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Rampur : डीएम साहब- ''मैं बड़ा परेशान हूं, पैर खराब हैं; चल नहीं सकता- इसके बाद DM ने जाे किया...

DM Rampur जिलाधिकारी ने दिव्यांग बच्चों के लिए भी कई अच्छे कार्य किए हैं। मिशन समर्थ चलाया। इसके जरिए 61 बच्चों की सर्जरी कराकर उनकी दिव्यांगता ही दूर करा दी है। जो पहले चल भी नहीं पाते थे अब वे दौड़ने लगे हैं। घाटमपुर स्कूल के छात्र वसीम को तो अमेरिका से मंगवाकर सेंसरयुक्त हाथ लगवाए हैं जिनकी कीमत छह लाख है।

By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Tue, 22 Aug 2023 01:56 PM (IST)
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Rampur : डीएम साहब- ''मैं बड़ा परेशान हूं, पैर खराब हैं; चल नहीं सकता- इसके बाद DM ने जाे किया...
मुस्लेमीन, रामपुर: साहब मैं दिव्यांग हूं, मेरा कोई सहारा नहीं है। घर के नाम पर एक झोपड़ी है, जो वर्षा में टपकती रहती है। प्रधान जी से कई बार गुहार लगाई, लेकिन मेरा घर नहीं बन सका। आप ही कुछ मदद कर दीजिये। शाहबाद के यूसुफपुर गांव के राम रहीस की पीड़ा सुनकर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ का मन पिघल गया।

देर रात तक उसके बारे में ही सोचते रहे, फिर जनसहयोग से उसका घर बनवाने का इरादा कर लिया। तीन दिन बाद उसके गांव पहुंच गए और भूमि पूजन कर घर की नींव रख दी। तीन माह में ही उसका घर बनकर तैयार हो गया, जिसके गृह प्रवेश कार्यक्रम में भी डीएम शामिल हुए। पिछले छह माह में जिलाधिकारी 11 गरीबों को आवास मुहैया करा चुके हैं।

सरकार ने गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई है, लेकिन इस योजना में उन्हीं लोगों को आवास दिए जाते हैं, जिनके नाम साल 2011-12 में हुए सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर तैयार हुई सूची में शामिल है। जिलाधिकारी के पास आए दिन ऐसे लोग आते रहते हैं जो बेहद गरीब हैं। उनके आवास भी नहीं है, लेकिन उनका नाम सूची में नहीं है।

डीएम साहब- मेरी पीड़ा सुन लीजिए 

ऐसे लोगों को आवास मुहैया करने के लिए ही जिलाधिकारी ने मिशन समर्थ- 2 शुरू किया है। इसमें वह जन सहयोग के जरिए गरीबों के आवास बनवा रहे हैं। इसकी शुरुआत भी राम रहीम के घर से ही हुई। इसी साल 10 मार्च की बात है। जिलाधिकारी अपने कार्यालय से निकलकर घर जा रहे थे।

इसी बीच एक दिव्यांग हाथों के सहारे चलता हुआ उनके पास पहुंचा। डीएम गाड़ी में बैठने लगे तो वह रोने लगा। बोला साहब मेरी पीड़ा सुन लीजिये। डीएम ने उसे परेशान देख आवास पर मिलने को कह दिया। वह उनके घर पहुंच गया। तब उसने अपना दर्द सुनाया। बोला साहब मैं बड़ा परेशान हूं। पैर खराब हैं, इसलिए उनसे चल नहीं सकता। न घर है और न रोजगार। भीख मांगने को मजबूर हूं। मेरी मदद कर दीजिये। मेरा घर बनवा दीजिये।

डीएम ने उसकी पीड़ा दूर कराने का आश्वासन दिया। उसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना या मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची में नहीं था। ऐसे में जनसहयोग से घर बनवाने का फैसला किया। इसके तीन दिन बाद 13 मार्च को डीएम उसके घर पहुंच गए। भूमि पूजन किया और तीन माह में घर बनवा दिया।

घर में दुकान भी बनवा दी, ताकि वह रोजगार भी कर सके। अब राम रहीस बड़ा खुश हैा। वह परचून की दुकान भी चला रहा है। उसे मोटर वाली रिक्शा भी दे दी गई है। इससे वह कहीं भी आ जा सकता है। राम रहीस का कहता है कि डीएम साहब ने उसकी जिंदगी ही संवार दी है।

अब तक 11 आवास बनवाए

जिलाधिकारी ने राम रहीस के बाद और भी गरीबों के आवास जनसहयोग से बनवाए हैं। इनमें गदमर पट्टी गांव के दुर्गा प्रसाद, खंदेली की राजवती, अंकोंदा के मुन्ना लाल, राजारामपुर की रामवती, जौलपुर के छदम्मी, भैंसोड़ी की भूरी देवी, मझरा सिंहपुर के ज्ञान सिंह, भोजीपुरा गांव की लक्ष्मी और बीसरा के मनीष कुमार शामिल हैं।

प्रधानमंत्री पुरस्कार भी मिला

जिलाधिकारी ने दिव्यांग बच्चों के लिए भी कई अच्छे कार्य किए हैं। मिशन समर्थ चलाया। इसके जरिए 61 बच्चों की सर्जरी कराकर उनकी दिव्यांगता ही दूर करा दी है। जो पहले चल भी नहीं पाते थे, अब वे दौड़ने लगे हैं। घाटमपुर स्कूल के छात्र वसीम को तो अमेरिका से मंगवाकर सेंसरयुक्त हाथ लगवाए हैं, जिनकी कीमत छह लाख है। पहले वह पैर से लिखता था, लेकिन अब हाथ से लिखता है और हाथ से ही खाता है।

बिजली के करंट से उसके दोनों हाथ झुलस गए थे और कंधे से काट दिए गएथे। सेंसरयुक्त हाथ लगने के बाद से ही उसका पूरा परिवार डीएम को दुआएं दे रहा है।

जिलाधिकारी ने कुपोषित बच्चों के लिए मोटे अनाज से पोषण किट भी तैयार कराई, जिसके सेवन से तीन माह में 2200 बच्चे स्वस्थ हो गए। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हे खुद सम्मानित भी किया। अब बेसहारा गरीबों को आवास उपलब्ध कराने के लिए मिशन समर्थ- 2 चला रहे हैं।

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