रेल लाइन ऊर्जीकरण में सई का पुराना पुल रोड़ा
सीआरएस निरीक्षण के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर रेलवे बोर्ड ने लगाई आपत्ति
रायबरेली : रायबरेली-ऊंचहार रेललाइन के ऊर्जीकरण में सई नदी का पुराना पुल रोड़ा बन गया है। लोग यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि नए साल में इस पटरी पर बिजली से ट्रेनें दौड़ने लगेंगी, लेकिन ऐसा न हो सका। निरीक्षण के पहले ही पुल को लेकर आपत्ति लग गई। अब इसे और मजबूती देने के निर्देश मिले हैं।
यात्री सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिए रेलवे महकमा रेल लाइनों को तेजी से ऊर्जीकृत कर रहा है। इसी क्रम में 70 करोड़ की लागत से यहां के दो रेलखंड पर यह काम चल रहा था। इनमें एक रायबरेली-ऊंचाहार है तो दूसरा रेलखंड दरियापुर-डलमऊ है। ये कार्य रेल विकास निगम लिमिटेड को दिए गए थे। आरवीएनएल ने 36 किमी लंबे रायबरेली-ऊंचाहार रेलखंड को ऊर्जीकृत करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था कल्पतरु पॉवर ट्रांसमिशन को दी थी। संस्था ने जनवरी में ही काम पूरा कर लिया था। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त के द्वारा इसे हरी झंडी दिखानी थी। इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा गया था, लेकिन सई नदी के पुल की उम्र को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने आपत्ति लगा दी।
ब्रिज के खंभों की हो रही जैकेटिग
बताते हैं कि सई नदी का यह रेलवे पुल आजादी के पहले बनाया गया था। यह पुल कमजोर नहीं हुआ है, लेकिन एहतियातन यह कदम उठाए गए हैं। विभागीय अफसरों का कहना है कि डीजल इंजन के सापेक्ष बिजली से चलने वाली ट्रेनों की स्पीड अधिक होती है। भविष्य में कोई परेशानी न हो, इसलिए जैकेटिग (पिलर पर कंकरीट की परत चढ़ाना) कराकर पुल को और मजबूती दी जा रही है। इनकी भी सुनें
जैकेटिग का काम अब तक समाप्त हो गया होता, लेकिन सई में पानी अधिक होने के कारण देरी हुई। फिर भी 50 फीसद कार्य हो चुका है। इसी महीने शेष कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा। कफील अहमद रिजवी
प्रोजेक्ट मैनेजर, कल्पतरु पॉवर ट्रांसमिशन