Rampur: मिर्जा गालिब का रामपुर से था बड़ा लगाव, रियासत से मिलता था वजीफा; नवाब को सिखाई थी शायरी
Rampur शायरी की दुनिया के शहंशाह मिर्जा गालिब का रामपुर से बड़ा लगाव था। वह नवाब के बुलावे पर रामपुर आए। उन्होंने नवाब यूसुफ अली खां को शायरी भी सिखाई। रामपुर का इतिहास नामक किताब में शौकत अली खान ने लिखा है कि मिर्जा गालिब 1860 और 1865 में रामपुर आए। गालिब को रामपुर बुलाने के लिए नवाब यूसुफ अली खान ने 1859 में छह खत लिखे।
जागरण संवाददाता, रामपुर। शायरी की दुनिया के शहंशाह मिर्जा गालिब का रामपुर से बड़ा लगाव था। वह नवाब के बुलावे पर रामपुर आए। उन्होंने नवाब यूसुफ अली खां को शायरी भी सिखाई। मिर्जा गालिब 27 दिसंबर 1797 को आगरा में पैदा हुए, लेकिन रामपुर से भी उनका गहरा नाता रहा।
रामपुर का इतिहास नामक किताब में शौकत अली खान ने लिखा है कि मिर्जा गालिब 1860 और 1865 में रामपुर आए। गालिब को रामपुर बुलाने के लिए नवाब यूसुफ अली खान ने 1859 में छह खत लिखे। जनवरी 1860 में वह रामपुर आए। नवाब यूसुफ अली खां के उस्ताद रहे। कई माह यहां रहने के बाद चले गए।
गालिब को दिया गया था निमंत्रण
नवाब कल्बे अली खां ने भी 1865 में अपने राज्याभिषेक के लिए गालिब को रामपुर में आमंत्रित किया था तब गालिब की सेहत ठीक नहीं थी, फिर भी वह रामपुर आए। उन्होंने नवाब की शान में कसीदे भी पढ़े। उन्होंने कहा था कि तुम सलामत रहो हजार बरस, हर बरस के हों दिन पचास हजार। इसी से मिलता हुआ फिल्मी गाना तुम जियो हजारों साल और साल के दिन हों पचास हजार, तमाम बर्थ डे पार्टियों में धूम मचाता है।रामपुर में रहे थे मिर्जा गालिब
रामपुर रियासत से उन्हें उन्हें प्रतिमाह सौ रुपये बतौर वजीफा दिया गया। राजद्वारा में एक मकान भी रहने को दिया गया था, लेकिन कुछ माह रहने के बाद दिल्ली चले गए। इसके बाद भी रामपुर के नवाबों से लगातार खतों किताबत करते रहे। रामपुर रजा लाइब्रेरी में डायरेक्टर रहे मौलाना इम्तियाज अली अर्शी ने भी अपने कई लेखों में मिर्जा गालिब और रामपुर के रिश्ते का जिक्र किया। उन्होंने गालिब के दीवान को छापा, जो नुस्खा ए अर्शी के नाम से मशहूर हुआ।