ़ा, संगमनगरी की हवा तेजी से हो रही खराब

दीवाली और छठ के बाद धुंध और प्रदूषण का प्रकोप बढ़ गया है। संगमनगरी प्रयागराज की हवा तेजी से खराब हो रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 120 तक पहुंच गया है। मौसम विभाग ने अगले सात दिनों में सुबह हल्की धुंध की आशंका जताई है। बढ़ते प्रदूषण और गिरते तापमान को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि अस्थमा और सांस रोगों से पीड़ित लोग धुंध से बचें।

By amardeep bhatt Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 10 Nov 2024 08:00 AM (IST)
Hero Image
सिविल लाइंस के पास चौराहे से धुंध के बीच गुजरते राहगीर l जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सर्दी का असर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। तापमान गिरने के साथ ही धुंध ने शहर पर अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक में भी वृद्धि हुई है। अभी तक 100 के नीचे रहने वाला एक्यूआइ अब 132 तक पहुंच गया है।

सुबह हल्की धुंध स्माग की आहट दिखा रही है कि आने वाले दिनों में शहर स्माग की चपेट में आ सकता है।मौसम विभाग ने अगले सात दिनों में सुबह हल्की धुंध छाए रहने की आशंका जताई है, मौसम में ठंडक बढ़ने के साथ इसमें बढ़ोत्तरी होगी।

यह एक्यूआइ शहर के साफ सुथरे क्षेत्र से लिया गया है पर जहां निर्माण कार्य चल रहे हैं वहां एक्यूआइ 200 के करीब पहुंच गया है।यह चिंताजनक है। प्रयागराज का न्यूनतम तापमान अब 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है। पिछले 24 घंटों में यह 19.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो सामान्य से लगभग 3.9 डिग्री कम है।

धुंध का असर। जागरण


अधिकतम तापमान 33.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो स्थिर रहा। मौसम विभाग के अनुसार अगले सप्ताह तक सुबह के समय हल्की धुंध छाई रहेगी। झूंसी और एमएनएनआइटी में राम नौ बजे एक्यूआइ 127 दर्ज किया गया जबकि नगर निगम सिविल लाइंस में एक्यूआइ 132 रहा।जो प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी का संकेत है। हालांकि यह स्तर गंभीर श्रेणी में नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के लिहाज से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

इसे भी पढ़ें-आज पूर्वोत्तर रेलवे रूट से चलेंगी 46 पूजा स्पेशल ट्रेनें, जल्‍दी करें बुकिंग, खाली है सीट

मौसम विभाग ने 15 नवंबर के बाद एक्यूआइ और बढ़ने की आशंका व्यक्त की है। ठंड बढ़ती है तो प्रदूषक तत्व हवा में बने रहते हैं और साफ होने में अधिक समय लेते हैं, जिससे धुंध के साथ-साथ वायु गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

मौसम विभाग के अनुसार तापमान में गिरावट और हवा की धीमी गति के कारण धुंध का प्रभाव और अधिक हो सकता है। बढ़ते प्रदूषण और गिरते तापमान को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि अस्थमा और सांस रोगों से पीड़ित लोग धुंध से बचें।

संगम में अठखेलियां करती साइबेरियन पंक्षी। जागरण


धुंध और धूल मिलकर बनाती है स्माग

ठंड की शुरु होने के साथ ही वायुमंडलीय दबाव में कमी आती है। जिसकी वजह से प्रदूषक तत्व वायुमंडल से बाहर नहीं जा पाते और धरती के उपर जाकर जमा हो जाते हैं।तापमान में अचानक गिरावट होती आने से वायुमंडल में नमी जम जाती है और धुंध बनती है।ऐसे में धुंध और धूल के महीन कण तथा प्रदूषकों के मिश्रण से बनता स्माग बनता है। धुंध और प्रदूषण श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं और सांस लेने में समस्या होती है।

क्या करें हम

  • ज्यादा से ज्यादा सार्वजिनक परिवहन का प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा करने पर सड़क पर वाहनों का बोझ कम होगा और वाहनों के कम होने से सड़क पर धुआं भी कम होगा।
  • सफर के दौरान जाम या रेड लाइट होने पर कार और बाइक का ईंजन बंद कर दें। दूसरों को भी ऐसा करने की सलाह दें। यह मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन बिल्कुल नहीं है।
  • अपने घर, गली, या मोहल्ले में मौजूद सफाईकर्मी को भी पानी का छिड़काव करने के बाद ही झाड़ू लगाने की सलाह दें।
  • अपने आसपास मौजूद पेड़ों पर भी पानी का छिड़काव करें, जिससे उन पर जमी धूल की परत हट जाए और जिस मकसद से वह लगाए गए हैं वह मकसद पूरा हो सके।
इसे भी पढ़ें-लंबे समय तक यौन संबंध से इन्कार बन सकता तलाक का आधार : हाई कोर्ट

क्या करे प्रशासन

  • प्रशासन को चाहिए कि निजी वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों में जागरुकता पैदा करे।
  • इसके लिए जरूरी है कि वह लोगों की सुविधा के लिए अपने वाहनों की संख्या में इजाफा करे।
  • रेड लाइट पर वाहनों के ईंजन बंद करने के लिए कोई नियम कानून बनाए।
  • ऐसी जगह जहां पर हर रोज जाम की स्थिति होती है वहां के लिए प्लान तैयार करे जिससे वहां पर जाम न लग सके। इसके लिए विकल्प के तौर पर दूसरे मार्ग को तलाशा जाना चाहिए।
  • नगर निगम को चाहिए कि पेड़ों पर पानी का छिड़काव कर उनपर जमी मिट्टी को हटाए।
सांस, फेफड़े के रोगी ज्यादा सतर्क रहें

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के वरिष्ठ चेस्ट एवं टीबी रोग विशेषज्ञ डा. अमिताभ दास शुक्ला का कहना है कि घर से बाहर निकलें तो मास्क लगाएं, जिन्हें सांस और फेफड़े की बीमारी पहले से है उन्हें इन दिनों ज्यादा बचाव करना है। जहां निर्माण कार्य हो रहे हैं जरूरी न हो तो उधर न जाएं। सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत आ रही है तो नजरंदाज किए बिना फौरन किसी योग्य चिकित्सक को दिखाएं।

पीएम 2.5

ऐसे कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है। ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। इनके प्रमुख उत्सर्जक स्नोत मोटर वाहन, पावर प्लांट, लकड़ियों का जलना, जंगल की आग, कृषि उत्पादों को जलाना हैं।

पीएम 10

ऐसे सूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 से लेकर 10 माइक्रोमीटर तक होता है। इन कणों के प्राथमिक स्नोत सड़कों पर वाहनों से उठने वाली धूल, निर्माण कार्य इत्यादि से निकलने वाली धूल हैं।

दुष्परिणाम

10 माइक्रोमीटर से कम के सूक्ष्म कण से हृदय और फेफड़ों की बीमारी से मौत तक हो सकती है। सूक्ष्म कणों के प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित समूह ऐसे लोग होते हैं जिन्हें हृदय या फेफड़े संबंधी रोग होते हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।