रायबरेली का फीरोज गांधी महाविद्यालय अब सरकारी संपत्ति
इंदिरा एवं फीरोज गांधी के सपनों का फीरोज गांधी पीजी कॉलेज अब सरकारी संपत्ति घोषित हो गया है। प्रशासन की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
By Nawal MishraEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2016 12:02 AM (IST)
रायबरेली (रवि उपाध्याय)। इंदिरा एवं फीरोज गांधी के सपनों का फीरोज गांधी पीजी कॉलेज अब सरकारी संपत्ति घोषित हो गया है। जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
दरअसल में कालेज को दान में मिली भूमि का पट्टा समाप्त हो जाने और उसपर कोई निर्माण कार्य न होने की वजह से अवैध कब्जे होने पर डीएम ने एसडीएम सदर एसएन शुक्ला को पूरे मामले की जांच करने का निर्देश दिया। तीन माह की जांच के बाद पिछले दिनों एसडीएम सदर ने अपनी सौंपी जांच रिपोर्ट में साफ कहा है कि विद्यालय के पट्टे की अवधि समाप्त हो गई है। कॉलेज का भवन, कार्यालय एवं परिसर जिस भूमि पर है वह मिल्कियत बोर्ड ऑफ रेवन्यू के जिस खाता संख्या में दर्ज है वह शासकीय संपत्ति है। कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एके सिंह की शिकायत पर जिलाधिकारी ने कॉलेज के पूरी मिल्कियत की जांच कराई थी।उत्तर प्रदेश के अन्य समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
क्या है प्रकरणमार्च में दैनिक जागरण में फीरोज गांधी पीजी कॉलेज को दान में मिली करीब 12 बीघे जमीन पर कब्जे का मामला प्रमुखता से उठाया था। इसके तहत हॉस्टल निर्माण को लेकर पांडेय कोठी के सामने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की रजामंदी की मोहर लगने के बाद 20 फरवरी 1979 को नजूल की जमीन पर 11 बीघा, तीन बिस्वा 18 बिस्वांसी का जमीन पट्टे पर दी गई थी। 2004 में पट्टा खत्म हो गया लेकिन जमीन पर न तो हॉस्टल बना और न ही खेल का मैदान, जिसकी वजह से जमीन पर अवैध कब्जा हो गया। उसके बाद पूर्व प्राचार्य एके सिंह ने 26 अप्रैल को तत्कालीन सूर्यपाल गंगवार को एक शिकायत पत्र देकर 12 बीघे जमीन के साथ कॉलेज की पट्टे की अवधि समाप्त होने की बात भी कही थी। इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि रायबरेली डिग्री कॉलेज एजूकेशन ट्रस्ट को पट्टे पर तीन मार्च 1959 से तीस वर्ष की अवधि के लिए एक भवन निर्माण को जमीन दी गई थी। इस भूमि पर वर्तमान में फीरोज गांधी कॉलेज निर्मित है। पट्टे की शर्तों के अनुसार पट्टाधारक ने इस भूमि के पट्टे का नवीनीकरण नहीं कराया है। न ही भूमि क्रय करने के लिए कोई आवेदन किया है। इस भूमि पर इंदिरा गांधी सभागार का निर्माण कराया गया है, जिसका किराया वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि कॉलेज के पट्टे की अवधि 1989 में समाप्त हो गई है। ऐसे में यहां एक नियंत्रक की नियुक्त की जाए।
क्या कहते हैं अधिकारीकॉलेज प्राचार्य डॉ.एसके पांडेय ने पूरे प्रकरण की जानकारी न होने का हवाला देते हुए कॉलेज की संपत्ति को सरकारी घोषित करने के मामले से अनभिज्ञता जतायी। जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा कि यह प्रकरण उनके पहले का है। अगर ऐसा है तो इसमें आगे क्या करना चाहिए यह वह जानकारी करेंगे।
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