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हत्या मामले में उत्तराखंड के भाजपा नेता को यूपी की कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा, 11 साल पुराना है मामला

पहले से ऊधमसिंह नगर के थाना रुद्रपुर के मलिक कालोनी का उत्पल दीक्षित भी डांस कर रहा था। वह घटना के समय भाजपा में शामिल था। उसने अपना लाइसेंसी रिवाल्वर निकालकर फायर किया। उसके रिवाल्वर की गोली हिमांशु की कनपटी पर लगी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें पहले रुद्रपुर के फुटेला हास्पिटल ले गए। वहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Thu, 18 Jan 2024 06:27 PM (IST)
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उत्तराखंड के भाजपा नेता को यूपी की कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा, 11 साल पुराना है मामला
जागरण संवाददाता, रामपुर : हत्या के 11 साल पुराने मामले में जिला जज सत्य प्रकाश त्रिपाठी ने रुद्रपुर उत्तराखंड के भाजपा नेता को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। एक लाख रुपये का अर्थदंड भी डाला है।

अभियोजन के अनुसार हत्या की घटना बिलासपुर कोतवाली क्षेत्र में 23 मई 2013 की रात को हुई थी, जिसकी प्राथमिकी उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंहनगर के दुर्गा मंदिर गली रुद्रपुर निवासी वीरेंद्र कुमार पुत्र संतलाल ने कराई थी। बिलासपुर तहसील उत्तराखंड की सीमा से सटी हुई है।

शादी समारोह में आए थे होटल 

वीरेंद्र कुमार के भतीजे हिमांशु अरोरा अपने भाई मयंक अरोरा, दोस्त अंकुर कुमार और चाचा संजय अरोरा के साथ घटना की रात अपने पड़ोसी अमित अनेजा की शादी में शामिल होने होटल आर्क में आए थे। रात 11 बजे उनका भतीजा हिमांशु अपने दोस्तों के साथ डीजे पर डांस कर रहा था।

भाजपा नेता ने डांस करते हुए किया फायर

वहां पहले से ऊधमसिंह नगर के थाना रुद्रपुर के मलिक कालोनी का उत्पल दीक्षित भी डांस कर रहा था। वह घटना के समय भाजपा में शामिल था। उसने अपना लाइसेंसी रिवाल्वर निकालकर फायर किया। उसके रिवाल्वर की गोली हिमांशु की कनपटी पर लगी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें पहले रुद्रपुर के फुटेला हास्पिटल ले गए।

वहां प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी बृजलाल हास्पिटल ले आए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बिलासपुर पुलिस ने पहले भाजपा नेता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की प्राथमिकी दर्ज की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के बाद हत्या की धारा में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था।

बचाव पक्ष ने कहा था- मृतक अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था

मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने नौ गवाह व अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए। जिला शासकीय अधिवक्ता अमित कुमार सक्सेना का कहना था कि गवाहों और साक्ष्यों ने घटना को साबित किया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने उत्पल दीक्षित को दोष सिद्ध कर दिया था। मृतक और दोषी गुरुवार को सजा के बिंदु पर बहस हुई, जिसमे बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि वह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र है।

पिता की मृत्यु हो चुकी है। उसकी आयु 31 वर्ष है। उसकी मां की देखभाल करने वाला उसके अलावा कोई नहीं है। उसका मामला विरलतम अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। उसे कम सजा दी जाए। जिला शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि हत्या विवाह समारोह में सैकड़ों लोगों के समक्ष की गई। यह अत्यंत गंभीर प्रकृति का अपराध है।

अभियुक्त को मृत्युदंड से दंडित किया जाए, ताकि समाज में एक सकारात्मक संदेश जाए और अपराधियों में कानून के प्रति भय उत्पन्न हो सके। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जनपद न्यायाधीश ने उत्पल दीक्षित को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड का भुगतान करने पर 50 फीसद धनराशि मृतक हिमांशु अरोरा के पिता रूप कुमार अरोरा को देने के आदेश दिए हैं।

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