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दुनिया में सतत बढ़ रही योग की 'प्रतिष्ठा'

सहारनपुर : विश्व प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना व योग गुरु आचार्य प्रतिष्ठा शर्मा ने कहा कि अब निरोग रहने क

By Edited By: Updated: Wed, 05 Aug 2015 11:41 PM (IST)

सहारनपुर : विश्व प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना व योग गुरु आचार्य प्रतिष्ठा शर्मा ने कहा कि अब निरोग रहने के लिए योग की पूरी दुनिया कायल है। भारत के साथ पांच हजार वर्ष की योग विद्या दुनिया के 170 देशों के सामने है। इन देशों में बाकायदा योग की कक्षाएं चल रही हैं।

जेवी जैन कालेज रोड स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में बुधवार को आई अंतर्राष्ट्रीय योग गुरु पद्मश्री भारत भूषण की पुत्री आचार्य प्रतिष्ठा शर्मा को दैनिक जागरण परिवार ने योग व शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में विश्व पटल पर देश व सहारनपुर का नाम रोशन करने के लिए सम्मानित किया गया। जागरण से खास बातचीत में प्रतिष्ठा ने योग व शास्त्रीय नृत्य के बारे में खुलकर विचार रखे। उनका कहना था कि कथक व योग दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। ज्ञान मुद्रा से ही नृत्य की उत्पत्ति हुई। शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से चेहरे की मुद्राएं लगातार बदलती हैं। साथ ही तत्कार एक प्रकार से एक्यूप्रेशर का काम करता है। नृत्य में पैरों के दबाव से डायबिटीज में काफी लाभ होता है। घूंघट की मुद्रा को जब हम नृत्य के दौरान हटाते हैं तो यह आंखों के लिए लाभकारी है। डांस थेरेपी अभी जापान में प्रमुखता से सिखाई जा रही है। उन्होंने दोहराया कि वह सहारनपुर की बेटी हैं, इसलिए अपने शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किए जाने में पूरा सहयोग करेंगी।

उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों में पहली बार योग को महत्ता मिली, जो भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का अंग रहा है। विदेशों में योग परोसा जा रहा है, जबकि देश में योग नियमों के आलोक में सिखाया जा रहा है। सीबीएसई के बाद देश के अन्य शिक्षा बोर्ड को भी योग को स्कूली पाठ्यक्रम मे शामिल करने की पहल करनी चाहिए। आचार्य प्रतिष्ठा ने कहा कि योग से सभी कुछ यानी धन, विद्या और यश अर्जित किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हमने योग के जो आयोजन किए, उनमें सभी साधक-साधिकाएं सहारनपुर से ही हैं। महानगरों में नई पीढ़ी का योग व शास्त्रीय नृत्य के प्रति धीरे-धीरे रुझान बढ़ रहा है। शास्त्रीय नृत्य की मुद्राओं में कई बार सामाजिक समस्याएं उठाई हैं। अपने संदेश में उन्होंने युवाओं से कहा कि वह अपनी सांस्कृतिक विरासत को जाने-पहचाने, उससे दूरी नहीं, बल्कि नजदीकियां कायम करें। विदेशों में हमारी सांस्कृतिक कलाओं के प्रति रुझान बढ़ा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लखनऊ व वाराणसी के बाद सहारनपुर में सांस्कृतिक कलाओं को सबसे ज्यादा प्रोत्साहन मिला है। उनके पास शहर ही नहीं, बल्कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से अनेक युवा कथक सीखने व मार्गदर्शन के लिए आते हैं, जिसे वह एक सुखद पहल मानती हैं।

समाज का आइना है दैनिक जागरण

आचार्य प्रतिष्ठा शर्मा का कहना है कि दैनिक जागरण समाचार-पत्र समाज का आईना है। दैनिक जागरण ने सच्चाई व तथ्यपरक समाचारों के चलते समाज के सभी वर्गो का विश्वास जीता है। यही वजह है कि आज दैनिक जागरण आम जनमानस की पसंद बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सप्ताह में अलग-अलग दिन जोश, यात्रा, संगिनी व ऊर्जा के माध्यम से समाज के हर वर्ग के लोगों को जोड़ने का प्रयास करता है, जो सराहनीय है। उन्होंने 'जागरण वार्षिकी' व 'जागरण सखी' पत्रिका को क्रमश: युवाओं व महिलाओं के लिए बेहतर पुस्तक बताते हुए कहा कि दैनिक जागरण नारी सशक्तीकरण, गरीबी उन्मूलन, सुशिक्षित समाज, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण जैसे सरोकारों के माध्यम से जनता की आवाज बनकर उभरा है। सहारनपुर कार्यालय प्रभारी संजीव जैन, विज्ञापन प्रभारी विनीत ¨सह व प्रसार प्रभारी भूपेन्द्र ¨सह ने उनका स्वागत किया। इस दौरान मुन्नालाल डिग्री कालेज की छात्रसंघ अध्यक्ष हर्षिता सैनी व महासचिव नेहा काम्बोज ने महिलाओं को जागरूक करने के लिए प्रतिष्ठा शर्मा को पटका ओढ़ाकर सम्मानित किया।

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