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Azam khan: आजम को सजा दर सजा, अब कौन बनेगा सपा का मुस्लिम चेहरा

आजम खां उनके बेटे अब्दुल्ला आजम पत्नी तजीन फात्मा को बुधवार को रामपुर की विशेष अदालत ने अब्दुल्ला के जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा सुनाई है। हालांकि अपील दायर करने से राहत मिलने का विकल्प है लेकिन विभिन्न कोर्ट में विचाधारीन 84 मुकदमों में कई मुकदमों में जल्द फैसला आने की संभावना है। जाहिर है निकट भविष्य में भी सपा नेता की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही है।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Fri, 20 Oct 2023 07:20 AM (IST)
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आजम को सजा दर सजा, अब कौन बनेगा सपा का मुस्लिम चेहरा
मुस्लेमीन, रामपुर। समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता रहे आजम खां सपा में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। लेकिन सालभर में चार मुकदमों में सजा के बाद आजम खां का राजनीतिक अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इतना ही नहीं, पार्टी नेतृत्व के सामने मुस्लिम चेहरे का संकट भी उत्पन्न हो गया है। ऐसे में आजम खां की जगह पार्टी में मुस्लिमों को नेतृत्व कौन करेगा, इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।

आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, पत्नी तजीन फात्मा को बुधवार को रामपुर की विशेष अदालत ने अब्दुल्ला के जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा सुनाई है। हालांकि, अपील दायर करने से राहत मिलने का विकल्प है, लेकिन विभिन्न कोर्ट में विचाधारीन 84 मुकदमों में कई मुकदमों में जल्द फैसला आने की संभावना है।

सपा नेता की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही

जाहिर है निकट भविष्य में भी सपा नेता की मुसीबत कम होती नहीं दिख रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव नजदीक होने की वजह से पार्टी नेतृत्व के समक्ष मुस्लिम नेतृत्व की समस्या बनी हुई है। संभल के सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। लेकिन उनकी बढ़ती उम्र और समय-समय पर बसपा प्रेम इसमें आड़े आ रहा है। मुरादाबाद के सांसद डा. एसटी हसन को पार्टी ने संसदीय दल का नेता बनाया है। वह भी पिछले दिनों बसपा के पक्ष में बयान देकर पार्टी को संकट में डाल चुके हैं।

अखिलेश यादव के करीबी हैं आजम खान

बदली परिस्थितियों में दो मुस्लिम नेताओं पर पार्टी के दांव लगाने की चर्चा है। एक राज्यसभा सदस्य जावेद अली तो दूसरे कांठ (मुरादाबाद) के विधायक कमाल अख्तर। रामगोपाल यादव के खास जावेद जहां आइएनडीआइए की समन्वय समिति में शामिल किए गए हैं, वहीं कमाल को सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में गिना जाता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सपा नेतृत्व को जल्द ही मुस्लिम चेहरे का चयन करना होगा।

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बड़ा सवाल: कौन होगा आजम का राजनीतिक उत्तराधिकारी

आजम खां समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। वह सबसे पहले राष्ट्रीय महासचिव बने और अब भी उनका पद बरकरार है। 10 बार विधायक रहे आजम लोकसभा और राज्यसभा सदस्य और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। प्रदेश में कई विभागों के मंत्री बने। उनकी पत्नी राज्यसभा सदस्य बनने के साथ ही शहर विधायक भी चुनी गईं। बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार-टांडा से दो बार विधायक बने। इस तरह आजम खां का पूरा परिवार रामपुर की राजनीति में काबिज रहा। उनके बड़े बेटे अदीब आजम की राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं हैं। पुत्रवधू की भी राजनीति में दिलचस्पी नहीं है। हालांकि पिछले साल हुए लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने अपने करीबी आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद शहर विधानसभा उपचुनाव में भी आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह कोई भी चुनाव जीत नहीं सके।

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