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नॉर्मलाइजेशन पर ‘नरम’ हुआ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, कहा- जो जरूरी होगा वो किया जाएगा, अभ्यर्थियों से मांगा सुझाव

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में निष्पक्ष मूल्यांकन को लेकर नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया विवाद के केंद्र में है। नॉर्मलाइजेशन पद्धति को लेकर अपना पक्ष रखते हुए आयोग ने दावा किया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी है और राधाकृष्णन समिति जैसी प्रतिष्ठित समितियों द्वारा भी इसकी अनुशंसा की गई है। आयोग ने नॉर्मलाइजेशन से असंतुष्ट अभ्यर्थियों से सुझाव भी मांगे हैं।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 13 Nov 2024 07:59 AM (IST)
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आयोग ने नॉर्मलाइजेशन पद्धति को लेकर अपना पक्ष रखा है।
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज। प्रतियोगी परीक्षाओं में निष्पक्ष मूल्यांकन को लेकर नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया एक बार फिर विवाद के केंद्र में है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा दो दिवसीय परीक्षा और परीक्षा परिणामों के मूल्यांकन हेतु नॉर्मलाइजेशन पद्धति को लेकर अपना पक्ष रखा है।

इसे पारदर्शी बताते हुए आयोग ने दावा किया है कि राधाकृष्णन समिति जैसी प्रतिष्ठित समितियों द्वारा भी इसकी अनुशंसा की गई है। वहीं छात्रों का तर्क है कि नॉर्मलाइजेशन के कारण उनकी योग्यता का वास्तविक मूल्यांकन नहीं हो पाएगा, और इससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं। 

असंतुष्ट अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत: आयोग

आयोग ने कहा कि नॉर्मलाइजेशन से असंतुष्ट अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत है। सुधार-सुझाव और बेहतर व्यवस्था हो तो अभ्यर्थी दे सकते हैं, जिससे कि लब्धप्रतिष्ठित विशेषज्ञों की समिति के समक्ष सारी चीज रखी जाएगी और जो शुचिता गुणधर्मिता, अभ्यर्थियों के हित में आवश्यक होगा, उसका पालन किया जाएगा।

राधाकृष्णन कमेटी ने की नॉर्मलाइजेशन की सिफारिश

आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को अपनाने का उद्देश्य विभिन्न पालियों में आयोजित परीक्षाओं के कठिनाई स्तर में असमानता को संतुलित करना है।

उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया देश के कई प्रतिष्ठित भर्ती आयोगों में अपनाई जा चुकी है। राधाकृष्णन कमेटी द्वारा नीट जैसी परीक्षाओं के लिए भी दो पालियों में परीक्षा कराने की सिफारिश की गई थी, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। इस प्रक्रिया में रोल नंबर को एक यूनिक नंबर में परिवर्तित किया जाता है, जिससे मूल्यांकन में पक्षपात न हो सके। यह प्रणाली सिस्टम-ड्रिवेन है, जिसमें मानवीय हस्तक्षेप को न्यूनतम रखा गया है।

छात्रों को परीक्षा परिणामों में भेदभाव की आशंका

दूसरी ओर, छात्रों का एक वर्ग नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के प्रवक्ता प्रशांत पांडेय का कहना है कि अलग-अलग शिफ्टों में हुए प्रश्न पत्रों की कठिनाई में अंतर हो सकता है, जो नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से भी पूरी तरह संतुलित नहीं हो पाएगा। 

छात्रों का मानना है कि यदि एक शिफ्ट का पेपर सरल और दूसरी शिफ्ट का कठिन हुआ, तो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया सही निष्कर्ष नहीं दे पाएगी और इससे परीक्षा परिणामों में भेदभाव हो सकता है। विवादास्पद प्रश्नों के चलते यह मामला कानूनी उलझनों में फंस सकता है, जिससे छात्रों का समय और मेहनत दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

छात्रों के आग्रह पर स्केलिंग प्रणाली समाप्त आयोग

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते दौर की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय हटाने का निर्णय लिया गया। प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि स्केलिंग की वजह से मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के नंबर कम हो जाते हैं और विज्ञान विषय एवं अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते हैं। अब वैकल्पिक विषय हट जाने से इस शिकायत का निराकरण हो गया है।

परीक्षार्थी छात्रों के सुझाव पर लिए गए कई निर्णय: आयोग

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि परीक्षाओं की शुचिता के संदर्भ में अभ्यर्थियों ने ही पुरजोर से यह बात रखी थी कि स्वयं-वित्तपोषित विद्यालय परीक्षा केंद्र नहीं होने चाहिए, साथ ही साथ परीक्षा केंद्र जिला मुख्यालय से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। अभ्यर्थियों की यह बात उचित थी, इसी क्रम में यह निर्णय लिया गया।

एक पद के सापेक्ष में 15 गुना अभ्यर्थी

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पहले पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष में 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु सफल घोषित किया जाता था। सुधारों के क्रम में आयोग ने इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है, ताकि अधिक अभ्यर्थियों को लाभ हो। पीसीएस इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष दो अभ्यर्थियों के बजाय अब तीन को साक्षात्कार के लिए साक्षात्कार में बुलाया जा रहा है।

साक्षात्कार के लिए अपनाई गई संस्थागत प्रक्रिया

आयोग ने साक्षात्कार निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ कराने के लिए कोडिंग व्यवस्था बनाई है। अभ्यर्थी का एक यूनीक कोड होता है। साथ ही विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार हुए विशेष अव्यवस्थित कोड से अभ्यर्थी को अंतिम समय तक यह नहीं पता लग पाता है कि उसे किस पैनल के सामने उपस्थित होना है। साक्षात्कार के लिए बुलाए विशेषज्ञों की पहचान अत्यंत गोपनीय रखी जाती है।

उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को बनाया गया है फूलप्रूफ

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को भी फूलप्रूफ बनाया गया है। शुचितापूर्ण मूल्यांकन हेतु कापियों पर रोल नंबर की जगह एक खास कोड होता है, जिससे परीक्षक को यह नहीं पता चल पाता है कि वह किसकी कॉपी जांच रहा है। इसके अलावा आयोग ने बताया कि वन टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) की व्यवस्था लागू की गई है। 22 माह में लगभग 19,34,027 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।

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