रायबरेली में आसान नहीं होगी BJP की राह, प्रत्याशी के सामने गुटबाजी का खतरा; कई नेताओं की गैरमौजूदगी बनी चर्चा
Raebareli Lok Sabha Election राहुल के नामांकन के साथ ही रायबरेली का राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है। वोटरों को साधने के लिए प्रत्याशी और पार्टी कार्यकर्ता जुट गए हैं। भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के सामने इस बार दोहरी चुनौती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप को सोनिया गांधी का सामना करना पड़ा था तो इस बार उनके सामने राहुल गांधी हैं।
पुलक त्रिपाठी, रायबरेली। (Raebareli Lok Sabha Seat) राहुल के नामांकन के साथ ही रायबरेली का राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है। वोटरों को साधने के लिए प्रत्याशी और पार्टी कार्यकर्ता जुट गए हैं। भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के सामने इस बार दोहरी चुनौती है।
2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप को सोनिया गांधी का सामना करना पड़ा था तो इस बार उनके सामने राहुल गांधी हैं लेकिन राहुल गांधी के साथ ही उनके सामने पार्टी की खेमेबंदी भी बड़ी चुनौती होगी।
नामांकन में नहीं दिखे कई बड़े नेता
नामांकन में कुछ बड़े नामों की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी है। दिनेश को मालूम है कि मुकाबला कठिन है, लेकिन उनका उत्साह कम नहीं। उन्होंने कहा, जब अमेठी में राहुल हार सकते हैं तो रायबरेली से क्यों नहीं?पार्टी ने काम किया है, जबकि कांग्रेस से सांसद रहने वाले रायबरेली में झांकने नहीं आते। यहां की जनता अब स्थानीय सांसद चाहते हैं, किसी बाहरी को नहीं।
2019 के चुनाव में सोनिया गांधी को दी थी टक्कर
साल 2019 के चुनाव में दिनेश ने सोनिया गांधी अच्छी टक्कर दी थी। उदाहरण के तौर पर पाने वाले मतों की संख्या को छोड़कर यदि पूर्व के चुनाव में हासिल मतों की बात करें तो दिनेश सिंह पहले ऐसे प्रत्याशी हैं जिन्हें सोनिया गांधी के सामने अब तक के सर्वाधिक वोट मिले। शायद 2019 के चुनावी परफार्मेंस को आधार माना गया और उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया।ऐसे में समीकरण साधकर चलना दिनेश के लिए बेहद जरूरी होगा। बीते साल जिले में भाजपा के सामने गुटबाजी और अंतर्कलह एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है। पार्टी पदाधिकारियों के बीच इस विषय को लेकर स्वीकार्यता-अस्वीकार्यकता हो सकती है पर इसे खारिज नहीं किया जा सकता।
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