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Rampur Lok Sabha Seat: आजम खां से मुलाकात के बाद ही खुलेंगे सपा के पत्ते, जानिए कहां फंस रहा है प्रत्याशी को लेकर पेंच

Rampur Lok Sabha Seat रामपुर की सियासत में आजम खां का दबदबा रहा है। वह 10 बार यहां से विधायक रहे हैं। राज्य सभा और लोकसभा सदस्य भी रहे। उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा भी शहर विधायक और राज्य सभा सदस्य रहीं। बेटे अब्दुल्ला दो बार विधायक चुने गए लेकिन अब तीनों सात साल की सजा काट रहे हैं। इस कारण चुनाव भी नहीं लड़ सके।

By Mohd Muslemeen Edited By: Swati Singh Updated: Sat, 30 Mar 2024 04:18 PM (IST)
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आजम खां से मुलाकात के बाद ही खुलेंगे सपा के पत्ते
जागरण संवाददाता, रामपुर। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के मुकाबले अब सपा का कोई बागी उम्मीदवार नहीं है, लेकिन आजम समर्थक अभी तक उनके साथ नहीं आ रहे हैं। सीतापुर की जेल में बंद आजम खां से मुलाकात के बाद ही पत्ते खुलेंगे।

रामपुर की सियासत में आजम खां का दबदबा रहा है। वह 10 बार यहां से विधायक रहे हैं। राज्य सभा और लोकसभा सदस्य भी रहे। उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा भी शहर विधायक और राज्य सभा सदस्य रहीं। बेटे अब्दुल्ला दो बार विधायक चुने गए, लेकिन अब तीनों सात साल की सजा काट रहे हैं। इस कारण चुनाव भी नहीं लड़ सके।

रामपुर में प्रत्याशियों पर असमंजस

रामपुर में चुनाव चाहें कोई भी रहा हो, उसमें सपा प्रत्याशियों का चयन आजम खां की मर्जी से ही होता रहा। इस बार भी अखिलेश उनकी मर्जी जानने के लिए सीतापुर जेल पहुंचे तब आजम खां ने अखिलेश से ही रामपुर सीट से चुनाव लड़ने का कहा दिया, लेकिन अखिलेश यादव चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए। इस पर रामपुर के सपा नेताओं ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया।

नामांकन को लेकर हुआ घमासान

जिलाध्यक्ष अजय सागर ने आजम खां की ओर से पत्र भी जारी कर दिया। इस पर अखिलेश यादव ने दिल्ली की पार्लियामेंट की मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बना दिया। उन्होंने नामांकन कराया तो आजम के करीबी आसिम राजा ने भी नामांकन करा दिया। रामपुर के सपा नेता उन्हें ही अपना प्रत्याशी बता रहे थे, लेकिन पार्टी का प्राधिकार पत्र न होने के कारण आसिम राजा का पर्चा खारिज हो गया। इसके बाद भी रामपुर के सपा नेताओं और सपा प्रत्याशियों के बीच कोई मीटिंग नहीं हो सकी है।

मुलाकात के बाद साफ होगी तस्वीर

आजम खां के करीबी नेता कह रहे हैं कि आजम खां से मुलाकात के बाद ही फैसला लिया जाएगा कि उन्हें क्या करना है। आजम खां से मुलाकात भी एक अप्रैल के बाद ही हो सकेगी। क्योंकि महीने में चार बार ही मुलाकात हो पाती है। मार्च माह में चार बार मुलाकात हो चुकी है।

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