Azam Khan साढ़े 12 साल तक नहीं पहुंचे कोर्ट और वादी की भी हो गई मौत, 2007 में दर्ज हुआ था एससी-एसटी का मुकदमा
आजम खां के खिलाफ योगी सरकार में ही नहीं बल्कि इससे पहले भी मुकदमे दर्ज होते रहे हैं। उनके खिलाफ जीवनभर में 106 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं इनमें 10 मुकदमे ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव 2019 से पहले से विचाराधीन हैंं।
By Mohd MuslemeenEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Sat, 05 Nov 2022 10:44 AM (IST)
रामपुर, (मुस्लेमीन)। सपा शासनकाल में आजम खां की तूती बोलती थी। संसदीय कार्य एवं नगर विकास समेत आठ विभागों के मंत्री थे। आजम खां पर अब तक 100 से अधिक मुकदमे हुए हैं। इसमें एक मुकदमा 15 साल पुराना है। उस केस में आजम साढ़े 12 साल तक कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। उस मुकदमे में वादी की भी मृत्यु हो चुकी है। जब नए मुकदमे दर्ज हुए तो पुराने मुकदमों में भी सुनवाई तेज हो गई। अब इस मामले में शीघ्र ही फैसला आने की उम्मीद है।
आजम खां के खिलाफ योगी सरकार में ही नहीं, बल्कि इससे पहले भी मुकदमे दर्ज होते रहे हैं। उनके खिलाफ जीवनभर में 106 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, इनमें 10 मुकदमे ऐसे हैं, जो लोकसभा चुनाव 2019 से पहले से विचाराधीन हैंं। इनमें दो मुकदमे काफी पुराने हैं। एक मामला टांडा थाने में दर्ज हुआ था, जो एससीएसटी एक्ट से संबंधित है। इसे अगस्त 2007 में धीरज शील ने दर्ज कराया था।
उपचुनाव में किया था जातिसूचक शब्दों का प्रयोग
आरोप है कि तब आजम खां ने स्वार टांडा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के दौरान टांडा में जनसभा को संबोधित करते हुए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया। इस मामले में आजम खां 12 साल तक कोर्ट में नहीं गए। मुकदमे के वादी वादी धीरज शील की भी मृत्यु हो चुकी है। फरवरी 2020 को जब वह दूसरे मामले में अदालत में हाजिर होकर जेल गए तो इस मामले में भी जमानत कराई।अदालत ने नहीं दी मंजूरी
एससीएसटी एक्ट के मुकदमे को वापस कराने के लिए भी आजम खां ने सपा शासनकाल में प्रयास किया था, लेकिन अदालत ने मंजूरी नहीं दी। इस कारण यह मुकदमा अब भी विचाराधीन है। इसमें गवाही भी हो रही हैं। जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी का कहना है कि इस मामले में शीघ्र ही फैसला आने की उम्मीद है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों के मकदमों की सुनवाई के लिए जब से स्पेशल कोर्ट बनी हैं, तब से उनकी सुनवाई में तेजी आई है।
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