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आजम खां के पर‍िवार से चंद्रशेखर की 'हमदर्दी' अखि‍लेश को दे सकती है 'दर्द', रामपुर में दो धड़ों में बंटे सपा

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजम खां के घर आए थे। सप्ताहभर पहले हररदोई जेल में बाद आजम के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम से भी मिले। इससे पहले भी वह आजम खां के घर आ चुके हैं। उनका बार-बार आजम के परिवार से मिलना यूं ही नहीं है बल्कि इसके पीछे कुछ खास है। राजनीति के जानकार इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 19 Nov 2024 03:46 PM (IST)
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आजाद समाज पार्टी (आसपा) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद।- फाइल फोटो
मुस्लेमीन, रामपुर। सपा महासचिव आजम खां के परिवार से आजाद समाज पार्टी (आसपा) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की हमदर्दी नया गुल खिला सकती है। उन्होंने हरदोई जेल में आजम के बेटे अब्दुल्ला से मिलने के बाद 17 नवंबर को उनके आवास पर स्वजन से भी मुलाकात की है। कयास लगाए जाने लगे हैं कि यह हमदर्दी सपा मुखिया अखिलेश यादव को दर्द दे सकती है।

रामपुर में पहले ही सपा दो धड़े में बंटती रही है। एक ध़ड़ा आजम का खुला समर्थन करता आ रहा है। अब उसका कहना है कि आजम खां का सपा ने उतना साथ नहीं दिया, जितनी उन्हें उम्मीद थी। ऐसे में चर्चा आम है कि आजम खां का परिवार चंद्रशेखर का दामन थाम सकता है।

मुस्‍ल‍िम चेहरा होने के साथ फायरब्रांड नेता रहे हैं आजम

आजम खां सपा का मुस्लिम चेहरा होने के साथ ही फायरब्रांड नेता रहे हैं। वह रामपुर शहर से 10 बार विधायक रहे और लोकसभा सदस्य भी बने। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रहने के साथ ही राज्यसभा सदस्य भी रहे। उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा भी शहर विधायक और राज्यसभा सदस्य रहीं, जबकि छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम दो बार स्वार टांडा से विधायक चुने गए, लेकिन दोनों बार ही उनकी सदस्यता चली गई। एक बार कम उम्र में चुनाव लड़ने पर हाईकोर्ट ने सदस्यता रद्द की, जबकि दूसरी बार सजा होने के कारण खत्म हो गई।

अब्‍दुल्‍ला सालभर से हरदोई की जेल में बंद हैं, जबकि आजम खां सीतापुर जेल में हैं। सप्ताह भर पहले चंद्रशेखर ने अब्दुल्ला से हरदोई में मुलाकात की। रविवार को वह रामपुर आकर आजम खां की पत्नी और बड़े बेटे से मिले। इससे पहले भी वह रामपुर आए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वह सड़क से लेकर संसद तक आजम खां के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने आजम खां से अपने पुराने रिश्ते भी गिनाए हैं।

सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल साफ तौर पर कहते हैं भाजपा सरकार ने तो आजम खां के परिवार और समर्थकों का उत्पीड़न किया, लेकिन अखिलेश यादव ने पार्टी मुखिया होते हुए भी साथ नहीं दिया, बल्कि धोखा दिया। यही वजह है कि उन पर बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज होते चले गए और अब छह मामलों में सजा भी हो चुकी है। ऐसे में अखिलेश कह रहे हैं कि सत्ता में आने पर मुकदमे वापस कराए जाएंगे, जबकि जिन मुकदमों में सजा हो चुकी है, उन्हें वापस नहीं लिया जा सकता। इस सरकार में दलित और मुसलमानों का बहुत उत्पीड़न हुआ है। इनका एक मंच पर आना जरूरी है।

आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने आजम खां के परिवार का मुसीबत के दौर में साथ दिया है। उन्होंने संसद में भी मामले को उठाया है, जबकि अखिलेश यादव ने नहीं उठाया। उन्हें पिता मुलायम सिंह यादव के लिए पद्म विभूषण अवार्ड लेने के बजाए आजम खां के मुकदमे वापस कराने चाहिए थे।

लोकसभा चुनाव में किया था बहिष्कार

इसी वर्ष लोकसभा चुनाव में आजम खेमा सपा प्रत्याशी मोहिबुल्लाह के साथ नहीं था। आजम खेमे के सपा नेता आसिम राजा, प्रदेश सचिव ओमेंद्र चौहान व विधायक नसीर खां ने चुनाव बहिष्कार की भी घोषणा कर दी थी। सपा नेतृत्व ने जब मोहिबुल्लाह को प्रत्याशी घोषित किया, तो आसिम राजा ने भी नामांकन करा दिया था। पार्टी सिंबल नहीं होने के कारण नामांकन निरस्त हो गया।

तो अखिलेश का आना भी इसी का नतीजा

11 नवंबर को सपा मुखिया अखिलेश यादव भी रामपुर आए थे। एकमात्र कार्यक्रम आजम के परिवार से मिलना था। वह काफी देर उनके आवास पर रहे। स्वजन से बात की। आजम के साथ होने का दावा भी किया। इसके पीछे माना जा रहा है कि चंद्रशेखर के हरदोई जेल में अब्दुल्ला आजम से मुलाकात करने की जानकारी मिलने पर ही सपा मुखिया ने रामपुर आने का कार्यक्रम बनाया था।

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