Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Mahakumbh 2025: 'महाकुंभ में सीधे मिले 400 बीघा भूमि', वैष्णव संतों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

प्रयागराज में 2025 में होने वाले महाकुंभ के लिए वैष्णव संप्रदाय के संतों ने 400 बीघा जमीन की मांग की है। उनका कहना है कि मेला प्रशासन सीधे संतों को जमीन आवंटित करे किसी संगठन के माध्यम से न किया जाए। इसके लिए सीएम को पत्र लिखा गया है। कहा गया है कि संत माघ कुंभ व महाकुंभ मेला की गरिमा बढ़ाते हैं। फिर भी उनपर ध्यान नहीं दिया जाता।

By Sharad Dwivedi Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 01 Sep 2024 03:03 PM (IST)
Hero Image
आचार्यबाड़ा ने चार सौ बीघा जमीन की उठाई मांग (प्रतिकात्मक फोटो)

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। वैष्णव सम्प्रदाय के संतों ने महाकुंभ में शिविर लगाने के लिए चार सौ बीघा जमीन मांगी है। साथ ही मेला प्रशासन से सीधे संतों को जमीन का आवंटन करने का आग्रह किया है। इसको लेकर अखिल भारतीय श्रीरामानुज वैष्णव समिति आचार्यबाड़ा के महामंत्री स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य कौशल जी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

पत्र में लिखा है कि वैष्णव सम्प्रदाय के संत माघ, कुंभ व महाकुंभ मेला की गरिमा बढ़ाते हैं। इसके बावजूद उनके ऊपर अपेक्षा के अनुरूप ध्यान नहीं दिया जाता।

बिना किसी संगठन के सीधे आवंटन की मांग

महाकुंभ में वैष्णव सम्प्रदाय के समस्त संतों को शिविर लगाने के लिए कम से कम चार सौ बीघा जमीन दी जाए। जमीन का आवंटन किसी संगठन के माध्यम से न किया जाए, बल्कि उन्हें सीधे उपलब्ध कराई जाए। इससे हर संत को उनकी गरिमा के अनुरूप जमीन मिल सकेगी।

वहीं, श्रीरामानुज नगर प्रबंध समिति आचार्यबाड़ा से जुड़े संतों ने 31 अगस्त को बैठक महाकुंभ में शिविर लगाने के लिए 350 बीघा जमीन मांगी थी। इधर, अखिल भारतीय श्रीरामानुज वैष्णव समिति आचार्यबाड़ा ने चार सौ बीघा जमीन की उठाई है।

यह भी पढ़ें- UP News: प्रो. कीर्ति पाण्डेय बनाई गईं शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष, आदेश जारी

पहले की तुलना में बढ़ी है संतों की संख्या

स्वामी कौशलेंद्र का कहना है कि मेला प्रशासन के रिकॉर्ड में पौने दो सौ बीघा जमीन है। संतों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है। ऐसे में चार सौ बीघा जमीन मिलनी चाहिए। इसको लेकर 30 अक्टूबर से पहले बैठक करके प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

उन्होंने मेला प्रशासन से कहा है कि महाकुंभ से जुड़ा कोई भी निर्णय एक संगठन के लोगों से बात करके न लिया जाए। बातचीत में हर संगठन के लोगों को शामिल किया जाए, तभी उसे स्वीकार किया जाएगा।

यह भी पढ़ें- सेक्स रैकेट का पर्दाफाश: 10 घंटे की पूछताछ के बाद देह व्यापार का खुलासा, युगांडा की विदेशी महिला भी थी शामिल

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर