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प्रयागराज पहुंचा विश्ववास न्यूज, मीडिया साक्षरता अभियान के तहत फैक्ट चैकिंग को लेकर दी गई अहम जानकारियां

जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चैकिंग (Fact Cheak Vishvas News) विंग विश्वास न्यूज के एसोसिएट एडिटर अभिषेक पाराशर ने शुक्रवार को केपी इंटर कालेज के सभागार में आयोजित मीडिया साक्षरता अभियान के तहत सच के साथी सीनियर्स 2023-24 में कहा कि इंटरनेट मीडिया के विभिन्न स्रोतों पर तमाम जानकारियां हर रोज प्रसारित होती हैं। इनमें कुछ गलत होती हैं तो कुछ को विशेष एजेंडा के तहत पोस्ट किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 09 Dec 2023 01:04 PM (IST)
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मीडिया साक्षरता अभियान के तहत फैक्ट चैकिंग को लेकर दी गई अहम जानकारियां (Image: Jagran)
प्रयागराज, जागरण डेस्क। इंटरनेट मीडिया के विभिन्न स्रोतों पर तमाम जानकारियां हर रोज प्रसारित होती हैं। इनमें कुछ गलत होती हैं, तो कुछ को विशेष एजेंडा के तहत पोस्ट किया जाता है। जो अक्सर विवाद की वजह बनती हैं। ऐसे में सबको अतिसंवेदनशील होना जरूरी है। फिशिंग लिंक पर बिना सोर्स का सत्यापन किए क्लिक करने से आप वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं।

हर पोस्ट के फैक्ट को चेक कर लें तो भ्रामक सूचनाओं का प्रसार रुक जाएगा। यह बात जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चैकिंग विंग विश्वास न्यूज के एसोसिएट एडिटर अभिषेक पाराशर ने कही। वह शुक्रवार को केपी इंटर कालेज के सभागार में आयोजित मीडिया साक्षरता अभियान के तहत सच के साथी सीनियर्स 2023-24 में बोल रहे थे। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) के सौजन्य से संचालित उक्त कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट आफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है ।

फेक न्यूज की पहचान कैसे करें?

कार्यशाला में फेक न्यूज की पहचान के तौर-तरीकों और आनलाइन टूल्स के बारे में फैक्ट चेकर पाराशर ने बताया कि यदि वाट्स्एप, फेसबुक, एक्स या अन्य किसी प्लेटफार्म से कोई जानकारी मिल रही है तो सबसे पहले उसके सही होने या गलत होने को लेकर तार्कित ढंग से सोचें। तथ्यों को कसौटी पर कसें। संबंधित विषय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं ओर उस विषय को लेकर सूचनाओं का परीक्षण करें।

कोई भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें

यह भी देखें कि जो सूचना आप तक आई है, वह क्या उसी विषय से संबंधित व्यक्ति ने अग्रसारित की है। यदि नहीं, तो तत्काल सतर्क हो जाएं। गूगल ओपन सर्च व गूगल रिवर्स इमेज सर्च जैसी सहूलियतों से उस सूचना के सही या गलत होने का परीक्षण स्वयं करें। कई बार जानकारियां फोटो या वीडियो के रूप में आप तक पहुंचती हैं। कार्यशाला में तकनीक के जानकारों ने कहा कि कोई भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

जिस यूआरएल को आप ओपन कर रहे हैं, वह वास्तविक है या उसके साथ छेड़छाड़ कर डुप्लीकेट तैयार किया गया है, इसे भी समझना होगा। साथ ही सूचना महामारी यानी इन्फोडेमिक के दौर में बिना सत्यापन के सूचना को लाइक, कमेंट या शेयर करने से बचें। डीपफेक्स और ए.आई. जेनरेटेड मैनिप्युलेटेड कंटेंट से कैसे बचे, इसके बारे में विश्वास न्यूज़ के ट्रेनर्स ने सीनियर सिटिज़न्स को भी जागरूक किया।

दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

सर्वप्रथम केपी इंटर कालेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डीके श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत दैनिक जागरण के महाप्रबंधक मनीष चतुर्वेदी व विषय प्रवर्तन संपादकीय प्रभारी राकेश पांडेय ने किया।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में हुए सवाल-जवाब

कार्यशाला के अंतिम सत्र में सवाल-जवाब का दौर चला। जागरण न्यू मीडिया के डिप्टी एडिटर शरद अस्थाना ने कहा कि पहले सूचनाओं के स्रोत सीमित थे, लेकिन अब अनगिनत स्रोत हैं। विभिन्न मीडिया स्रोतों से सूचनाएं वायरल हो रही हैं। यदि एक गलत चेन बन गई तो झूठी खबरें भी फैलने लगती है।

पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन से तथ्यों की दी जानकारी

सच के साथी सीनियर्स कार्यशाला में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से विषय संबंधी जानकारी दी गई। कुछ तथ्यों को चित्रों के जरिए स्पष्ट किया गया। विषय विशेषज्ञों ने बताया कि कोई चित्र यदि आपके सामने आए तो उसके कलर कंबिनेशन, बैकग्रांउड, आंखों की भाव-भंगिमा के माध्यम से उसके मौलिक होने या न होने की जांच की जा सकती है।

डीपफेक वीडियो को ऐसे पहचाने

जागरण न्यू मीडिया के डिप्टी एडिटर शरद अस्थाना ने डीपफेक आर्टिफिशियल इमेज या वीडियो के संबंध में जानकारी दी। कहा, इसे मशीन लर्निंग की एक विधा डीप लर्निंग का प्रयोग करके तैयार करते हैं। अभी एआई उतना परिष्कृत नहीं है कि शत-प्रतिशत सटीकता से फेक वीडियो या इमेज तैयार कर सके। ऐसे में फेक वीडियो को आसानी से पहचाना जा सकता है।

खेल-खेल में समझाया फर्जी सूचनाओं का मनोविज्ञान

कार्यक्रम में फेक वर्सेज फैक्ट्स कार्ड्स के जरिए खेल-खेल में वरिष्ठ नागरिकों को गलत और सही सूचनाओं के बीच अंतर पता करने के तरीके समझाए गए। तीन लोगों के ग्रुप को 15 कार्ड दिए गए। इनमें से सभी को पांच कार्ड का चयन करना था। हर कार्ड के अंक थे और जिसका अंक सर्वाधिक होता, उसको सभी तीनों कार्ड के संयुक्त नंबर मिलते।

प्रस्तोता अभिषेक पाराशर ने कहा कि सर्वाधिक नंबर वाले कार्ड फर्जी सूचनाओं के थे, इनपर ध्यान नहीं दिया गया और सभी खेल में इतने मग्न हो गए कि इसको आगे बढ़ाते रहे। इसी तरह से हम बिना सूचना को परखे आगे बढ़ा देते हैं।

12 दिसंबर को वाराणसी में सेमिनार

प्रयागराज के बाद अब वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर और लखनऊ में भी ऐसी सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। वाराणसी में 12 दिसंबर, गोरखपुर में 13 दिसंबर, कानपुर में 15 दिसंबर और लखनऊ में 18 दिसंबर को सेमिनार के माध्‍यम से प्रतिभागियों से रूबरू हुआ जाएगा।

जानिए अभियान के बारे में

'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को संबोधित करने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है।

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