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20 साल से यूपी के एक बस अड्डे पर नहीं आई कोई Bus, अतिक्रमण ने बिगाड़ा पूरा सिस्टम; यात्री परेशान

लालगंज बस स्टेशन की दुर्दशा यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। करोड़ों के व्यापार वाले इस कस्बे में बस स्टेशन न होने से लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। जानिए कैसे बस स्टेशन बनने के बाद भी यात्रियों को सुविधा नहीं मिल पा रही है।

By vikash chandra bajpai Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 24 Aug 2024 02:37 PM (IST)
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लालगंज कस्बे में बने बस स्टाप परिसर में लगे मौरंग व गिट्टी के ढ़ेर: जागरण
अतुल त्रिपाठी,  रायबरेली। शहरों को स्मार्ट बताने के लिए दावे हो रहे हैं, लेकिन अफसरों की उदासीनता विकास के पहिए को आगे बढ़ने नहीं दे रही है। लालगंज जिले की सबसे बड़ी व्यापारिक मंडी है। यहां करोड़ों का व्यापार होता है। आस पास के कई जिलों के लोग यहां व्यापार के लिए आते हैं, लेकिन हालात यह हैं कि बस स्टेशन न होने से उनको परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।

करीब 20 वर्ष पहले लालगंज-कानपुर मुख्य मार्ग पर बैसवारा महाविद्यालय के सामने पांच बीघे भूमि पर करीब 20 लाख से परिवहन निगम ने बस स्टेशन का निर्माण कराया। यहां चहारदीवारी, दो कमरे, शौचालय के साथ भवन बना तो दिन रात बसों का ठहराव शुरू हो गया, लेकिन कुछ समय बाद ही यहां सन्नाटा पसर गया। बसों का संचालन बस अड्डे से ठप हो गया।

अब बस अड्डे पर अराजक तत्वों का जमावड़ा रहता है। करीब 30 साल पहले पुरानी पुलिस चौकी के पीछे खाली पड़े स्थान पर राजकीय परिवहन निगम बसों का ठहराव होता था। धीरे-धीरे कस्बे की आबादी बढ़ती गई, बसों की संख्या भी बढ़ी तो जगह की कमी महसूस होने लगी। 20 वर्ष पहले लालगंज- कानपुर मुख्य मार्ग पर बैसवारा महाविद्यालय के सामने पांच बीघे भूमि पर करीब 20 लाख से परिवहन निगम ने बस स्टेशन का निर्माण कराया।

क्या बोले लोग? 

पूरे अमृत कुम्हड़ौरा निवासी विमलेश शुक्ल का कहना है कि बसों का संचालन कस्बे के अंदर से हो रहा था। दुकानदारों को फुटपाथ पर कब्जा था। नतीजा यह हुआ कि बसों के आवागमन के समय जाम की स्थित उत्पन्न होने लगी। लोगों ने इसका विरोध किया तो जिम्मेदारों ने अतिक्रमण हटवाने के बजाए बसों का संचालन नगर के अंदर से बंद करा दिया।

कस्बे के महेश नगर निवासी कुंवर बहादुर राठौर का कहना है कि शुरुआत में कुछ साल शाम सात बजे से सुबह आठ बजे तक बसे नगर के अंदर से ही जाती रहीं, लेकिन बाद में कस्बे के बाहर से बाईपास, गांधी चौराह, बेहटा चौराहा, बृजेंद्र नगर होकर आवागमन होने लगा। बस स्टेशन में दिन में बसों का ठहराव बंद हो गया। बसों का संचालन बंद हुआ तो बस स्टेशन पर सन्नाटा पसरा गया।

कस्बे के कपड़ा व्यवसायी रंजीत कुमार का कहना है कि करीब 20 साल से बस स्टेशन पर बसे नहीं आ रही हैं। मरम्मत के अभाव में भवन भी जर्जर होने लगा। नशेड़ी दरवाजे, खिड़की और बिजली की वायरिंग तक उखाड़ ले गए हैं। चहारदीवारी भी जगह-जगह से टूट गयी है। परिवहन विभाग ने 2021 में इस भवन को निष्प्रयोज्य भी घोषित कर दिया।

कस्के के शान्ति नगर के अंजनी कुमार का कहना है कि कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, फतेहपुर व रायबरेली जाने के लिए लोग वीरापासी तिराहा, गांधी चौराहा, बेहटा चौराहा या फिर बृजेंद्र नगर तिराहे पर खड़े होकर बसों का इंतजार करते हैं। बस कब आएगी किसी को जानकारी नहीं रहती। इसी वजह से यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।

अभिषेक शुक्ला का कहना है कि कस्बे से प्रतिदिन आसपास करीब दो सौ गांवों के करीब पांच हजार लोगों का आवागमन होता है। बस स्टेशन हो तो यात्रियों को बसों की सही जानकारी व उन्हें बैठने, सामान रखने की सहूलियतें भी मिले। व्यापार भी मजबूत होगा।

आकड़ों पर एक नजर

  • बस स्टेशन का क्षेत्रफल - करीब पांच बीघा
  • नगर की आबादी लगभग - 50 हजार
  • नगर से आने जाने वाली बसों की संख्या - 25
  • कस्बे में व्यापारियों की संख्या - तीन हजार
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