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Raebareli Lok Sabha Result 2024: गांधी परिवार की साख बचाने में कामयाब रहे राहुल गांधी, दिनेश प्रताप को करारी शिकस्त दे बचाया गढ़

Raebareli Lok Sabha Election Result Live लंबे समय से गांधी परिवार का गढ़ रही रायबरेली सीट पर इस बार कांग्रेस से राहुल गांधी मैदान में रहे। भाजपा ने पिछली बार सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले दिनेश प्रताप सिंह को दोबारा मैदान में उतारा था। हालांकि दिनेश प्रताप पार्टी के भरोसे को कायम नहीं रख पाए और उन्हें राहुल गांधी से करारी शिकस्त मिली।

By Riya Pandey Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 04 Jun 2024 02:53 PM (IST)
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रायबरेली में गांधी परिवार की साख बचाने में कामयाब हुए राहुल गांधी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Raebareli Lok Sabha Chunav Result 2024 / UP lok sabha chunav Result 2024: हाईप्रोफाइल लोकसभा सीटों में शामिल रायबरेली लंबे समय से गांधी परिवार का गढ़ है। इस बार कांग्रेस से राहुल गांधी मैदान में रहे। यहां से राहुल गांधी शुरुआत से ही बढ़त बना के चल रहे थे और आखिरी तक इसे बरकरार रखते हुए अपने दूसरे गढ़ को बचाने में कामयाब रहे। 

बता दें कि सोनिया के राज्यसभा जाने के बाद अटकलें थीं कि यहां से प्रियंका लड़ेंगी, लेकिन ऐन वक्त पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने नामांकन करके चौंका दिया। भाजपा ने पिछली बार सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले दिनेश प्रताप सिंह (Dinesh Pratap Singh) को दोबारा मैदान में उतारा लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया और भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा।

50 वर्षों में विकासी की गति रही बेहद मंद

रायबरेली सीट (Raebareli Seat) से भाजपा अपनी सरकार की उपलब्धियों के साथ मैदान में है तो राहुल यहां से 100 वर्ष का भावनात्मक रिश्ता बता रहे हैं। राजनीतिक दृष्टि से इस क्षेत्र को जो कद हासिल हुआ, उससे कई जनपद अछूते हैं। मगर, बीते 50 वर्षों की बात की जाए तो विकास की गति बेहद मंद रही। 

रायबरेली (Raebareli) में 21 लाख 39 हजार 284 मतदाता है। इस सीट पर पांचवें चरण में यानी 20 मई को मतदान हुआ। इसके लिए  26 अप्रैल से तीन मई तक नामांकन कराया गया। 

रायबरेली लोकसभा (Raebareli lok sabha) क्षेत्र में मतदाता

कुल मतदाता 21,39,284 
महिला मतदाता  10,22,706 
पुरुष मतदाता  11,16,539 
ट्रासजेंडर  39
2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha Seat) पर 57.46 फीसद मतदान हुआ है, जो 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की तुलना में 01.12 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही मतदान का 20 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया। 2019 में 56.34 प्रतिशत और 2004 में 48.42 फीसद ही मतदान हो सका था। 2004 से लेकर अब तक हुए छह लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक मतदान हुआ है। और अंत में फैसला गांधी परिवार के हक में आया।

रायबरेली सीट (Raebareli Seat) से आठ प्रत्याशी मैदान में

पांचवें चरण में हुए मतदान में इस सीट से आठ प्रत्याशी मैदान में रहे। 

प्रत्याशी दल
राहुल गांधी  कांग्रेस
दिनेश प्रताप सिंह (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार)  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
ठाकुर प्रसाद यादव  बहुजन समाज पार्टी (बसपा)
दिलीप सिंह  अखिल भारतीय अपना दल 
मो. मोबिन  अपना दल (कमेरावादी)
हिंद रोहिताश  मानवतावादी समाज पार्टी
सुदर्शनराम भारतीय पंचशील पार्टी
होरीलाल  निर्दलीय

लोगों की उम्मीदें रही अधूरी

रायबरेली के लोगों ने गांधी परिवार से पारिवारिक नाता तो जरूर जोड़ा, लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी। 80 के दशक में उद्योगों की स्थापना जरूर हुई, लेकिन 15 वर्षों में ही उन उद्योगों के उजड़ने का सिलसिला शुरू हो गया।

इन 50 वर्षों में रायबरेली (Raebareli) को क्या-क्या मिला?

आइटीआइ, एनटीपीसी, एम्स, एफजीआईईटी, स्पिनिंग मिल,आइटीबीपी, रेल कोच-पहिया फैक्ट्री, निफ्ट, रेयान इंटरनेशनल स्कूल, स्पाइस, इंदिरा गांधी आई हास्पिटल, मोहन नेत्र अस्पताल, चौधरी चरण सिंह पंप कैनाल, फिरोज गांधी कालेज, मोतीलाल नेहरू स्टेडियम, मोदी मिल, यूपी टायर ट्यूब।

इन्हें नहीं संजो सके

शीला टेक्सटाइल, स्पिनिंग मिल, यूपी टायर ट्यूब, मोदी मिल, भवानी पेपर मिल, चीनी मिल।

रायबरेली सीट का इतिहास (Raebareli Seat History)

आजादी के बाद से अब तक  रायबरेली (Raebareli) में गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है। यहां अब तक हुए चुनाव में केवल तीन मौकों पर ही कांग्रेस हारी है। इस सीट पर हुए पहले दो लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former PM Indira Gandhi) के पति फिरोज गांधी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1967 और 1971 में इंदिरा गांधी यहां से सांसद चुनी गईं।

आपातकाल के बाद हारीं इंदिरा

हालांकि आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को राज नारायण के खिलाफ रायबरेली (Raebareli) से हार का सामना करना पड़ा था। इसके तीन साल बाद वह फिर से यहां चुनावी मैदान में उतरीं और तकरीबन पौने दो लाख के अंतर से बड़ी जीत हासिल की। इस चुनाव में वह आंध्र प्रदेश के मेडक से भी जीती थीं, ऐसे में उन्होंने रायबरेली छोड़ मेडक से सांसद बने रहने का फैसला किया।

इसके बाद रायबरेली (Raebareli) में उपचुनाव हुआ, जिसमें राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के भरोसेमंद अरुण नेहरू ने जीत हासिल की। 1984 के चुनाव में भी अरुण नेहरू (Arun Nehru) ने एक लाख से ज्यादा अंतर से जीत हासिल की। बाद में 1989 और 1991 में इंदिरा की मामी शीला कौल भी यहां से चुनाव जीतीं।

रायबरेली सीट (Raebareli Seat) के बारे में समझें

  • रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha Seat) गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है।
  • सबसे पहले 1952 (और फिर 1958 में भी) में फिरोज गांधी ने चुनाव लड़ा और जीते।
  • फिरोज गांधी के निधन के बाद 1967 में इंदिरा गांधी ने यहां से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की।
  • 2004 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की बहू सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और पांच बार सांसद चुनी गईं।
  • अब सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी इस विरासत को संभालने जा रहे हैं।
  • यहां आखिरी भाजपा ने 1998 में जीत दर्ज की थी, तब अशोक सिंह प्रत्याशी बनाए गए थे।

लगातार दो बार मिली शिकस्त

कांग्रेस को  रायबरेली (Raebareli) में झटका तब लगा, जब भाजपा के स्थानीय नेता अशोक सिंह ने 1996 और 1998 में लगातार दो चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को पटखनी दी। 1999 में गांधी परिवार के सहयोगी सतीश शर्मा ने यहां पर कांग्रेस की वापसी कराई।

2004 में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इस सीट से कांग्रेस (Congress) की कमान संभाली और उसके बाद से लगातार 2019 तक यहां से जीत का सिलसिला जारी रखा। हालांकि इस बार उन्होंने चुनाव न लड़ने का फैसला किया और राज्यसभा की राह चुनी। जिसके बाद पार्टी ने राहुल गांधी को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है।

सपाई कांग्रेस के साथ, बसपा ने खेला दांव

समाजवादी पार्टी ने 2009 से रायबरेली सीट पर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारा है। इस बार कांग्रेस व सपा गठबंधन है। कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में सपा का झंडे लिए भी कई सपाई शामिल हुए, कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने का संदेश दिया।

रायबरेली लोकसभा (Raebareli Lok Sabha) क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें सरेनी, ऊंचाहार, बछरावां, हरचंदपुर सीट पर सपा के विधायक हैं। सदर सीट भाजपा के पाले में है। ऊंचाहार से सपा विधायक मनोज पांडेय अब भाजपा के खेमे में हैं। दूसरी ओर, सपा के साथ गठबंधन के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) छोड़ दें तो बसपा ने हर बार यहां प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।

2004 में राजेश यादव, 2009 में आरएस कुशवाहा, 2014 में प्रवेश सिंह को प्रत्याशी बनाया गया। इस बार चुनाव में बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को मैदान में उतारकर दांव खेला है। ठाकुर प्रसाद यादव सरेनी विधानसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी थे। 

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