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Azam khan से पहले उनके बेटे Abdullah Azam की भी जा चुकी है विधायकी, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला

भड़काऊ भाषण मामले में अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुना दी। जिलाधिकारी ने अदालत के फैसले से विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव को अवगत करा दिया। नियमानुसार दो साल से ज्यादा सजा होने पर विधायकी समाप्त हो जाती है।

By Jagran NewsEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Fri, 28 Oct 2022 10:01 PM (IST)
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सपा नेता आजम खां व उनके बेटे विधायक अब्‍दुल्‍ला आजम। जागरण आर्काइव
रामपुर, जागरण संवाददाता। समाजवादी पार्टी के वरिष्‍ठ नेता आजम खां की विधायकी चली गई, जबकि तीन साल पहले उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी गई थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच जाने के कारण उप चुनाव नहीं हो सका था। आजम खां समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वह मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे हैं। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनी, तब वह मंत्री बने। रामपुर शहर से 10 बार विधायक चुने गए, लेकिन इस बार चुनाव के सात माह बाद ही उनकी विधायकी चली गई।

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भड़काऊ भाषण मामले में अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुना दी। जिलाधिकारी ने अदालत के फैसले से विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव को अवगत करा दिया। नियमानुसार दो साल से ज्यादा सजा होने पर विधायकी समाप्त हो जाती है। इस कारण आजम खां की विधायकी भी चली गई। इससे पहले दिसंबर 2019 में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधायकी चली गई थी। वह 2017 में स्वार-टांडा से विधायक चुने गए थे। उनपर कम उम्र में चुनाव लड़ने का आरोप लगा, जिसका मुकदमा हाईकोर्ट पहुंच गया।

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हाईकोर्ट ने विधायकी रद्द कर दी, लेकिन इस फैसले के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस कारण स्वार-टांडा क्षेत्र में उप चुनाव नहीं हो सका। एक बार तो कांग्रेस, भाजपा और बसपा ने उप चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं। नेताओं ने प्रचार भी शुरू कर दिया था, लेकिन चुनाव नहीं हो सका। अब आजम खां भी विधायकी रद्द होने के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम का कहना है कि पहले भी कोर्ट गए थे अब फिर कोर्ट जाएंगे।

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10 बार विधायक रहे आजम खां

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां की विधायकी जाने के बाद उप चुनाव की चर्चा भी शुरू हो गई है। इसके साथ ही शहर के लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि सपा से अब कौन चुनाव लड़ेगा। आजम खां 10 बार रामपुर शहर से विधायक बन चुके हैं। साल 2019 में सांसद बनने के बाद जब उन्होंने इस्तीफा दिया था तब उन्होंने पत्नी को चुनाव लड़ाया था और वह विधायक बन गई थीं।

आजम खां की पत्‍नी फिर लड़ सकती हैं उपचुनाव

इस बार अगर उप चुनाव होता है तो उनकी पत्नी फिर विधायक का चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि उनके बड़े बेटे अदीब आजम भी हैं, लेकिन उनके चुनाव लड़ने की कभी कोई चर्चा नहीं हुई है। वह राजनीति में ज्यादा सक्रिय भी नहीं रहे हैं। लोकसभा उप चुनाव में आजम खां ने परिवार के बाहर के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया था। सपा नगराध्यक्षा आसिम राजा चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके। ऐसे में एक बार फिर लोग यही कयास लगा रहे हैं कि अगर उप चुनाव हुआ तो आजम खां अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं।

आजम की विधायकी रद्द होने से उनके विरोधी गदगद

सपा महासचिव आजम खां की विधायकी रद्द होने से उनके विरोधी गदगद हैं। पटाखे छोड़कर और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मना रहे हैं। साथ ही इसे इंसाफ की जीत बता रहे हैं। आजम खां के मुकाबले विधानसभा का चुनाव लड़े आकाश सक्सेना हनी ने कहा कि आजम खां ने हमेशा नफरत फैलाने की राजनीति की है। इसी की उन्हें सजा मिली है। उनकी विधायकी भी चली गई है। यह सच्चाई की जीत है। पूर्व मंत्री काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां का कहना है कि आजम खां ने हमेशा झूठ और नफरत के सहारे सियासत की। भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। अब उन्हें इसी की सजा मिली है। ऐसे व्यक्ति का विधायक के पद पर रहना ठीक नहीं है।

पार्टी जिसे तय करेगी उसे लड़ाया जाएगा उपचुनाव

भाजपा के जिलाध्यक्ष अभय गुप्ता का कहना है कि अदालत का फैसला मान्य है। विधायक का पद रिक्त हो गया है। उप चुनाव होगा तो पार्टी हाईकमान जिसे प्रत्याशी बनाएगा, उसे पूरे दमखम से चुनाव लड़ाया जाएगा।कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष मुतीउर्रहमान बब्लू का कहना है कि आजम खां ने शहर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गरीबों और मजलूमों के कारोबार को उजाड़ दिया। उनकी बददुआओं की वजह से ही इन्हें सजा मिल रही है।

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