पहले किया इनकार, अब बीमा कंपनी को देने पड़ेंगे 63 हजार; चार साल तक चली सुनवाई के बाद आया फैसला
डेयरी संचालक ने कई बार क्लेम देने के लिए पत्राचार किया लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम देने से इनकार कर दिया। 23 अप्रैल 2019 को डेयरी संचालक ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दाखिल कर क्लेम दिलाने की मांग की। चार साल तक सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष मदनलाल और सदस्य सुनीता मिश्रा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया।
जासं, रायबरेली : हसनापुर के देवीशंकर ने गांव में मिली कामधेनु डेयरी योजना के तहत डेयरी खोली। दूध के व्यवसाय के लिए बैंक आफ बडौदा से चार मई 2015 को लाेन लिया और सात फरवरी 2016 को गाय खरीदी। सभी गाय का बीमा नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड प्रथम तल आरडीए कांप्लेक्स जेल रोड स्थित कार्यालय से कराया।
बीमा 17 मार्च 2016 से 16 मार्च 2020 तक वैध था। 16 अक्टूबर 2018 को बीमित गाय की मौत हो गई। देवी शंकर ने बीमा कंपनी को गाय की मौत होने की सूचना दी। सरेनी के पशु चिकित्साधिकारी ने गाय का पोस्टमार्टम किया। बीमा सर्वेयर ने भी मौके पर जाकर जांच की। देवीशंकर ने क्लेम का दावा दाखिल किया। इस पर बीमा कंपनी ने क्लेम देने में आना कानी की। 28 फरवरी 2019 को बीमा कंपनी ने दावे को निरस्त कर दिया।
डेयरी संचालक ने कई बार क्लेम देने के लिए पत्राचार किया, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम देने से इनकार कर दिया। 23 अप्रैल 2019 को डेयरी संचालक ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दाखिल कर क्लेम दिलाने की मांग की। करीब चार साल तक सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष मदनलाल और सदस्य सुनीता मिश्रा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद छह जून 2024 को वाद पर अपना फैसला सुनाया।
फोरम के अध्यक्ष ने बीमा कंपनी को 10 प्रतिशत की कटौती कर वादी को 45 दिन के भीतर 63 हजार रुपये अदा करने व एक हजार रुपये वाद व्यय के रूप में देने का आदेश दिया। तय समय पर भुगतान न करने कर बीमा कंपनी वादी को सात फीसद ब्याज के साथ भुगतान करेगी।
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