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Azam khan की और बढ़ेंगी मुश्किलें, तीन मामलों में जल्‍द हो सकता फैसला, एक प्रकरण में उम्रकैद भी संभव

Azam Khan in deep trouble आचार संहिता के एक मुकदमे में अदालत से बरी हुए और भड़काऊ भाषण के एक मामले में पांच दिन पहले ही तीन साल की सजा पा गए। इसके चलते उनकी विधायकी भी चली गई। ईडी भी केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।

By Mohd MuslemeenEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Wed, 02 Nov 2022 10:46 AM (IST)
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Azam Khan in deep trouble: आजम खां समाजवादी पार्टी के वरिष्‍ठ नेता हैं। जागरण आर्काइव
रामपुर, (मुस्‍लेमीन)। Azam Khan in deep trouble: भड़काऊ भाषण मामले में सजा पा चुके समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खां के खिलाफ चल रहे तीन और मुकदमों में शीघ्र फैसला आ सकता है। इनमें एक मामला गंभीर है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान है। इसमें सुनवाई भी तेजी से चल रही है। एक माह में ही सुनवाई के लिए पांच तारीखें पड़ चुकी हैं। इसमें ललितपुर के सीएफओ और कन्नौज के अपर जिलाधिकारी भी गवाही दे चुके हैं। इस मामले में आजम खां के साथ ही उनकी पत्नी पूर्व सांसद डा. तजीन फात्मा और बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम भी आरोपित हैं। यह मामला अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा है, जबकि दूसरा मामला एससी-एसटी एक्ट का है, जो 15 साल पुराना है। तीसरा मामला मुरादाबाद जिले के छजलैट थाने से संबंधित है। यह मुकदमा भी 14 साल पुराना है।

तीन साल की सजा मिलने पर गई आजम की विधायकी

74 वर्षीय आजम खां के खिलाफ अब तक कुल 106 मुकदमे दर्ज हुए हैं, इनमें नौ मुकदमे शासन द्वारा वापस ले लिए गए और एक मुकदमें में उनकी नामजदगी झूठी पाई गई, जबकि चार मामलों में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है। आचार संहिता के एक मुकदमे में अदालत से बरी हुए और भड़काऊ भाषण के एक मामले में पांच दिन पहले ही तीन साल की सजा पा गए। इसके चलते उनकी विधायकी भी चली गई। इनके अलावा ईडी भी केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। इन सबमें तीन मुकदमे ऐसे हैं, जिनमें सुनवाई शीघ्र ही पूरी होने जा रही है।

भाजपा नेता ने दर्ज कराया था दो जन्‍म प्रमाणपत्र का मुकदमा

सबसे ज्यादा गंभीर मामला अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा है। यह मामला तीन जनवरी 2019 को भाजपा नेता आकाश सक्‍सेना ने दर्ज कराया था। उनका आरोप है कि अब्दुल्ला आजम के हाईस्कूल, इंटर मीडिएट, बीटेक और एमटेक के तमाम प्रमाण पत्रों में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 है। इसी जन्मतिथि के आधार पर पैन कार्ड व पासपोर्ट बना है। लेकिन, साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान दूसरा जन्म प्रमाण पत्र दर्शाया गया, जिसमें जन्म तिथि 30 सितंबर 1990 है। इस मामले में अदालत तेजी से सुनवाई कर रही है।

पांच नवंबर को होगी अब्‍दुल्‍ला के दो जन्‍म प्रमाणपत्र मामले में सुनवाई

दो सप्ताह के अंदर ललितपुर के सीएफओ(मुख्य अग्नि शमन अधिकारी) मतलूब हुसैन और कन्नौज के अपर जिलाधिकारी गजेंद्र कुमार की गवाही कराई गई और जिरह भी हो गई। अब्दुल्ला आजम ने जब 2017 में चुनाव लड़ा था, तब गजेंद्र स्वार के उपजिलाधिकारी होने के साथ ही निर्वाचन अधिकारी भी थे। इनके अलावा सहायक निर्वाचन अधिकारी राजेश सिंह, राय सिंह व तत्कालीन आयकर अधिकारी विजय सिंह की गवाही हो चुकी है। विजय सिंह से पांच नवंबर को जिरह होगी।

एससी-एसटी एक्‍ट के मुकदमे में भी तेजी से हो रही सुनवाई

दूसरा मामला टांडा थाने से संबंधित है, जो एससीएसटी एक्ट का है। यह मामला अगस्त 2007 का है। इसमें भी गवाही लगभग पूरी हो चुकी हैं। तीसरा मामला छजलैट थाने का है। यह जनवरी 2008 में दर्ज हुआ था। इसमें सडक पर जाम लगाने का आरोप है। उस समय भी आजम खां विधायक थे। वह रामपुर शहर से 10 बार विधायक चुने जा चुके हैं। तीन साल की सजा होने से उनकी विधायकी भी चली गई है।

कम उम्र में अब्‍दुल्‍ला लड़े थे चुनाव

अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले आकाश सक्सैना का कहना है कि अब्दुल्ला की उम्र विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान कम थी। वह चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इसीलिए दूसरा जन्म प्रमाण पत्र लखनऊ से जारी करा लिया गया। हाईकोर्ट ने भी इसे गलत मानते हुए अब्दुल्ला की विधायकी रद्द कर दी थी।

शीघ्र आ सकता है फैसला

आकाश सक्सैना के अधिवक्ता संदीप सक्सैना कहते हैं कि जन्म प्रमाण पत्र मामले में अदालत तेजी से सुनवाई कर रही है। सप्ताह में दो तारीख पड़ रही हैं। 31 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी और अब पांच नवंबर को होगी। इसमें फैसला शीघ्र ही आ सकता है। यह जालसाजी का मामला है और इसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रविधान है।

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