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Golden Card: सभी किसानों का बनेगा गोल्डन कार्ड, इंच-इंच भूमि का दर्ज होगा रिकॉर्ड; जल्द लगेंगे शिविर

किसानों को अपनी भूमि का रिकॉर्ड रखने में अपनी पहले जितनी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब सभी किसानों की किसान आइडी बनेगी इसमें उनकी इंच-इंच भूमि का रिकॉर्ड बनाकर गोल्डन कार्ड बनाया जाएगा। उसमें उस किसान के नाम दर्ज पूरी भूमि का डाटा दर्ज होगा। इससे फर्जीवाड़ा से निजात मिलेगी। कार्ड बनवाने के लिए गांव-गांव शिविर लगाए जाएंगे।

By ashutosh singh Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 07 Jul 2024 02:26 PM (IST)
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ऊंचाहार क्षेत्र में खेत में काम करता किसान परिवार : जागरण

आशुतोष सिंह, रायबरेली। अभी तक किसानों की भूमि का एक जगह कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। अब सभी की किसान आइडी बनेगी। उनकी इंच-इंच भूमि का रिकॉर्ड बनाकर गोल्डन कार्ड बनाया जाएगा। उनमें किसान के नाम दर्ज भूमि का पूरा डाटा होगा। पारदर्शी व्यवस्था होने के साथ ही भूमि को लेकर होने वाले फर्जीवाड़े को भी रोका जा सके।

यह होगी प्रक्रिया

अफसरों के जनता दरबार में भूमि में हेराफेरी से संबंधित मामले अधिक आते हैं। इसी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए भूमि का रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इसके लिए उपकृषि निदेशक कार्यालय को नोडल बनाया गया है। कृषि, राजस्व, उद्यान व पंचायत विभाग के कर्मचारी सभी ग्राम पंचायतों में दो-दो दिन शिविर लगाएंगे। जिस दिन शिविर लगेगा किसान आधार, खतौनी व मोबाइल नंबर लेकर जरूर जाएं।

विभागीय कर्मचारी सबसे पहले ईकेवाइसी करेंगे। समान नाम व समान पिता के नाम से जुड़ी भूमि के खाते एक साथ किए जाएंगे। किसान ने जो भूमि खुद की बताई है, यह उसकी है या नहीं, रकबा कितना है। इसका सत्यापन लेखपाल पोर्टल पर करेंगे। लेखपाल इसमें संशोधन भी कर सकेंगे। इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा।

पहला चरण आठ जुलाई से आठ अगस्त तक चलेगा। दूसरे चरण में इसे किसानों के लिए खोल दिया जाएगा। इसमें छूटे किसान स्वयं एप के जरिए या जन सुविधा केंद्र से जाकर प्रक्रिया कर सकेंगे। पूरी प्रक्रिया होने के बाद किसानों की आइडी बनाकर फार्मर रजिस्ट्री तैयार की जाएगी।

रुकेगा फर्जीवाड़ा

रजिस्ट्री और राजस्व में किसी दूसरे की जमीन को खुद की बताकर बेचने के मामले आएदिन आते हैं। इनमें राजस्व व रजिस्ट्री विभाग के कर्मियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है। किसानों का गोल्डन कार्ड बनने के बाद पूरा डाटा ऑनलाइन होगा। खरीद या बिक्री के समय उसी गोल्डन कार्ड के जरिए भूमि के वारिश के बारे में आसानी से जाना जा सकेगा। जमीन की बिक्री पर उतना हिस्सा बेचने वाले के कार्ड से कम हो जाएगा। अभी तक इसमें कई माह या साल तक लग जाते हैं, लेकिन अब कुछ देर में ही दर्ज हो जाएगी।

योजनाओं में मिलेगा लाभ

आधार लिंक रजिस्ट्री तैयार होने से योजनाओं का लाभ, लाभार्थियों का सत्यापन समेत सरकार की सभी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने में आसानी होगी। योजनाओं का लाभ देने में किसानों के सत्यापन में सुविधा मिलेगी।

उपकृषि निदेशक, विनोद कुमार शर्मा ने बताया- 

गोल्डन कार्ड में किसानों की भूमि का रिकॉर्ड होगा। सोमवार से गांवों में शिविर लगाए जाएंगे। सभी कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ग्रामसभावार लगने वाले शिविर के लिए तिथियां निर्धारित कर दी गई हैं।

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