Move to Jagran APP

हरचंदपुर में दस दिन बाद भी रेंग रहीं ट्रेनें

जासं, रायबरेली : हरचंदपुर रेलवे स्टेशन पर 10 अक्टूबर को हुए ट्रेन हादसे के जख्म भरने के लि

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 11:48 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 11:48 PM (IST)
हरचंदपुर में दस दिन बाद भी रेंग रहीं ट्रेनें

जासं, रायबरेली : हरचंदपुर रेलवे स्टेशन पर 10 अक्टूबर को हुए ट्रेन हादसे के जख्म भरने के लिए रेलवे ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। पानी की तरह पैसा बहाया। अफसरानों से लेकर कर्मचारियों तक की लंबी फौज लगाई गई। इन सबके बावजूद रेलवे अब तक पूरी तरह पैरों पर खड़ा नहीं हो सका है। दस दिन बाद भी स्टेशन की मेन लाइन से ट्रेनें रेंगते हुए ही गुजर रही हैं।

हरचंदपुर स्टेशन पर न्यू फरक्का एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से पूरी व्यवस्था बेपटरी हो गई थी। हादसे में जहां पांच लोगों ने मौके पर दम तोड़ा, वहीं दो लोगों की इलाज के दौरान बाद में जान चली गई। इसके अलावा रेलवे को भी करोड़ों रुपये की क्षति पहुंची। स्टेशन की वे तीनों लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई थीं, जिनसे ट्रेनों का संचालन होता था। डीआरएम समेत कई अफसर पूरी रात तक जमे रहे, तब दूसरे दिन तीन नंबर लाइन और फिर तीसरे दिन दो नंबर और फिर एक नंबर लाइन चालू की जा सकी थी। अभी दो दिन पहले ही तीन और एक नंबर लाइन से कॉशन हटाया गया। जबकि, मेन यानी दो नंबर पर लाइन पर कॉशन अब भी लगा है। इस पर 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जा रही हैं। जबकि, इस लाइन पर रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है। यह हाल तब है जब घटना को 10 दिन बीत चुके हैं। रेलवे को करोड़ों का हुआ नुकसान

विभागीय सूत्रों की मानें तो इस हादसे में रेलवे को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा। हाल में वायरल हुई विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक नुकसान कैरेज और वैगन को हुआ। करीब तीन करोड़ रुपये की क्षति रेलवे को कैरेज और वैगेन क्षतिग्रस्त होने से हुई। इसके अलावा रेल पथ पर 40 लाख, सिग्नल का तीन लाख और लोको को 4.75 लाख रुपये की क्षति पहुंची। कई विभागों ने निभाई थी अहम भूमिका

इस रेल हादसे में राहत कार्य के लिए कई विभागों ने अहम भूमिका निभाई। सबसे पहले पुलिस ने पहुंचकर पीड़ितों की मदद की। इसके बाद प्रशासन और फिर रेलवे की टीमें आ गई। जिला प्रशासन की तरफ से स्वास्थ्य विभाग, तहसील कर्मी व अन्य कई विभागों को लगाया गया था। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने बोगियों के नीचे दबे शवों को बाहर निकालने में काफी मशक्कत की थी। कई स्कूल के बच्चों और शिक्षकों की भी राहत कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका रही। पैंतीस अफसरों और पांच सौ कर्मियों की लगी थी फौज

घटना के दूसरे दिन जिस तीन नंबर लाइन पर ट्रेनों का संचालन ऐसे ही नहीं शुरू किया गया था। इसके लिए 35 अफसरों और करीब 500 से अधिक कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। रायबरेली और लखनऊ के अलावा अन्य कई जगहो से भी रेलवे को गैंगमैन बुलाने पड़े थे। कई दिन तक इस टीम ने तेजी से काम किया। मगर, स्थिति अब भी सामान्य नहीं हो सकी है।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.