Sanskarshala 2022 : इंटरनेट पर पूरी तरह से न रहेंं निर्भर, यहां की हर जानकारी सच नहीं होती
Rampur Sanskarshala 2022 रामपुर के राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा. मीनाक्षी गुप्ता ने बताया कि आज के दौर में इंटरनेट के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। कोरोना महामारी के बाद तो पूरी दुनिया इंटरनेट पर सिमट गई है।
By Jagran NewsEdited By: Samanvay PandeyUpdated: Fri, 11 Nov 2022 04:35 PM (IST)
Rampur Sanskarshala 2022 : रामपुर के राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा. मीनाक्षी गुप्ता ने बताया कि आज के दौर में इंटरनेट के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। कोरोना महामारी के बाद तो पूरी दुनिया इंटरनेट पर सिमट गई है।
पढ़ाई से लेकर आफिस के कामकाज के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जिस तरह सांस लेने के लिए हवा जरूरी है, उसी तरह मानव जीवन में इंटरनेट का महत्व है। लोग इंटरनेट मीडिया पर इतने अधिक निर्भर हो गए हैं कि सामाजिक मूल्यों की अहमियत भूलने लगे हैं।
उनकी नजर में दोस्तों, रिश्तेदारों एवं परिचितों को इंटरनेट मीडिया पर हाय-हैलो करना ही सामाजिक होना है। यह सच है कि इंटरनेट के अपने फायदे हैं, लेकिन इसका जरूरत से अधिक प्रयोग खतरनाक साबित हो रहा है। इससे बचने के लिए हम सभी को इंटरनेट के इस्तेमाल की सीमाएं तय करनी होंगी। हमें पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
हमें अपने शोध के लिए यदि कोई सामग्री चाहिए तो उसे लाइब्रेरी में जाकर ढूंढें या उससे जुड़े स्थानों पर जाकर देंखें और लोगों से जाकर पूछें तो हमारा उससे अधिक जुड़ाव होगा। इसके इतर यही सामग्री इंटरनेट मीडिया पर तलाश करेंगे तो उसमें रोचकता नहीं आएगी।
लोगों को लगता है कि इंटरनेट मीडिया के जरिए बहुत सारे लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं, जबकि असल में वे अकेले होते हैं। कई मनोवैज्ञानिक भी इसे मानते हैं कि इंटरनेट मीडिया के जरिए लोगों को एक छद्म यानी नकली सुख मिलता है, जबकि हकीकत में कहीं-न-कहीं लोगों में अकेलेपन का भाव बढ़ रहा है। जब हम किसी से सामने से मिलते हैं।
उसे घर बुलाते हैं या फिर कहीं अचानक से मुलाकात होती है तो हम उससे बात करते समय आई कान्टेक्ट करते हैं। बाडी लैंग्वेज का इस्तेमाल करते हैं। इससे हमें अपने सामने वाले शख्स के मन के भावों को जानने का मौका मिलता है और वह भी हमारे मन की स्थिति को जान लेता है।
मसलन हम किसी से मिलने पर उसका चेहरा देखकर जान लेते हैं कि वह परेशान है या खुश। इंटरनेट मीडिया में ऐसा मुमकिन नहीं है। इंटरनेट पर विभिन्न विषयों पर आम जानकारी देने वाली बड़ी माने जानी वाली वेबसाइट विकीपीडिया अपने डिस्क्लेमर में कहता है कि वह अपनी साइट पर दर्ज जानकारियों की पूरी प्रामाणिकता का दावा नहीं कर सकता है।इसके अलावा जन संपर्क एजेंसियों के प्रभाव में निजी या राजनीतिक फायदे के लिए तैयार की जा रही सामग्रियां इंटरनेट मीडिया वेबसाइट, ब्लाग्स और अन्य वेबसाइट में भी जारी की जाती है। यह सामग्री पूरी तरह विश्वसनीय नहीं हो सकती है। यह या तो पूरी तरह सच होगी या झूठ या फिर आधा सच साबित हो सकती है। ज्यादातर यूजर्स इंटरनेट पर मिली जानकारियों को बिना परखे उन्हें सच भी मान लेते हैं। ये जानकारियां पूरी तरह सही है या नहीं, इसे क्रास चेक जरूर करना चाहिए।
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