रामपुर में ईंट भट्ठों पर मिले 50 बाल मजदूर
रामपुर में ईंट भट्ठों पर मिले 50 बाल मजदूर
By JagranEdited By: Updated: Sun, 01 Mar 2020 06:10 AM (IST)
जागरण संवाददाता, रामपुर: सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बाल मजदूरी पर रोक नहीं लग पा रही है। टांडा क्षेत्र में शनिवार को उपजिलाधिकारी ने ईंट भट्ठों पर छापेमारी की तो 50 बाल मजदूर काम करते मिले। एसडीएम ने तुरंत श्रम अधिकारी को बुला लिया और बच्चों को उम्र की जांच के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। भट्ठा मालिकों पर भी कार्रवाई की जा रही है। ऐसे पकड़ में आया मामला
सैदनगर ब्लाक के अलीपुरा के लोगों ने जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के फोन पर मैसेज किया कि उनके गांव के प्राथमिक विद्यालय में कोई टीचर नहीं आया है। 11 बजे तक बच्चे स्कूल के बाहर खेल रहे हैं। इस पर डीएम ने सैदनगर के खंड विकास अधिकारी का कार्य देख रहे टांडा के उपजिलाधिकारी आइएएस गौरव कुमार को स्कूल पहुंचकर जांच करने के निर्देश दिए। एसडीएम स्कूल में पहुंचे तो छह बच्चे ऐसे मिले, जो ड्रेस नहीं पहने थे। उन्होंने बच्चों से ड्रेस न पहनने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वह ईंट भट्ठे पर काम करते हैं, उनके पास ड्रेस भी नहीं है। इसके बाद एसडीएम ने ईंट भट्ठों पर छापेमारी शुरू कर दी। सैदनगर के कमल ईंट उद्योग, रनुआ नगला के एएनएस ब्रिक वर्क्स और खुशहालपुर के भारत ब्रिक वर्क्स पर छापे मारे। तीनों भट्ठों पर 50 बच्चे मजदूरी करते मिले। एसडीएम ने बच्चों से पूछताछ की तो उनके माता-पिता भी आ गए, जो भटठों पर ही काम करते हैं। उन्होंने एसडीएम को बताया कि बच्चे मजदूरी नहीं करते। इसपर एसडीएम ने सागर नाम के छह साल के बच्चे को गोद में उठा लिया। उससे प्यार से पूछा तो उसने सच्चाई सामने ला दी। कहा कि भट्ठे पर मौजूद सभी बच्चे रात में और सुबह 11 बजे तक मजदूरी करते हैं। मिटटी के गुल्ले बनाते हैं और ईंटें भी थापते हैं। इसके बाद दूसरे बच्चों ने भी यही बात बताई। एसडीएम ने तुरंत नायब तहसीलदार शिव प्रकाश सरोज और बाल श्रम अधिकारी दिनेश कुमार को बुला लिया। कार्रवाई करने के निर्देश दिए। एसडीएम ने बताया कि सभी बच्चे पांच साल से लेकर 14 वर्ष तक के हैं। इनकी उम्र की पुष्टि कराने के लिए जिला अस्पताल में मेडिकल कराया जा रहा है। 14 साल से कम उम्र पाए जाने पर बाल श्रम कानून के तहत कार्रवाई होगी। जुर्माना भी डाला जाएगा। रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी। खुले में शौच करते जिला भले ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है, लेकिन ईंट भट्ठों पर मजदूरी करने वाले लोग अब भी खुले में शौच कर रहे हैं। एसडीएम गौरव कुमार ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई कि ईंट भटठों पर शौचालय ही नहीं हैं। इसलिए लोग खुले में शौच करते हैं। भटठों पर दूसरी सुविधाएं भी नहीं हैं। शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। झोपड़ियों में रहते हैं, जिनकी ऊंचाई इतनी है कि उनमें खड़े भी नहीं हो सकते। झुककर ही रहना पड़ता है। इनका बीमा भी नहीं है, जबकि यह सारी सुविधाएं मुहैया कराना ईंट भट्ठा स्वामियों की जिम्मेदारी है। एसडीएम ने मजदूरों को समझाया कि वह अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजें। उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताया।
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